मुजफ्फरपुर शेल्टर कांड को जान सुन उड़ जाएंगे होश, 9 महिलाओं ने भी की थी करतूत

दीपरंजन सिंह, पटना: बिहार में सात साल पूर्व एक ऐसी घटना घटी थी, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. यह घटना बिहार के साथ-साथ देश की राजनीति में भूचाल ला दिया था. यह घटना बिहार के मुजफ्फरपुर में घटी थी और यह मानवता को शर्मसार कर देने वाली घटना थी. जी हां हम बात कर रहे हैं मुजफ्फपुर शेल्टर होम प्रकरण की. आप सोच रहे होंगे कि सात साल पूर्व की घटना की चर्चा क्यों कर रहे हैं. यह प्रकरण एक बार फिर सुर्खियों में इसलिए है कि इस पर किंग खान यानी शाहरूख खान फिल्म भक्षक बना रहे हैं और इसमें भूमिक पेडनेकर मुख्य किरदार निभा रही है.

खैर इस फिल्म की चर्चा ना करते हुए मुजफ्फरपुर बालिका सुधार गूह कांड के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी दास्तां सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे. बात 14 जुलाई 2017 की है जब छपरा में बालिका अल्पावास गृह में यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया. एक लड़की के गर्भवती पाए जाने के बाद एनजीओ संचालक ब्रजेश ठाकुर सहित आठ को गिरफ्तार किया. जिसमें ब्रजेश को छोड़कर सभी महिलाएं थी. बता दें कि इस मामले में सेवा संकल्प एवं विकास समिति के रसूखदार संचालक ब्रजेश ठाकुर समेत 11 आरोपी जेल में हैं. इनमें आठ महिलाएं भी शामिल हैं.

बालिका सुधार गृह की लड़कियों ने चाैकाने वाला किया था खुलासा
मुजफ्फरपुर बालिका सुधार गृह कांड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. यहां से 42 लड़कियों को पटना और मधुबनी और फिर मोकामा के नाजरथ अस्पताल और आश्रय में भेजा गया. इन लड़कियों की जांच करने हैदराबाद और एम्स की टीम भी पहुंची थी. पूछताछ के दौरान लड़कियों ने चौंकाने वाला खुलासा किया था. लड़कियों ने बताया था कि कि नशीला इंजेक्शन देकर उनके साथ लगातार यौन शोषण किया जा रहा था.

खुले कपड़े में सोने के लिए मजबूर किया जाता था. कमरे में ले जाकर गलत काम कराया जाता था. खासकर लड़कियों ने ब्रजेश ठाकुर पर गंभीर आरोप लगाया था. इन लड़कियों ने एक और चौंकाने वाला खुलासा यह किया था उसके साथ की लड़की का पहले यौन शोषण किया गया था, उसके बाद बालिका सुधार गृह में ही दफन कर दिया गया था. यह खुलासा इतना सनसनीखेज था कि बालिका सुधार गृह की खुदाई भी करना पड़ गया था.

सुप्रीम कोर्ट को करना पड़ गया था हस्तक्षेप
महिला आयोग से लेकर आम लोग तक दोषी को कड़ी सजा दिलाने की मांग के लिए सड़क पर उतर आए. सुप्रीम कोर्ट तक को हस्तक्षेप करना पड़ा था. तब सुप्रीम कोर्ट ने अदालत में मौजूद मुख्य सचिव को आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 377 और पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज नहीं करने पर फटकार लगाई थी. मामला तूल पकड़ता देख बालिका गृह के संचालक एनजीओ के खिलाफ एफआईआर की अनुमति दे दी गई.

जिला बाल सुरक्षा इकाई के सहायक निदेशक देवेश कुमार शर्मा ने मुजफ्फरपुर महिला थाने में एनजीओ सेवा संकल्प एवं विकास समिति के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया था. सरकार को केस सीबीआई के हैंडओवर करना पड़ा था. सीबीआई ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर के खासमखास मधु को गिरफ्तारकर लिया था. जिसे बाद में बरी कर दिया गया था. मुजफ्फरपुर शेल्टर होम के आर्म्स एक्ट मामले में 1 दिन के लिए पुलिस रिमांड पर भेजी गईं पूर्व मंत्री मंजू वर्मा को भी भेजा गया था. इनको इस्तीफा तक देना पड़ गया था.

दिल्ली के साकेत कोर्ट में मामले की चली थी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस केस को दिल्ली के साकेत कोर्ट को ट्रांसफर कर दिया गया था. सात महीने तक चली सुनवाई के बाद जनवरी 2020 में कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया था. जिसमें मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर सहित 19 अभियुक्तों को दोषी करार दिया गया था. इन लोगों को रेप के अलावा साजिश रचने के मामले में दोषी ठहराया गया था. बता दें ब्रजेश ठाकुर बिहार पीपुल्स पार्टी के विधायक भी रह चुके थे.

कोर्ट ने मुजफ्फरपुर बालिका सुघार गृह कांड में 19 लोगों को दोषी करार दिया गया था. जिसमें मुख्य अभियुक्त ब्रजेश ठाकुर के अलावा बालिकागृह की अधीक्षक इंदू कुमारी, मीनू देवी, मंजू देवी, चंदा देवी , नेहा कुमारी, हेमा मसीह, किरण कुमारी, रवि कुमार रौशान, विकास कुमार, दिलीप कुमार, ब्रजेश के चालक विजय तिवारी, कर्मचारी गुड्डू पटेल, कृष्णा राम, बाल संरक्षण इकाई की तत्कालीन सहायक निदेशक रोजी रानी, ब्रजेश का रिश्तेदार रामानुज ठाकुर, बालिका गृह के कथित डॉक्टर रामाशंकर सिंह एवं साइस्ता परवीन शामिल थे.

इन दोषियों को सुनाई गई थी सजा
ब्रजेश ठाकुर (संरक्षक)
– इसे आजीवन कारावास और 20 लाख का जुर्माना की सजा सुनाई गई थी.
आरोप- बालिका गृह कांड मामले का मुख्य आरोपी यही था और 6 से अधिक लड़कियों ने इस पर दुष्कर्म करने का आरोप लगा था. बालिका गृह की लड़कियों का यौन शोषण कराता था. यह बड़े अधिकारियों तक लड़कियों को पहुंचाता था. मुजफ्फरपुर और पटना में ब्रजेश ने अड्डे बना रखे थे जहां बालिका गृह की लड़कियों को भेजता था. विरोध करने वाली लड़कियों की पिटाई भी करता था.

रवि रौशन (निलंबित सीपीओ- बाल संरक्षण पदाधिकारी)- इसे आजीवन कारावास और 1.5 लाख जुर्माना की सजा सुनाई गई थी.
आरोप: रवि के जिम्मे किशोरियों की सुरक्षा थी. वह बालिका गृह की बच्चियों के साथ दुष्कर्म करता था. इसके साथ ही बच्चियों को छोटे कपड़े में अश्लील गानों पर डांस करने के लिए मजबूर करता था.

विकास कुमार (सीडब्लूसी – बाल कल्याण समिति सदस्य)- इसे आजीवन कारावास और 14 लाख जुर्माना की सजा सुनाई गई.
आरोप: हर मंगलवार को विकास और उसके साथ बालिका गृह में पहुंचने वाले लोग किशोरियों का यौन शोषण करते थे. यह नियमित था. मीडिया रिपोर्ट्स में यह बात सामने आई थी कि मंगलवार को सुबह से ही कुछ किशोरियां डरी-सहमी रहती थीं.

दिलीप कुमार (सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष)- इसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.
आरोप: बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) का अध्यक्ष था। लड़कियों ने उसकी पहचान फोटो से की. लड़कियों के साथ दुष्कर्म करता था.

शाइस्ता परवीन उर्फ मधु (ब्रजेश की करीबी)- यह भी ब्रजेश ठाकुर के कुकृत्यों में बराबर की साझीदार थी. इसे भी उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी.
आरोप: ब्रजेश ठाकुर की राजदार है. ब्रजेश के ज्यादातर एनजीओ का संचालन पर्दे के पीछे से शाइस्ता परवीन उर्फ मधु ही करती थी. वह एनजीओ सेवा संकल्प और विकास समिति के प्रबंधन से जुड़ी थी. लड़कियों को गंदे गाने पर डांस करने को मजबूर करती थी. मना करने वाली लड़कियों को सजा के तौर पर नमक रोटी देती थी.

गुड्डू पटेल (रसोईया)- इसे भी आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.
आरोप: बालिका गृह की बच्चियों के साथ रेप करता था और विरोध करने वाली लड़कियों को पीटता था.

किरण कुमारी (हेल्पर)- इसे भी उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी.
आरोप: विरोध करने वाली बच्चियों को सजा देती थी. वह बच्चियों को भूखा रखती और अन्य कर्मियों के साथ मिलकर मारती-पीटती थी.

रामानुज ठाकुर (गेटकीपर)- इसे भी उम्रकैद की सजा मिली.
आरोप: इस पर भी बच्चियों से रेप करने और विरोध करने पर उनकी पिटाई करने का आरोप था.

मीनू देवी (हाउस मदर)- इसे भी आजीवन कारावास मिला.
आरोप: मुजफ्फरपुर बालिका गृह की हाउस मदर मीनू लड़कियों को नशे की दवा देती थी. वह विरोध करने वाली बच्चियों को पीटती थी.

विजय कुमार तिवारी (ब्रजेश का ड्राइवर)- इसे भी उम्रकैद की सजा दी गई.
आरोप: विजय ब्रजेश ठाकुर का ड्राइवर था. उस पर लड़कियों से दुष्कर्म करने, उनकी पिटाई करने का आरोप है. लड़कियों की सप्लाई में भी शामिल होने का भी आरोप था.

कृष्णा कुमार राम (सफाईकर्मी)- इसे भी उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी.
आरोप: बालिका गृह की बच्चियों के साथ रेप करता था. वह विरोध करने वाली लड़कियों को पीटता था.

नेहा कुमारी (नर्स)- 10 साल की कैद मिली.
आरोप: बालिका गृह की बच्चियों को नशीली दवाएं देकर बेहोश करती थी. कई बच्चियों ने अपने बयान में कहा है कि ब्रजेश के खिलाफ बोलने पर नेहा और स्टाफ के लोग उन्हें मारते-पीटते थे.

हेमा मसीह (प्रोबेशनरी अधिकारी)- 10 साल की कैद मिली.
आरोप: हेमा मसीह बालिका गृह की प्रोबेशन पदाधिकारी थी. बालिका गृह के कागजात मेंटेन करना और अधिकारियों के सामने बालिका गृह की अच्छी छवि पेश करने का जिम्मा हेमा मसीह के पास था. इस पर बालिका गृह में हो रही गतिविधियों को छिपाने का आरोप है.

अश्विनी कुमार (कथित डॉक्टर)- 10 साल कैद की सजा सुनाई गई थी.
आरोप: बच्चियां जब दुष्कर्म के कारण दर्द की शिकायत करती थी तो उन्हें दवाइयां देता था. बालिका गृह की लड़कियां इस डॉक्टर से काफी डरी रहती थीं. वह लड़कियों को बेहोश करता था. लड़कियों की बिना कपड़े के जांच करता था.

मंजू देवी (काउंसलर)- 10 साल कैद की सजा सुनाई गई थी.
आरोप: मुजफ्फरपुर बालिका गृह की काउंसलर मंजू बालिका गृह के दूसरे कर्मचारियों के साथ मिलकर लड़कियों को दुष्कर्म के लिए तैयार करती थी. वह बच्चियों को नशे की दवा खिलाती थी.

चंदा देवी (हाउस मदर)- 10 साल कैद की सजा मिली.
आरोप: चंदा देवी लड़कियों को दुष्कर्म के लिए बालिक गृह के बाहर भेजती थी. बच्चियों ने मजिस्ट्रेट के सामने दिए गए अपने बयान में रवि कुमार रोशन का जिक्र करते हुए कहा है कि चंदा आंटी उन्हें रोशन के पास भेजती थी.

रामाशंकर सिंह उर्फ मास्टर साहब- 10 साल की कैद मिली.
आरोप: यह ब्रजेश के पारिवारिक प्रेस का मैनेजर था। लड़कियों ने उसे गंदा आदमी बताया है. लड़कियों के साथ दुष्कर्म और पिटाई करता था.

इंदू कुमारी (अधीक्षिका)- इसे 3 साल कैद मिली.
आरोप: इंदू कुमारी मुजफ्फरपुर बालिका गृह की अधीक्षिका थी. वह लड़कियों को डराती धमकाती थी. उन्हें जबरदस्ती दुष्कर्म करवाने के लिए तैयार करती थी. विरोध करने पर पिटती थी. बालिका गृह में हो रही दरिंदगी में शामिल थी. ब्रजेश की बड़ी राजदार रही है.

रोजी रानी (तत्कालीन सहायक निदेशक)- इसे महज 6 महीने की कैद मिली थी.
आरोप: बाल संरक्षण इकाई की सहायक निदेशक थी. लड़कियों ने उसे सारी घटनाओं की जानकारी दी, लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया. उस पर आरोपियों का सहयोग करने का आरोप था.

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