नई दिल्ली: केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने दावा किया है कि मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की “दबाव की रणनीति” के कारण नवंबर 2021 में गोपीनाथ रवींद्रन को कन्नूर विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में फिर से नियुक्त किया गया. यह दावा सुप्रीम कोर्ट द्वारा रवींद्रन की नियुक्ति को रद्द करने के बाद आया है.
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फैसले के तुरंत बाद पत्रकारों से बात करते हुए केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने मुख्यमंत्री कार्यालय पर जोरदार हमला बोला. उन्होंने कहा कि पूरा दबाव CMO का था और विजयन के कानूनी सलाहकार ने उन्हें प्रभावित करने की कोशिश की. मुख्यमंत्री द्वारा इस्तेमाल किए गए शिक्षा मंत्री पर आरोप लगाना गलत है. यह मंत्री नहीं थे जो मेरे कार्यालय में आए थे, बल्कि एक व्यक्ति था जिसने मुख्यमंत्री का कानूनी सलाहकार होने का दावा किया था.
शिक्षा मंत्री से इस्तीफे की मांग
अभी तक न तो केरल सरकार और न ही मुख्यमंत्री ने इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया दी है. विपक्ष के नेता वीडी सतीसन और कांग्रेस नेता ने शिक्षा मंत्री से इस्तीफे की मांग की है. एक महत्वपूर्ण फैसले में, अदालत ने दोनों पक्षों को फटकार लगाई, “अनुचित हस्तक्षेप” के लिए राज्य की आलोचना की और कुलपति को फिर से नियुक्त करने के लिए वैधानिक शक्तियों को “त्याग” करने के राज्यपाल की आलोचना की.
‘दूसरे शब्दों में कहें तो, राज्य का अनुचित हस्तक्षेप…’
CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने केरल उच्च न्यायालय के दो फैसलों को रद्द कर दिया, जिनमें से दोनों ने नियुक्ति को बरकरार रखा और कहा, पुन नियुक्ति का निर्णय बाहरी विचारों से प्रभावित था या दूसरे शब्दों में कहें तो, राज्य का अनुचित हस्तक्षेप. अदालत ने कहा, यह अधिसूचना राज्यपाल द्वारा जारी किए जाने के बावजूद, जो राज्य संचालित विश्वविद्यालयों के पदेन कुलाधिपति हैं और उनके पास मंत्रिपरिषद से स्वतंत्र रूप से कार्य करने की शक्ति है.
SC की पीठ में शामिल न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला ने भी कहा कि अदालत ने कई सवालों को संबोधित किया है, जिसमें यह भी शामिल है कि क्या कार्यकाल तय होने पर पुनर्नियुक्ति की अनुमति है, और “तथ्यों के आधार पर निर्णय लिया गया… कुलाधिपति ने पुनर्नियुक्ति की वैधानिक शक्ति को त्याग दिया या आत्मसमर्पण कर दिया.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कन्नूर विश्वविद्यालय के कुलपति की पुनर्नियुक्ति को रद्द करने का फैसला सुनाया है. अदालत ने कहा कि पुनर्नियुक्ति राज्य सरकार के हस्तक्षेप के कारण खत्म हुई है. ये फैसला केरल सरकार के लिए एक झटका है.
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