इन दिनों दिल्ली की तरह मुंबई भी पूरी तरह से चोक होने लगी है। मुंबई में भी लोगों के लिए सांस लेना मुश्किल हो गया है। तेजी से हो रहे निर्माण कार्य, कचरा जलाना, अत्यधिक भीड़भाड़ ने मुंबई में वायु गुणवत्ता का स्तर गंभीर श्रेणी में पहुंच गया है। यही कारण है कि मुंबई में आसमान में धुंध छाई हुई है।
मुंबई में अधिकारियों ने वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए उपायों की घोषणा की है। मुंबई में वायु प्रदूषण के बढ़ने से आम जनता के बीच लगातार सूखी खांसी, गले में संक्रमण और सांस लेने में कठिनाई जैसी कई स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो गई हैं। प्रदूषण के कारण लोगों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
मुंबई में वायु प्रदूषण की स्थिति बिगड़ती जा रही है
मिड-डे के अनुसार, देश की आर्थिक राजधानी का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) “मध्यम” श्रेणी में बताया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा विश्लेषण किए गए AQI डेटा से पता चला है कि मुंबई, चेंबूर, कोलाबा, खेरवई, मुलुंड (पश्चिम) और सायन के कुल 23 स्टेशनों में से आज AQI 220 के साथ “खराब” वायु गुणवत्ता पर पहुंचा हुआ है। इन जगहों पर क्रमश: 223, 218, 234, और 219 के स्तर पर वायु प्रदूषण देखने को मिला है। इससे पहले दो नवंबर को शहर का AQI “मध्यम” श्रेणी में 152 था।
एक अध्ययन से पता चला है कि पिछले पांच वर्षों में अक्टूबर में शहर की वायु गुणवत्ता में लगातार गिरावट आई है। मुंबई में 2019 और 2023 के बीच प्रदूषकों की मात्रा दोगुनी हो गई है। क्लाइमेट-टेक स्टार्ट-अप रेस्पिरर लिविंग साइंसेज की एक रिपोर्ट के अनुसार मुंबई में अत्यधिक हानिकारक पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 में वृद्धि देखी जा रही है। वहीं वर्ष 2019 और 2020 के बीच PM2.5 में 54.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई। फिर 2023 में 42.1 प्रतिशत बढ़ने से पहले, 2021 में इसमें तीन प्रतिशत और 2022 में 0.9 प्रतिशत की कमी आई।
वायु प्रदूषण को रोकने के लिए तकनीकी कदम
शहर के अधिकारियों ने प्रदूषण से निपटने के लिए एक विस्तृत योजना तैयार की है। पीटीआई के मुताबिक, बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रांसपोर्ट यानी बेस्ट की 350 बसों में धूल और अन्य कणों से अशुद्धियों को हटाने के लिए चरणों में “वाहन पर लगे फिल्टर” लगाए जाएंगे। मुंबई जिले के संरक्षक मंत्री दीपक केसरकर ने कहा, “शुरुआत में, ये अलग होने योग्य एयर फिल्टर बेस्ट की 150 बसों में और बाद में 200 और बसों में लगाए जाएंगे।”
शहर की सार्वजनिक परिवहन प्रणाली ने भी स्वच्छ ईंधन विकल्पों की दिशा में पर्याप्त प्रगति की है। विशेष रूप से, BEST की योजना अगले वर्ष तक 100 प्रतिशत स्वच्छ ईंधन उपयोग प्राप्त करने की है। वर्तमान में, 68 प्रतिशत बसें सीएनजी से चलती हैं, 14 प्रतिशत इलेक्ट्रिक हैं, और केवल 18 प्रतिशत डीजल पर चलती हैं। मुंबई में अधिक ट्रैफिक जाम वाले 10 स्थानों पर वर्चुअल चिमनी लगाई जाएंगी। “ये चिमनियाँ भारी मात्रा में निस्पंदन करेंगी। मुंबई में 50 स्थानों पर वायु शुद्धिकरण के उद्देश्य से “वायु” नामक स्ट्रीटलाइट लगाई जाएगी।
इस संबंध में मंत्री दीपक केसरकर ने कहा परीक्षण के आधार पर छह उद्यानों में वायु शोधन प्रणाली स्थापित की जाएगी, जिसमें डायमंड गार्डन और चेंबूर में एक, शिवाजी पार्क, भायखला में रानी बाग, मरीन लाइन्स में एसके पाटिल उद्यान और वडाला में भक्ति पार्क उद्यान शामिल हैं।” उन्होंने बताया कि “आईआईटी (बॉम्बे) ने विभिन्न कंपनियों की पहचान की है और उनके द्वारा पेश की गई तकनीक का उपयोग मुंबई में परीक्षण के आधार पर किया जाता है। जो तकनीक प्रदूषण कम करने में कारगर साबित होगी, उसे प्राथमिकता दी जायेगी। हमने छह प्रौद्योगिकियों की पहचान की है, जिनमें वाहनों पर लगे एयर फिल्टर भी शामिल हैं।” उन्होंने कहा कि मुंबई नागरिक प्रमुख के अलावा महाराष्ट्र पर्यावरण विभाग प्रौद्योगिकियों के उपयोग की निगरानी कर रहा है।
जानकारी के मुताबिक बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने स्प्रिंकलर, जिन्हें फॉग कैनन भी कहा जाता है से लैस 30 वाहनों का ऑर्डर दिया है। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, रेडीमिक्स कंक्रीट इकाइयों को नोटिस दिए गए हैं। मुंबई जिले के संरक्षक मंत्री दीपक केसरकर ने कहा, उद्योगों को चिमनी की ऊंचाई बढ़ाने का निर्देश दिया गया है। बता दें कि इससे पहले 25 अक्टूबर को, शहर के नागरिक निकाय ने कई उपाय जारी किए, जिसमें यह सुनिश्चित करना भी शामिल था कि 70 मीटर से अधिक ऊंचाई वाली निर्माण परियोजनाओं की परिधि के आसपास कम से कम 35 फीट ऊंची टिन या धातु की चादरें बनाई जाएं।
पीटीआई के अनुसार वर्तमान में मुंबई में लगभग 6,000 साइटों पर निर्माण कार्य चल रहा है। “इन सभी स्थानों पर (जहां निर्माण चल रहा है) धूल और प्रदूषण-नियंत्रण के उपाय लागू किए जाने चाहिए वरना निर्माण रोक दिया जाएगा, चाहे वह निजी हो या सरकारी काम। इसकी जानकारी बीएमसी ने दी थी। उन्होंने कहा कि नगर निकाय ने प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए निषेधात्मक कार्रवाई करने के लिए 15 दिन की समय सीमा और मशीनरी खरीदने के लिए 30 दिन की समय सीमा दी है। उन्होंने कहा, “इस अवधि में हवा की गुणवत्ता में निश्चित रूप से सुधार होगा।”
पटाखों पर कोई प्रतिबंध नहीं
केसरकर ने कहा कि पटाखे फोड़ने पर प्रतिबंध नहीं होगा लेकिन नागरिकों को अपने विवेक का इस्तेमाल करना चाहिए और कम पटाखे फोड़ने चाहिए। दिल्ली जैसी जगहों पर पटाखे फोड़ने पर 100 प्रतिशत प्रतिबंध है। हमें सोचना चाहिए कि अगर कम पटाखे फोड़े जाएंगे तो ज्यादा खुशी होगी और प्रतिबंध भी नहीं लगेगा।” इसके अलावा, बीसीसीआई ने हवा की खराब गुणवत्ता के कारण मुंबई और दिल्ली में क्रिकेट विश्व कप मैचों के दौरान आतिशबाजी के उपयोग को प्रतिबंधित कर दिया है।
मुंबई को कुछ मुकाबलों की मेजबानी करनी है जिसमें एक मुकाबला 7 नवंबर को और सेमीफाइनल 15 नवंबर को खेला जाएगा। इस संबंध में बीसीसीआई सचिव जय शाह ने बुधवार को एक बयान में कहा, ”बीसीसीआई पर्यावरण संबंधी चिंताओं के प्रति संवेदनशील है। मैंने इस मामले को औपचारिक रूप से आईसीसी के सामने उठाया और मुंबई में कोई आतिशबाजी का प्रदर्शन नहीं होगा, जिससे प्रदूषण का स्तर बढ़ सकता है।’
बॉम्बे HC ने स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई की
इससे पहले मंगलवार को बॉम्बे हाई कोर्ट ने मामले का स्वत: संज्ञान लिया और मुंबई और आसपास के इलाकों में “बिगड़ती” AQI पर चिंता व्यक्त की। हाई कोर्ट ने कहा कि “महत्वपूर्ण बात यह है कि आवश्यक स्वास्थ्य सलाह बनाने/जारी करने और नागरिकों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है ताकि वर्तमान में मुंबई में मौजूद AQI के हानिकारक स्तरों से खुद को सुरक्षित रखा जा सके।” हाई कोर्ट ने ये बयान जन जागरूकता बढ़ाने के लिए पहल की कमी को देखते हुए दिया है। मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की सदस्यता वाली पीठ ने कहा, “इस कारक पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है।”