मिसाल! बेजुबानों के लिए फरिश्ते से कम नहीं हैं रिचा, 10 साल कर रहीं सेवा

मो.इकराम/धनबाद. दुनिया के कई हिस्सों में आवारा कुत्ते हैं. ये भोजन और आश्रय के लिए सड़कों, पार्कों और आस-पड़ोस में घूमते रहते हैं. जबकि कुछ लोग इन्हें एक उपद्रव के रूप में देखते हैं, इन जानवरों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को पहचानना और उनकी भलाई सुनिश्चित करने के लिए उचित उपाय करना आवश्यक है. आवारा पशुओं की देखभाल का जिम्मा भी हमारा ही है. सड़कों पर घूमते आवारा पशु, कुत्ता, गाय को अनदेखा करने के बजाय एक सकारात्मक सोच के साथ उनकी सुध लेनी चाहिए. वह भी इसी समाज में हमलोगों के बीच रहते हैं. वह सभी पशु भी हम इंसानों से सेवा भाव की अपेक्षा रखते हैं. यह कहना है पशु प्रेमी झरिया भागा की रहने वाली रिचा सिंह का.

रिचा सिंह एक शिक्षिका हैं. डीएवी पब्लिक स्कूल पुटकी में जॉब कर रही हैं. उन्होंने बताया कि पिछले 10 साल से आवारा पशुओं की देखभाल कर रही हैं. जिनमें ज्यादातर कुत्ते ही होते हैं. उनके लिए रोजाना भोजन का भी प्रबंध करते हैं. अपने घर पर रोजाना इन पशुओं के खाने के लिए रोटी, चावल, सोयाबीन की सब्जी तैयार करती हैं. अपने घर से 3 किमी की रेंज में जहां भी स्ट्रीट डॉग दिखाई दे जाते हैं, उनके आगे खाना रख देती हैं. यह रोज की दिनचर्या में शामिल रहता है. उन्होंने बताया कि खाने के अलावा दूध भी उन्हें देती हैं.

पशुओं की मदद के लिए युवाओं से आगे आने की अपील
रिचा बताती हैं कि इनकी संख्या पर नियंत्रण के लिए इन्हें वेक्सीनेट भी करती हैं. साथ ही अगर कोई पशु घायल अवस्था में दिख जाता है तो उसका उपचार भी करती हैं. उन्होंने युवाओं से भी पशुओं की मदद के लिए आगे आने की अपील की. उन्होंने कहा कि आवारा कुत्तों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और उन्हें अक्सर कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. भोजन और आश्रय के स्थिर स्रोत के बिना, वे कुपोषण, बीमारियों और कठोर मौसम की स्थिति के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं.

वे चोटों, दुर्व्यवहार या दुर्घटनाओं से भी पीड़ित हो सकते हैं, जिससे उनकी दुर्दशा और बढ़ सकती है. नसबंदी और टीकाकरण कार्यक्रम: आवारा कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए सबसे प्रभावी दीर्घकालिक रणनीतियों में से एक नसबंदी और टीकाकरण कार्यक्रम है. ये पहल आवारा जानवरों की बेतहाशा वृद्धि को रोकने में मदद करती हैं और साथ ही बीमारियों के खतरे को भी कम करती हैं.

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