मिसाल! जमीन कम होने पर बिहार के इस गांव के लोगों ने निकाला गजब जुगाड़, इस तरीके से कर रहे कमाई

कुंदन कुमार/गया. खेती कभी पलायन का कारण थी, लेकिन अब इसने लोगों के पलायन पर रोक लगा दी है. बिहार के गया जिले के बांके बाजार प्रखंड क्षेत्र में स्थित दुआरी गांव में पिछले 30 वर्षों से सामूहिक खेती की जा रही है. भूदान में मिली 24 एकड़ जमीन पर 19 परिवार धान, अरहर, तिल, मड़ुवा, मक्का और हरी सब्जी की खेती करते हैं. फसल तैयार होने के बाद अनाज आपस में बराबर हिस्सों में बांट लिया जाता है. बता दें कि पहाड़ के तलहटी में बसे दुआरी गांव में महादलित परिवार सालों से गुजर बसर कर रहे हैं. पहले ये दिहाड़ी मजदूरी या दूसरे प्रदेश में रहकर अपना जीवन यापन करते थे, लेकिन सरकार से भूदान में मिली 24 एकड़ जमीन से गांव की तस्वीर बदल गई है.

भूदान में मिली जमीन पर गांव के लोगों ने सामूहिक खेती शुरू की तो बंजर जमीन हरियाली से लहला उठी. यहां के लोगों को अब दिहाडी मजदूरी या फिर बाहर जाने की नौबत नहीं आती बल्कि खेती बाड़ी से ही अपने परिवार का पालन पोषण हो रहा है. सामूहिक खेती में सीडब्लूएस संस्था ग्रामीणों का हमेशा सहयोग करती है. संस्था के माध्यम से बंजर जमीन को समतल करने के लिए 50 हजार रुपये देने के अलावा कई कृषि यंत्र और खेती के लिए बीज उपलब्ध करवाए गए हैं. खेती में गांव की महिलाएं और पुरुष मिलकर काम करते हैं.

उबड़-खाबड़ पथरीली जमीन को समतल बनाया
जमीन मिलने के बाद ग्रामीणों अपने श्रमदान और संस्था की मदद से उबड खाबड पथरीली जमीन को समतल बनाया और पिछले 30 वर्षों से विभिन्न तरह के खेती कर रहे हैं. 19 एकड़ जमीन पर मुख्य रूप से मक्का, अरहर, तिल, मड़ुवा, हरी सब्जी की खेती की जाती है. जबकि पांच एकड़ जमीन पर धान की खेती की जाती है. प्रत्येक परिवार को एक एकड़ 28 डिसमिल जमीन दी गई थी, लेकिन यहां के ग्रामीण अलग-अलग खेती न कर सामूहिक तरीके से खेती करते हैं.

ग्रामीणों ने कही ये बात
सीडब्लूएस संस्था के सदस्य राम लखन प्रसाद ने बताया कि 2005 से पूर्व इन्हें काफी परेशानी हुई थी, लेकिन कागजी प्रक्रिया पूरा होने के साथ भूदान में जमीन मिलने के बाद सामूहिक तरीके से खेती करना शुरू कर दिए. सामूहिक खेती में सभी लोग अपनी पूंजी लगाते हैं. फसल के उत्पादन होने के बाद अपना पूंजी काटकर फसल को आपस में बांट लिया जाता है. ग्रामीण राजकुमार मांझी और देवंती देवी का मानना है कि खेती से अच्छी आमदनी हो जाती है और मजदूरी करने या काम करने के लिए अब बाहर नहीं जाना पड़ता. सालों भर इस जमीन पर कई तरह के फसल उगाते हैं. ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि इस इलाके में खेतों के पटवन के लिए सिंचाई की व्यवस्था हो जाए तो पैदावार और बेहतर हो सकती है.

Tags: Bihar News, Farming, Farming in India, Vegetable

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