मिलिए अल्मोड़ा के इस रावण से, 33 साल से दशानन बन रहे उत्तराखंड के पूर्व दर्जा मंत्री

रोहित भट्ट/ अल्मोड़ा. उत्तराखंड के लगभग सभी जिलों में इन दिनों रामलीला का मंचन हो रहा है. अल्मोड़ा की रामलीला (Almora Ramlila) देशभर में मशहूर है. यहां कइयों जगह पर रात की रामलीला का मंचन होता है. हजारों की संख्या में दर्शक पहुंचते हैं. उत्तराखंड के पूर्व दर्जा मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बिट्टू कर्नाटक (Bittu Karnatak) पिछले 43 साल से रामलीला में पाठ खेल रहे हैं.जब भी वह मंच पर आते हैं और संवाद शुरू करते हैं, तो देखने वाले बस देखते रह जाते हैं. कर्नाटक ने पहली बार 1980 में रामलीला में पाठ खेला था. जिसके बाद से वह हर साल रामलीला में पाठ खेलते आ रहे हैं.

उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष बिट्टू कर्नाटक ने ‘लोकल 18’ से बातचीत में कहा कि अल्मोड़ा की रामलीला सबसे अनूठी और पुरानी रामलीला है. 1860 में इसकी शुरुआत हुई थी और आज विभिन्न जगहों पर रामलीला का मंचन हो रहा है. यहां की रामलीला शास्त्रीय संगीत और गायन शैली पर आधारित है. इसमें राग, जय-जयवंती सुनने के लिए मिलती है. उनका मानना है कि शायद ही ऐसी रामलीला कहीं और होती होगी.

33 साल से निभा रहे रावण का पात्र

बिट्टू कर्नाटक ने बताया कि 1980 में उन्होंने अल्मोड़ा के धौलछीना में सबसे पहले रामलीला का पाठ खेला था, जिसमें उन्होंने लक्ष्मण का किरदार निभाया था. इसके बाद उन्होंने राम, मेघनाथ व अन्य पात्र भी निभाए. श्री भुवनेश्वर महादेव रामलीला समिति अल्मोड़ा में वह पिछले 33 साल से रावण के पात्र को निभा रहे हैं.

‘पहले और अब की रामलीला में काफी अंतर’

बिट्टू कर्नाटक ने कहा कि पहले की रामलीला और अब की रामलीला में काफी अंतर आ गया है. पहले पेट्रोमैक्स से रामलीला का आयोजन किया जाता था और आज तमाम प्रकार की लाइट आ चुकी हैं. इसके अलावा पहले हैंगिंग माइक से संवाद किए जाते थे और आज कॉलर माइक आ चुके हैं और इससे आने वाला समय और भी एडवांस होगा. वहीं रामलीला फेसबुक के माध्यम से लाइव भी दिखाई जा रही है. उन्होंने कहा कि हर किसी को एक न एक बार अल्मोड़ा की रामलीला और यहां का दशहरा जरूर देखना चाहिए.

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