मिनी स्विट्जरलैंड चोपता बनेगा ईको टूरिज्म प्लेस, इन लोगों की रहेगी अहम भूमिका

सोनिया मिश्रा/रुद्रप्रयाग. मिनी स्विट्ज़रलैण्ड के नाम से प्रसिद्ध उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिलें की चोपता घाटी में इको टूरिज्म जोन तैयार होने जा रहा है. वन विभाग ने इसके लिए कवायद भी शुरू कर दी है और इसके लिए विभाग ने इको टूरिज्म बोर्ड से साढ़े तीन करोड़ रुपए की लागत का प्रस्ताव भी दिया है और बोर्ड की स्वीकृति मिलने के तुरंत बाद आगे की तैयारियां की जाएगी.

प्रभागीय वनाधिकारी रुद्रप्रयाग अभिमन्यु ने बताया कि मुख्य सचिव ने सभी जिलों मेें इकोे टूरिज्म जोन तैयार करने के निर्देश दिए हैं. वन विभाग द्वारा किए गए सर्वे के आधार पर चोपता घाटी को जिले में इसके लिए सबसे उपयुक्त स्थान माना गया है, क्योंकि चोपता में देश-विदेश से पर्यटक हर साल पहुंचते हैं. यहां दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर तुंगनाथ स्थित है जिसके दर्शनों को प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. इसके अलावा विंटर टूरिज्म के लिए भी हजारों पर्यटक हर साल यहां आते हैं यहां पर व्यवस्थित टूरिज्म जोन विकसित होने से राज्य सरकार और स्थानीय जनता दोनों को लाभ होगा. विभाग ने लैंडस्केप आर्किटेक की मदद से साढ़े तीन करोड़ की लागत की डीपीआर इको टूरिज्म बोर्ड और शासन को भेज दी है स्वीकृति मिलने पर फेज-1 का कार्य 2023-24 व फेज-2 का कार्य 2024-25 में किया जाएगा.

500 हैक्टेयर में तैयार होगा जोन
चोपता इको-टूरिज्म जोन कुल 500.00 हैक्टियर क्षेत्रफल में तैयार होगा. जिसमें NH-107A के आस-पास के रागसी, मक्कू और उषाडा आरक्षित वन के क्षेत्र को सम्मलित किया जाएगा. इसका मुख्य आकर्षण इको पार्क, ट्री हाउस, बर्ड-इण्टरप्रेटेशन सेंटर और कल्चरल व हेरिटेज सेंटर होंगे. इको-टूरिज्म विकास के समस्त कार्यों को इको-फ्रेंडली तरीके से प्रकृति को अनावश्यक छेड़छाड़ किए बिना तैयार किया जाएगा. NH-107A के आस-पास फोटो प्वाइंट, साइनेज और जानवरों के थ्री डी माॅडल भी स्थापित किए जाएंगे. उषाडा वन पंचायत के आरक्षित वन क्षेत्र में इको-पार्क विकसित किया जाएगा. इसमें इको-टेल, ट्री हाउस, एडवेंचर गतिविधियां व कैनोपी ब्रिज, फोटो प्वाइंट, साइनेजेज आदि विकसित किए जाएंगे, जिससे पर्यटकों को प्रकृति के बीच सुखद समय व्यतीत करने का मौका मिले.

स्थानीय लोग करेंगे संचालन
जिले में तैयार होने जा रहे इको-टूरिज्म जोन में स्थानीय लोगों और वन पंचायत की अहम भूमिका होगी. इनकी मदद से ही कैम्पिंग साइट का संचालन, पार्किंग, एडवेंचर स्पोर्ट का संचालन, ट्रेकिंग, बर्ड वाचिंग गाइड, अपशिष्ट कूड़ा प्रबंधन आदि कार्य वन विभाग की देखरेख में किए जाएंगे. इको-टूरिज्म जोन में पर्यावरण संरक्षण और सुधार कार्य हेतु बुग्यालों को जियो जूट विधि से उपचार, जल और मृदा संरक्षण कार्य और सुरक्षा व संचालन हेतु इन्टेंन्स प्लाजा, चेकपोस्ट का निर्माण व अपशिष्ट प्रबंधन हेतु उचित व्यवस्था की जाएगी. स्थानीय लोगों व पर्यटकों की सुविधा के लिए बायो-टाॅयलेट, फूड कैफे, टूरिस्ट इन्फाॅरमेशन बूथ, सोवेनियर शाॅप भी विकसित किए जाएंगे. वहीं औषधीय और सगंध पादपों के संरक्षण हेतु हर्बल गार्डन की भी स्थापना की जाएगी. कल्चर एंड हेरिटेज सेंटर में पारंपरिक वेशभूषा, पुरातन औजार, क्षेत्र के हस्तकृति की झलक के साथ-साथ स्थानीय लोक कथा, धार्मिंक आस्था व आध्यात्मिक महत्व की जानकारी मिलेगी. कैम्प साइट हेतु चयनित क्षेत्र में ही परमिट के आधार पर स्थानीय ग्रामीणों को सर्शत अनुमति दी जाएगी.

Tags: Local18, Tourist Places, Uttrakhand

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *