मिथिला के स्थानीय कलाकार का छलका दर्द! मंच नहीं मिलने पर गाने के जरीए कह दी बड़ी बात

अभिनव कुमार/दरभंगा : मिथिलांचल में मैथिली कलाकारों की कमी नहीं है. यहां के कलाकार देश विदेशों में अपनी कला प्रदर्शन से लाखों-करोड़ों लोगों का दिल जीत लेते हैं, लेकिन खुद के गृह क्षेत्र में आकर ऐसे कलाकारों का हौसला टूट जाता है. इसके लिए मिथिला मैथिली कलाकारों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है. यहां के कलाकारों को ऐसा लगता है कि जो प्लेटफार्म या जो मुकाम उन्हें मिलना चाहिए. वह मैथिली कलाकारों को नहीं मिल पाता है. विद्यापति मंच स्थानीय कलाकार को मिल जाता है तो यहां के कलाकार अपने आप को धन्य समझते हैं. ऐसे में कलाकरों के बीच असंतोष पैदा हो रहा है.

आज भी मिठास को बढ़ा रहे हैं आगे

कलाकार रोहित चौधरी ने बताया कीस्थानीय कलाकारों की जो दर्द है वह साफ तौर पर बयां करता है कि सरकार से कितनी नाराजगी है. मैथिली भाषा अपनी सुरीली और मिठास के कारण जाना जाता है. आजकल दूसरी भाषाओं के कलाकारों के द्वारा सभ्यता और संस्कृति को ताक पर रखकर गाने बनाए जाते हैं. जिसमें यह आम हो गया है कि किसी भी जाति को या फिर किसी व्यक्ति विशेष को गीत के माध्यम से जलील करना होता है. वही मिथिला के कलाकार अपनी सभ्यता और संस्कृति को बढ़ावा देते हुए आज भी उस मिठास को लेकर आगे बढ़ रहे हैं.

पहले गीत से पता लगता था कहीं हो रही है शादी

दरभंगा के मैथिली कलाकार रोहित चौधरी ने बताया कि लोग अपने संस्कृति अपने कल्चर को भूलते जा रहे हैं. आज जब शादी विवाह होती है तो पहले जब कहीं शारदा सिन्हा जी कीगीत बजतीथी, तो लगता था शादी हो रहीहै. लेकिन आज देखिए तो भोजपुरी के अश्लील गानों का प्रचलन हमारे मिथिलांचल में भी हो गया है.

मिथिलांचल के कलाकारों को या मैथिली भाषा को जो मुकाम मिलना चाहिए वह अभी तक नहीं मिल पाया है. तो मुझे लगता है कि अगर मिथिला राज्य बन जाता तो मिथिलांचल के कलाकारों को बहुत ही फायदा होगा. आज गंगा के उस पार अगर चले जाइए तो भोजपुरी कलाकारों को क्या नहीं मिलता है, लेकिन मिथिलांचल के कलाकारों को कुछ भी नहीं मिल पाता बहुत से बहुत विद्यापति मंच उसमें जो कलाकार गया आज के दौर में वही मिथिलांचल का स्टार हैं.

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