देवास. 2024 के पद्म पुरस्कार का ऐलान कर दिया गया है. इस साल मध्य प्रदेश की 4 हस्तियों को पद्मश्री सम्मान से नवाजा जाएगा. इसमें मालवा क्षेत्र के जाने माने भजन गायक कालूराम बामनिया का भी नाम शामिल है. देवास के कालूराम बामनिया को कला के क्षेत्र में पद्मश्री सम्मान मिलेगा. उन्होंने भजन के जरिए विदेश तक कबीर को पहुंचाया है.
‘मालवा के कबीर’ के नाम से मशहूर कालूराम बामनिया कई पीढ़ियों से इस गायन कला को जिंदा रखने में महत्वपूर्ण योगदान निभा रहे हैं. लोक गायक कालूराम बामनिया को पद्मश्री पुरस्कार से विभूषित किया गया है. कालूराम देवास जिले के टोंकखुर्द के रहने वाले हैं और पारंपरिक निर्गुण भक्ति के गायक हैं. वे कबीर, गोरखनाथ, बन्नानाथ और मीरा के भजन को अपने अनूठे तरीके से प्रस्तुत करते हैं.
जानें कौन हैं कालूराम बामनिया
टोंकखुर्द के रहने वाले कालूराम बामनिया का पद्मश्री अवार्ड के लिए चयन हुआ है. मध्य प्रदेश में चार लोगों का चयन इस अवार्ड के लिए हुए है. इसमें देवास के टोंकखुर्द निवासी कबीर और मीरा के भजनों के लिए प्रख्यात भजन गायक कालूराम बामनिया को इस उपलब्धि के लिए चुना गया है. सम्मान मिलने की घोषणा के बाद उन्हें बधाई देने के लिए उनके घर लोगों का तांता लग गया.
उन्होंने इस सम्मान को अपने पिता और दादा को समर्पित किया है. परिवार के लोगों की खुशी का ठिकाना भी नहीं है. बामनिया टोंकखुर्द के पास कनेरिया गांव में जन्मे और प्रारंभिक शिक्षा यही से प्राप्त की. बामनिया को पद्मश्री अवॉर्ड मिलने की जानकारी लगने के बाद लोगों में खुशी है कि छोटे से गांव के बामनिया को आज देश का एक बड़ा पद्मश्री पुरस्कार दिया जा रहा है.
बामनिया ने बताया कि वह अभी तक 5000 से ज्यादा स्कूलों में जाकर बच्चों को कबीर वाणी अन्य संगीत की शिक्षा दे चुके हैं. बामनिया चाहते हैं कि इस कला के लिए अलग से संस्थान होना चाहिए जिससे कि विलुप्त होती जा रही यह कला को सहेजी जा सके. वहीं देवास शाजापुर लोकसभा की बात करें तो कबीर के भजनों के लिए मिलने वाले पद्मश्री में यह दूसरा पद्मश्री क्षेत्र में मिला है. इसके पहले प्रसिद्ध कबीर भजन गायक प्रहलाद टिपानिया को यह सम्मान दिया जा चुका है.
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FIRST PUBLISHED : January 26, 2024, 18:28 IST