शुभम मरमट / उज्जैन. पंचांग के अनुसार इस बार 20 मार्च रंगभरी एकादशी आ रही है. हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है. फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी के रंगभरी एकादशी के नाम से जाना जाता है. यह एकादशी सभी एकादशी में सर्वश्रेष्ठ है. यूं तो एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है लेकिन ये इकलौती एकादशी है जिसमें भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा की जाती है.आइए जानते ऐसा क्यों.
ज्योतिषआचार्य रवि शुक्ला ने लोकल 18 से कहा कि रंगभरी एकादशी महाशिवरात्रि पर्व के बाद मनाई जाती है. पौराणिक मान्यता है कि भगवान शिव ने महाशिवरात्रि के दिन माता पार्वती से विवाह करने के बाद रंगभरी एकादशी के दिन काशी गए थे. एकादशी के दिन ही माता पार्वती का गौना हुआ था. रंगभरी एकादशी के पावन पर्व पर न सिर्फ काशी बल्कि कृष्ण के ब्रज मंडली और महाकाल कि नगरी में भी रंगों का यह पावन पर्व बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है.
रंगभरी एकादशी का शुभ समय व तिथि
फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की रंगभरी एकादशी का शुभारंभ 19 मार्च, दिन मंगलवार को रात 12 बजकर 22 मिनट से होगा. वहीं, इसका समापन 20 मार्च, दिन बुधवार को रात 2 बजकर 23 मिनट पर होगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, रंगभरी एकादशी का व्रत 20 मार्च को रखा जाएगा.
रंगभरी एकादशी के दिन जरुर करे यह उपाय
– यदि आपके वैवाहिक जीवन में कोई समस्या है तो आपको रंगभरी एकादशी पर भगवान शिव और माता पार्वती की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए. भगवान शिव को बेलपत्र, लाल या गुलाबी गुलाला और माता पार्वती को सिंदूर के साथ सुहाग की सामग्री अर्पित करें. इस उपाय को करने से दांपत्य जीवन सुखमय होगा और प्रेम संबंध भी मजबूत होंगे.
– रंगभरी एकादशी के दिन केले के पेड़ की पूजा करें और पति-पत्नी साथ में कलावा बांधते हुए 7 परिक्रमा लगाएं.इस उपाय को करने से आपके जीवन का क्लेश दूर होगा. अगर संतान प्राप्ति में बाधा आ रही है तो उस समस्या से भी जल्दी ही निजात मिल जाएगा और संतान सुख मिलेगा.
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FIRST PUBLISHED : March 15, 2024, 15:07 IST