मार्गशीर्ष महीने में कब है प्रदोष व्रत,ज्योतिष से जानें,शुभ मुहूर्त,पूजा विधी

 परमजीत कुमारर/देवघर.हर महीने के दोनों पक्षो के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत आता है. प्रदोष का अर्थ होता है गोधूलि बेला यानी संध्या समय. अलग-अलग दिनों में पड़ने वाले प्रदोष व्रत का महत्वा भी अलग-अलग होता है. माना जाता है कि भगवान शिव को त्रयोदशी तिथि के प्रदोष का समय बहुत ही प्रिय है.

जैसे सावन का महीना ठीक उसी तरह.प्रदोष व्रत के समय भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा आराधना की जाती है. भक्त को रुद्राक्ष की माला विभूति और चंदन का लेप लगाकर प्रदोष व्रत के समय भगवान शिव की पूजा आराधना करनी चाहिए.वही 28नवंबर से मार्गशीर्ष महीने की शुरुआत हो चुका है.इस महीने का प्रदोष व्रत खास महत्व रखता है. तो आईये देवघर के ज्योतिषआचार्य से जानते हैं कि कब है मार्गशीर्ष महीना का पहला प्रदोष व्रत और क्या महत्व है?

क्या कहते है देवघर के ज्योतिषआचार्य
देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 से कहा कि हर महीने की त्रयोदशी तिथि के प्रदोष काल भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे उत्तम समय माना जाता है. इस दिन व्रत रखकर प्रदोष काल मे यानी गोधूलि बेला मे व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पुजा आराधना करनी चाहिए. इससे जातक की मनोकामना भगवान भोलेनाथ जल्द सुनते है.वहीं इस साल मार्गशीर्ष महीना का पहला प्रदोष व्रत 10दिसंबर रखा जाएगा.मार्गशीर्ष महीना भगवान विष्णु का प्रिय महीना माना जाता है और प्रदोष का दिन भगवान शिव को जो भी भक्त प्रदोष के दिन भगवान शिव की पुजा आराधना करेगा उसको दोगुनी फल की प्राप्ति होगी. सभी तरह के संकट से मुक्ति मिलेगी. वही इस दिन रविवार पड़ने के कारण यह रवि प्रदोष कहलाता है.इस दिन व्रती को सिर्फ हरा मुंग का हीं सेवन करना चाहिए.

प्रदोष व्रत की तिथि
प्रदोष का व्रत हर महीने त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है. वही मार्गशीर्ष महीने की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 10 दिसंबर दिन रविवार सुबह 10 बजकर 56 मिनट से हो रहा है और समापन अगले दिन यानी 11 दिसंबर दिन सोमवार को सुबह के 09बजकर 36मिनट को हो रहा है.प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में की जाती है इसलिए इसमें उदयातिथि ना मानते हुए प्रदोष का व्रत 10 दिसंबर दिन रविवार को रखा जाएगा.

पुजा का शुभ मुहूर्त
ऋषिकेश पंचांग के अनुसार प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल की शुरुआत संध्या 5बजकर 46 मिनट से हो रहा है और खत्म संध्या 8बजकर 36मिनट में होने वाला है. इस मुहूर्त में भक्ति रुद्राक्ष की माला पहनकर विभूति और चंदन का लेप लगाकर राम नाम लिखा तुलसी भगवान शिव के शिवलिंग के ऊपर अर्पण करना चाहिए. इसके साथ ही इस दिन भगवान शिव के शिवलिंग के ऊपर जलाभिषेक अवश्य करें. इससे भक्तों के जीवन में आने वाले सभी तरह के कष्ट से छुटकारा मिलता है और ग्रह नक्षत्र के दोष से मुक्ति मिलती है.

Tags: Deoghar news, Jharkhand news, Local18, Religion 18

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *