दुर्गेश सिंह राजपूत/नर्मदापुरम. पितृपक्ष के दौरान इन दिनों शहर में श्राद्धकर्म और तर्पण हो रहे हैं. नर्मदा नदी के सेठानीघाट, विवेकानंद, कोरीघाट, मंगलवार घाट सहित सभी नर्मदा घाटों पर ब्राह्मणों द्वारा विधि विधान से तर्पण श्राद्धकर्म कराएं जा रहे हैं. सेठानीघाट पर बड़ी संख्या में लोग तिथि के अनुसार श्राद्ध करा रहे हैं. इस सप्ताह कुछ खास तिथि होंगी. तिथि के अनुसार तर्पण किया जाएगा. इसके साथ ही 14 अक्टूबर को पितृमोक्ष अमावस्या तक प्रतिदिन पितरों को जल देकर उनके मोक्ष के लिए ब्राह्मण को भोजन भी कराया जाता है.
मातृ नवमी को श्रद्धा कर्म
शनिवार को नवमी तिथि मातृ नवमी के रूप में मनाई जाती है. मातृ नवमी के दिन माताएं, बहुएं और बेटियों का श्राद्ध कर्म किया जाता है, जिनकी मृत्यु सुहागिन हुई हो. मान्यता है कि इस दिन दिवंगत महिलाओं का श्राद्ध करने से घर में सुख शांति और समृद्धि बढ़ती है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन परिवार की महिलाओं को विधि-विधान से श्राद्ध करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. नवमी तिथि सुहागिन की मृत्यु की मनाई जाती है. रहते होती है इससे पिता प्रसन्न होकर आपको आशीर्वाद देते हैं.
ब्राह्मणों को भोजन से पितरों को मिलती है मुक्ति
इस संबंध में पं सोमेश परसाई ने बताया कि सर्व पितृमोक्ष अमावस्या पर हम जिन जिन पूर्वजों की तिथि को भूल गए हैं. इस अमावस्या को उन सभी का श्रद्धा कर सकते हैं. पितृ मोक्ष का अर्थ यह है कि जितने भी हमारे पितर हैं. तृप्ति जल दान,अन्नदान ब्राह्मणों को भोजन दान करने मात्र से पितरों को मुक्ति मिल जाती है. खास बात तो ये है कि जो लोग साल भर दान धर्म नहीं करते हैं. वे लोग इस पितृमोक्ष अमावस्या पर दान धर्म करते हैं तो उन्हें पूरे वर्ष भर का फल प्राप्त होता है. पितृ भी मुक्त हो जाते है ओर सुख शांति भी मिल जाती है.
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FIRST PUBLISHED : October 7, 2023, 15:10 IST