माता सती अनुसुईया के तप से प्रकट हुई थी मंदाकिनी नदी, पुरानी है मान्यता, ये है इसका इतिहास

विकाश कुमार/ चित्रकूट: चित्रकूट की जीवनदायनी कही जाने वाली मां मंदाकिनी नदी का विशेष महत्व है. ऐसी मान्यता है कि सारे तीर्थ भी अपने पाप धोने के लिए मां मंदाकिनी नदी में आते हैं. इसलिए इसका महत्व और बढ़ जाता है. इसलिए इसमें स्नान करने के लिए हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु चित्रकूट की मंदाकिनी नदी पहुंचते हैं.

मंदाकिनी नदी यमुना की एक छोटी सहायक नदी है, जो मध्य प्रदेश से सतना जिले से निकल कर उत्तर प्रदेश में कर्वी में यमुना नदी में मिल जाती है. नदी के तट पर रामघाट नाम का एक घाट भी बना हुआ है. जहां मान्यताओं के अनुसार श्री-राम ने अपने चित्रकूट निवास के दौरान स्नान किया करते थे. माता सती अनुसुइया ने अपनी तपस्य्या से इस नदी को अवतरित किया था.

ऋषि अत्री की प्यास बुझाने मंदाकिनी
आपको बता दें कि इस मंदाकिनी नदी को ऋषि अत्री की प्यास बुझाने के लिए अनुसुईया ने नदी को उस समय प्रकट किया था, जब अत्री महाराज तपस्या में लीन थे. उसी समय तपस्या के मध्य अत्री महाराज ने जल की मांग की थी. तब से आज तक चित्रकूट में मंदाकिनी नदी बह रही है. मंदाकिनी नदी में भक्तदूर दराज से स्नान करने के लिए आते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.

देव गंगा मां पृथ्वी पर प्रकट हुईं
चित्रकूट भरत मंदिर के महाराज दिव्य जीवनदास बताते हैं कि मंदाकिनी नदी का उद्गम अनसूया आश्रम से हुआ है. जिस समय अवर्षण की परिस्थिति थी. अत्रि महाराज तपस्या में लीन थे. सारे सरोवर जल सूखाग्रस्त थे. उसी समय तपस्या के मध्य अत्री महाराज ने जल की मांग की थी. अनसूया जी का पति व्रत धर्म था कि जो भी पति आज्ञा करेंगे. हम उस आज्ञा का पालन करेंगे और माता अनसूया कमंडल लेकर निकल पड़ी और सभी जगह भ्रमण की. लेकिन कहीं भी जल की प्राप्ति नहीं हुई. तब उन्होंने देव गंगा को पुकारा और बोली हे मां मेरा पति व्रत धर्म नष्ट होने की कगार में है. इसकी सुरक्षा आप ही कर सकती हो. यह सुन देव गंगा मां पृथ्वी लोक में प्रकट होती है और माता अनसूया के प्रभाव से वह बहुत महत्वपूर्ण नदी बन जाती है.

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FIRST PUBLISHED : October 16, 2023, 10:52 IST

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