माता लक्ष्मी को क्यों धारण करना पड़ा था “बेर के पेड़” का रूप? स्कंदपुराण में हैं वर्णन

सोनिया मिश्रा/चमोली. हिंदुओं की आस्था का प्रतीक बद्रीनाथ धाम की कई मान्यताओं हैं. स्कन्द पुराण में इस मंदिर का वर्णन करते हुए लिखा गया है कि “बहुनि सन्ति तीर्थानी दिव्य भूमि रसातले. बद्री सदृश्य तीर्थं न भूतो न भविष्यतिः..”, अर्थात स्वर्ग, पृथ्वी तथा नर्क तीनों ही जगह पर अनेकों तीर्थ स्थान हैं, परन्तु फिर भी बद्रीनाथ जैसा कोई तीर्थ न कभी था, और न ही कभी होगा. यहीं कारण है कि देश-विदेश से यहां प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु धाम के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. धाम का नाम बद्रीनाथ रखे जाने की की रोचक कहानी है. मान्यता है कि माता लक्ष्मी के त्याग की वजह से इस क्षेत्र का नाम बद्रीनाथ रखा गया.

देवभूमि उत्तराखंड के चमोली जिले में बद्रीनाथ धाम स्थित है. जो सभी सनातनियों की आस्था और विश्वास का केंद्र बिंदु है. कहा जाता है कि जब भगवान विष्णु ध्यान मुद्रा ने तपस्या कर रहे थे तो यहां बहुत तेज हिमपात हुआ. जिससे भगवान विष्णु बर्फ में पूरी तरह से दब गए. जिसे देखते हुए मां लक्ष्मी ,भगवान विष्णु को धूप, बारिश और बर्फ से बचाने में जुट गई. जब मां लक्ष्मी से भगवान की दशा देखी नहीं गई तो उन्होंने बदरी यानी बेर के पेड़ का रूप धारण किया भगवान विष्णु की रक्षा करने लगी.

स्कंदपुराण में इस कथा का वर्णन
जब कई वर्षों बाद भगवान विष्णु तप से जागे तो बदरी वृक्ष के रूप में माता लक्ष्मी बर्फ से पूरी तरह से ढकी थी. जिसे देख विष्णु ने कहा कि तुमने भी मेरे समान ही तप किया है. इसलिए अब से इस स्थान पर मुझे तुम्हारे ही साथ पूजा जाएगा. क्योंकि तुमने मेरी रक्षा बदरी रूप में की है इसलिए मुझे बदरी के नाथ यानी ‘बद्रीनाथ’ के रूप में जाना जाएगा. इस प्रकार भगवान विष्णु का एक नाम बद्रीनाथ पड़ा. पूर्व धर्माधिकारी भुवन उनियाल बताते हैं कि इस कथा का उल्लेख स्कंदपुराण में है.

18 नवंबर को बंद होगे धाम के कपाट
बद्रीनाथ धाम के कपाट प्रतिवर्ष अप्रैल के महीने में सभी श्रद्धालुओं के लिए खोले जाते हैं और धाम के कपाट शीतकाल में बंद कर दिए जाते हैं. इस वर्ष भी 18 नवंबर को शाम 3.33 बजे धाम के कपाट बंद हो जाएंगे. धाम के कपाट बंद होने के बाद उद्धव जी और कुबेर जी की डोली पांडुकेश्वर में निवास करती है. जबकि आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी जोशीमठ स्थित नृसिंह मंदिर में विराजित होती है.

(NOTE: इस खबर में दी गई सभी जानकारियां और तथ्य मान्यताओं के आधार पर हैं. LOCAL 18 किसी भी तथ्य की पुष्टि नहीं करता है.)

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