ईशा बिरोरिया/ ऋषिकेश. हिंदू धर्म के अनुसार माघ के महीने में तिल दान का विशेष महत्व है. तिल वैसे तो सबसे बहुत छोटी वस्तु मानी जाती है, लेकिन इसका दान सबसे महत्वपूर्ण दान माना जाता है. वहीं माघ महीने में इसके दान से व्यक्ति को कई फायदे होते हैं. Local 18 के साथ बातचीत में उत्तराखंड के ऋषिकेश निवासी पुजारी प्रकाश चंद्र जोशी बताते हैं कि सूर्य के मकर राशि में प्रवेश से उत्तरायण का प्रारंभ होता है, जिसकी वजह से माघ मास से तिल-तिल दिन की लंबाई बढ़ती जाती है, वहीं रात छोटी होने लगती है. इसके साथ ही प्रकाश की चमक अन्धकार के अस्तित्व को मिटा देती है. सूर्य का प्रकाश उत्तर दिशा से आता है और उत्तर ही देव दिशा है. उत्तरायण में देवताओं का दिन और असुरों की रात होती है. उत्तर से आने वाले प्रकाश में दैवीय ऊर्जा और दैवीय अस्तित्व की प्रधानता होती है, जो भी व्यक्ति माघ मास में ब्राह्मणों को तिल दान करता है, वह समस्त जंतुओं से भरे हुए नर्क का दर्शन नहीं करता है और उसे स्वर्ग की प्राप्ति होती है.
तिल दान के साथ ही कंबल और घी का करें दान
प्रकाश चंद्र जोशी बताते हैं कि हमारे ग्रंथों में ऐसा लिखा है कि ‘माघ मासे तिलान् वस्तु ब्राह्मणे भ्यप्रयच्छति, सर्वतत्व समाकीर्ण नरकंसन पश्यति’. इस मास में तिल दान के साथ-साथ शिव मंदिर में तिल के तेल का दीपक जलाया जा सकता है. तिल सहित चावल से शंकर जी का पूजन किया जाता है. काले तिल से पित्र तर्पण किया जाता है. दान पुण्य के बारे में कहा गया है कि ‘माघ मासे महादेव योदध्यात घृतकम्बलम, सभुत्मा सकलान भोगान् अंतेमोक्षचं विनंदति’, अर्थात, इस मास में घी और कंबल दान का विशेष महत्व है. इसका दान करने वाले संपूर्ण भोगों को भोगकर मोक्ष को प्राप्त होता है. ‘रवि संक्रमणे प्रासेन स्नानाध्यस्तु मानव: सप्तजन्मनि रोगो स्द्यन्निध्र्नक्ष्चैव जायते’, अर्थात, सूर्य संक्रांति के दिन जो मनुष्य स्नान नहीं करते, वह सात जन्मों तक रोगी रहते हैं.
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FIRST PUBLISHED : January 22, 2024, 17:41 IST