मां दुर्गा के इस रूप की पूजा करने से होती है पुत्र की प्राप्ति! इस चीज का जरूर लगाएं भोग

धीरज कुमार/किशनगंज. नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि का प्रारंभ रविवार 15 अक्टूबर को पहला दिन मां शैलपुत्री के पूजा से आरंभ हुआ. वहीं कल यानी पांचवीं पूजा स्कंदमाता को समर्पित है. नवरात्रि के 5वें दिन माता के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा की जाती है. मान्यता है कि स्कंदमाता की पूजा करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है. कहा जाता है कि अगर किसी को पुत्र नहीं हो रहा है, तो नवरात्रि के पांचवी पूजा के दिन स्कंदमाता की पूजा करने से उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है.

वहीं माता को प्रसाद में खीर और हलवे का भोग लगाया जाता है. अड़हुल का फूल स्कंदमाता को अति प्रिय है ऐसा कहा जाता है कि स्कंदमाता की कृपा से मूढ़ भी ज्ञानी हो जाता है.

शक्ति धाम दुर्गा मंदिर में कई भक्तों की मुराद होती है पूरी
Local-18 बिहार से बात करते हुए किशनगंज शक्तिधाम दुर्गा मंदिर के मुख्य पुजारी नंदकिशोर पोद्दार ने बताया कि नवरात्रि यानी मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. अभी तक चार माता के चार रूपों की पूजा हो चुकी है. कल यानी पांचवीं पूजा के दिन माता के स्कंद माता स्वरूप की पूजा की जाएगी. स्कंदमाता के बारे में कहा जाता है कि स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण उनका नाम स्कंदमाता पड़ा. वहीं माता को पुत्र काफी प्रिय है.

पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसी मान्यताएं हैं कि जिस दंपति को पुत्र रत्न की प्राप्ति नहीं हो रही है. अगर वह प्रातः काल स्नान करके स्कंदमाता की पूजा करेंगे तो उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति अवश्य होगी. मां उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करेगी. वहीं पुजारी के अनुसार माता को प्रसाद में खीर और हलवे का भोग लगाया जाता है. अरहुल का फूल चढ़ाया जाता है.

उन्होंने आगे बताया कि किशनगंज के शक्ति धाम दुर्गा मंदिर में अब तक कई भक्तों की मुराद माता ने पूरी की है. यहां पर काफी दूर-दूर से लोग आते हैं. नवरात्रि में पूजा यहां पर आने वाले हर भक्त की मनोकामनाएं माता पूरी करती है. स्कंद माता की पूजा करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति माता की कृपा से अवश्य पूरी होगी.

देवी स्कंदमाता का स्वरूप
स्कंदमाता का वाहन सिंह है. देवी स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं. अपनी दाईं ओर की भुजा से देवी स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं और नीचे भुजा में कमल का फूल है. बाईं ओर ऊपर की भुजा में वरदमुद्रा में है और नीचे भुजा में भी कमल का फूल है. इनका वर्ण बिल्कुल शुभ्र है. कमल पर विराजमान होने के कारण इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है. देवी स्कंदमाता की पूजा करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है.

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