मां के हाथ का स्‍वाद… महज 5 घंटे में बिक जाते हैं 1000 समोसे, चटनी के साथ मिलती है देसी छाछ

अर्पित बड़कुल/ दमोह: मध्‍य प्रदेश के दमोह जिले के लोग सुबह उठकर नाश्ते में समोसा खाना पसंद करते हैं. यही वजह है कि जिले में अधिकांश दुकानें समोसे और चाट की हैं. उन्हीं में गोरे लाल की दुकान शामिल है. यह दुकान सुबह 7 बजे खुलती है और करीब 11 बजे बंद हो जाती है. इस दुकान पर महज 5 घंटे में 1000 समोसे बिक जाते हैं.

बीते 15 साल से समोसे की दुकान लगा रहे संदीप रैकवार ने बताया कि समोसे बनाने के लिए आलू का पेस्‍ट और सीजनल सब्जी का उपयोग करते हैं. जब हरी मटर और गाजर के दाम बाजारों में कम हो जाते हैं, तब इसका भी इस्तेमाल करते हैं. इसके अलावा आलू के पेस्‍ट में खड़ी काली मिर्च, अदरक, सोंठ, जीरा, अजवाइन, हरी मटर, जलजीरा, मैदा, गुड़, मिर्च और धनिया का उपयोग किया जाता है. इन सभी मसालों को घर पर मम्मी तैयार करती हैं. इसके बाद मैदे की गोल गोल टिक्की में मसाले से तैयार पेस्‍ट को भरकर चूल्हे पर गर्म तेल में सेकते हैं. जब समोसे अच्छे से पक जाते हैं, तो उनको टमाटर की चटनी और गाय की देसी छाछ के साथ ग्राहकों को परोसा जाता है. एक समोसे की कीमत 7 रुपये 50 पैसे है.

मां के हाथों में है जादू, इसलिए…
संदीप रैकवार ने बताया कि सुबह से ही समोसे बनाने की तैयारी की जाती है. हम एक बार में 50 से 60 समोसे कड़ाही में पकाते हैं. समोसे की डिमांड इतनी अधिक होती है कि करीब 20 से 25 घान निकालने पड़ते हैं. तब कहीं जाकर ग्राहकों को समोसे खिला पाते हैं. यह सभी समोसे मां के हाथ के बने होते हैं. वहीं, समोसे खाने आए ग्राहक दीपेंद्र विश्वकर्मा ने बताया कि वो करीब 2 साल से यहां के समोसे खा रहे हैं. अभी तक किसी भी प्रकार कोई समस्या नहीं हुई है. इस दुकान के समोसों में बहुत कम मसाला होता है.

Tags: Food, Food 18

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *