हाइलाइट्स
बिहार में दलितों को लुभाने के लिए जदयू आयोजित कर रही दलित भीम संसद.
जीतन राम मांझी पर नीतीश कुमार के बयान के बाद डैमेज कंट्रोल की कोशिश.
भीम संसद के बहाने बिहार के 21 प्रतिशत दलित वोटरों पर जदयू की निगाहें.
पटना. आगामी 26 नवंबर को पटना के वेटनरी ग्राउंड में जदयू ने भीम संसद का आयोजन किया है. जदयू की तैयारी से ये संकेत मिल रहे है कि जदयू ने इस आयोजन को सफल बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है. दरअसल, जदयू इस रैली के बहाने एक तीर से दो निशाना साधना चाहता है, पहला आरक्षण का दायरा बढ़ाने के बाद दलित वोट बैंक को लुभाने की तैयारी और दूसरा जीतन राम मांझी पर नीतीश कुमार के दिए बयान के बाद उपजे विपरीत राजनीतिक स्थिति को संभालने कवायद.
दरअसल, नीतीश सरकार ने जातिगत गणना के बाद आर्थिक गणना करवाने के बाद बिहार में आरक्षण का दायरा बढ़ा दिया है, जिसमें दलित वोट बैंक SC-ST के लिए दायरा बढ़ाकर 22 प्रतिशत कर दिया है. जाहिर सी बात है दलित वोट बैंक आबादी की लिहाज से बिहार की सियासत को काफी गहरे तक प्रभावित करने वाली है. ऐसे में इस वोट बैंक को मैसेज देने की बड़ी तैयारी है और आगामी 26 नवंबर को भीम संसद का पटना में आयोजन करना इसी कवायद का हिस्सा है.
भीम संसद के आयोजन में मुख्य भूमिका निभाने की जिम्मेदारी नीतीश कुमार ने अपने सबसे विश्वस्त सहयोगी दलित नेता और बिहार सरकार के भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी को दिया है. अशोक चौधरी इस आयोजन को सफल बनाने में दिन रात लगे हुए हैं. न्यूज 18 के एक सवाल पर वे कहते हैं कि भीम संसद दलितों को लुभाने की कोशिश के तौर पर क्यों देख रहे हैं?
अशोक चौधरी ने कहा, नीतीश कुमार ने जितना काम दलितों के लिए किया है, उतना किसी भी नेता ने बिहार में नहीं किया है. सिर्फ दलित जाति का होकर ही दलितों के लिए कुछ किया जाए, ऐसा थोड़े ही होता है. नीतीश कुमार ने जो किया है सिर्फ उसे बताने के लिए भीम संसद का आयोजन किया जा रहा है, ताकि उन्हें अपनी ताकत का एहसास हो सके और वो अपना उचित हक ले सके.
वहीं, अशोक चौधरी इस बात पर हैरानी भी जताते हुए मीडिया से ही सवाल पूछते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बहाने नीतीश कुमार पर हमला क्यों बोलते हैं ? उन्हें सही तरीके से इस मामले में जानकारी नहीं दी गई है. जीतन राम मांझी के लिए नीतीश कुमार ने क्या-क्या किया ये सभी जानते हैं.

दूसरी ओर बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता और पूर्व मंत्री जनक चमार कहते हैं कि जदयू कुछ भी क़वायद कर ले, भीम संसद कर ले या रैली कर ले, बिहार की जनता जान चुकी है कि नीतीश कुमार के मन में दलितों के लिए क्या सम्मान है. यह बात जीतन राम मांझी पर उनके दिए बयान से ये तो और भी अच्छे तरीके से साफ हो गई है. बिहार की जनता सबकुछ देख रही है और इस पूरी कवायद से जदयू को इससे कोई फायदा नहीं मिलने वाला है.
वहीं, आरजेडी मुख्य प्रवक्ता शक्ति यादव कहते हैं, हर पार्टी को ये अधिकार है कि वो रैली और सभा करे, जदयू भी भीम संसद कर रही है. हमारी सरकार दलितों एवं वंचित समाज के लोगों के लिए लगातार काम कर रही है. अगर इसे जनता तक पहुंचाने के लिए भीम संसद का आयोजन किया जा रहा है तो इससे विपक्ष को क्या दिक्कत हो रही है.
बहरहाल, जदयू के भीम संसद पर जारी सियासत के बीच माना जा रहा है कि भीम संसद में जदयू एक से डेढ़ लाख तक दलितों को रैली में लाने की कोशिश में है. ऐसे में देखने वाली बात होगी कि चुनावी साल में अगर जदयू की रैली सफल होती है, जिसका दबाव भी जदयू पर रहेगा तो बिहार के सियासत में भी जदयू को इसका बड़ा फ़ायदा मिल सकता है. लेकिन, इसकी साफ-साफ तस्वीर क्या बनती है इसके लिए तो 26 नवंबर का ही इंतजार करना होगा.
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FIRST PUBLISHED : November 21, 2023, 14:00 IST