महीनों नहीं सड़ता ये शुगर फ्री आलू, बाजार में 150 रुपये KG दाम, खेती पर किसानों को मिलेगा 5 गुना फायदा!

शशिकांत ओझा/पलामू. आलू एक सदाबहार सब्जी है, जिसे लगभग हर सब्जी के साथ इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन, इसमें शुगर और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा बहुत ज्यादा होती है, जो डायबिटीज मरीजों के लिए खतरे का संकेत है. इस कारण डायबिटीज मरीज और हेल्थ कॉन्शियस लोग आलू के सेवन से बचते हैं. पर, अब ऐसे लोगों को आलू से किनारा नहीं करना होगा. आलू की एक ऐसी प्रजाति बाजार में आ गई है, जिसका डायबिटीज पेशेंट भी सेवन कर सकते हैं.

हम बात कर रहे हैं चिप्सोना प्रजाति के आलू की, जिसमें शुगर की मात्रा अपेक्षाकृत कम होती है. इसलिए आम बोलचाल में इसे शुगर फ्री आलू भी कहा जाता है. इसकी खेती पलामू में भी हो रही है. पलामू के पडवा प्रखंड के झरी गांव निवासी ओमकार नाथ अपनी एक कट्ठा जमीन में इसकी खेती कर रहे हैं. ओमकार नाथ ने लोकल 18 को बताया कि बचपन से ही उन्हें खेती में रुचि रही है और वह 15 वर्षों से कृषि कार्य से जुड़े हैं. जिसमें वह जमीन में तरह-तरह की फसल उगाते हैं.

100 से 150 रुपये किलो
किसान ने लोकल 18 को बताया कि पारंपरिक खेती के साथ आधुनिक और मेडिकेटेड खेती को अब बढ़ावा दे रहे हैं. इसके लिए उन्होंने शुगर फ्री आलू के बीज लखनऊ से 25 केजी मंगाए थे. जिसकी फसल के बाद दो क्विंटल आलू तैयार हुआ है. इसका मार्केट रेट 100 से 150 रुपए किलो है. फिलहाल, लोकल मार्केट में इसकी खपत हो रही है. यह आलू देखने में सामान्य आलू की तरह होता है, लेकिन इसका छिलका पतला होता है.

इस आलू से होता है पांच गुना मुनाफा
आगे बताया की इसकी फसल भी बिल्कुल सामान्य आलू की तरह होती है. मेड़ बनाकर इसकी खेती की जाती है. दावा किया कि इसकी खेती से किसानों को पांच गुना मुनाफा मिलता है. बताया कि एक कट्ठा में 25 किलो शुगर फ्री आलू की लागत लगभग एक से दो हजार रुपये आई थी. कुछ अन्य खर्च भी होते हैं. वहीं, मुनाफा 15 से 20 हजार रुपये हुआ है. इसकी खेती करने में दो बार जैविक खाद देने की जरूरत पड़ती है. इसे पूरी तरह ऑर्गेनिक तरीके से उगाया जाता है, जो सेहत को नुकसान नहीं पहुंचाता. सामान्य आलू की तुलना में इसका चार गुना उत्पादन होता है. किसान ने बताया कि ट्रायल के रूप में एक कट्ठा जमीन में शुरुआत की गई है. अब एक एकड़ में इसकी खेती की जाएगी.

स्टोर करना आसान
किसान ने बताया कि इस आलू में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा भी कम होती है, इसलिए इसे स्टोर करना बेहद आसान है. सामान्य आलू की तुलना में ये ज्यादा दिन तक टिकता है. सामान्यतः गर्मी के दिनों में आलू सड़ जाते हैं, मगर शुगर फ्री आलू महीनों तक चलता है.

शुगर पेशेंट अधिक सेवन से बचें
वहीं, पतंजलि आयुर्वेद केंद्र के चिकित्सक पवन पुरुषार्थी आर्य ने बताया कि आलू खाना शुगर मरीजों को मना होता है. लेकिन, चिप्सोना प्रजाति के आलू में सामान्य आलू की तुलना में शुगर की मात्रा कम होती है. लिहाजा आलू प्रेमी शुगर के कुछ मरीज इसे पसंद करते हैं, लेकिन उन्हें भी इसके अधिक सेवन से बचना चाहिए.

Tags: Agriculture, Farming, Local18, Palamu news

Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.

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