गुलशन कश्यप/जमुई: कभी जिन हाथों से महिलाएं मौत का समान बनाती थी, अब उन्हीं हाथों से अपनी किस्मत बदल रही है. इतना ही नहीं अब जिंदगी में रंग भी घोलने का काम कर रही है. यह कहानी है जमुई जिले के नेचर विलेज मटिया के उन दर्जनों महिलाओं की जो पहले बीड़ी बनाने का कारोबार करती थी. अब उन महिलाओं ने बीड़ी बनाने का कारोबार छोड़ दिया है और उससे आगे बढ़ चली हैं. ये महिलाएं अब हर्बल गुलाल बनाने का काम कर रही हैं.
जमुई जिले के लक्ष्मीपुर प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत पड़ने वाला नेचर विलेज मटिया अब अपने आत्मनिर्भरता की नई कहानी लिख रहा है. जो महिलाएं कभी मजबूरी में बीड़ी बनाने का काम करती थी. वहीं, महिलाएं अब उद्यम की तरफ बढ़ चुकी हैं. इस होली को उन्होंने एक अवसर के रूप में लिया है और इसको भुनाने में अब लग गई हैं. दरअसल, नेचर विलेज मटिया की महिलाएं हर्बल गुलाल बना रही हैं, इससे उनकी अच्छी खासी आमदनी भी हो रही है. गांव की एक दर्जन से अधिक महिलाएं इस काम में लगी हुई हैं. गौरतलब है कि लक्ष्मीपुर प्रखंड क्षेत्र का मटिया नेचर विलेज के रूप में जाना जाता है. करीब एक साल पहले तत्कालीन अंचलाधिकारी निर्भय प्रताप सिंह के द्वारा इस गांव को नेचर विलेज के रूप में परिणत करने की शुरुआत की गई थी और धीरे-धीरे यह गांव अब सफलता की नई मिसाल पेश कर रहा है.
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संतरे और पालक से तैयार करती हैं गुलाल
वर्तमान में गांव की 17 ऐसी महिलाएं हैं जो हर्बल गुलाल बनाती हैं. ये महिलाएं पालक, चुकंदर, संतरा, गेंदा फूल इत्यादि का इस्तेमाल कर गुलाल बना रही हैं. महिलाओं ने बताया कि पालक और कुछ अन्य पत्तियों की मदद से वह हरे रंग का गुलाल बनाती हैं. जबकि संतरा और गेंदे के फूल की मदद से यह नारंगी रंग का गुलाल तैयार करती हैं. चुकंदर की मदद से लाल और गुलाबी रंग का गुलाल तैयार करती हैं. महिलाओं ने मटिया में ही इसकी ट्रेनिंग ली है. पहले 7 महिलाओं ने इसकी ट्रेनिंग ली फिर उन्होंने बांकी महिलाओं को सिखाया. जिसके बाद अब करीब 17 महिलाएं इससे जुड़कर हर्बल गुलाल बनाने का काम कर रही हैं. महिलाओं ने बताया कि पहले सभी बीड़ी बनाने का काम करती थी, जिसके बाद ट्रेनिंग दी गई. ट्रेनिंग लेने के बाद बांकी महिलाओं को सिखाया, धीरे-धीरे और भी महिलाएं इससे जुड़ती चली गई. महिलाओं ने यह भी बताया कि पिछले चार दिनों से गुलाल बनाने का काम कर रही है और उनके पास अब तक लगभग 5 क्विंटल का ऑर्डर भी आ गया है. महिलाएं बड़ी तेजी से गुलाल बनाने का काम कर रही हैं.
अन्ना हजारे से ली थी नेचर विलेज की प्रेरणा
लक्ष्मीपुर के तत्कालीन अंचलाधिकारी निर्भय प्रताप सिंह ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि करीब एक साल पहले नेचर विलेज के रूप में मटिया को विकसित करने की शुरुआत की थी. उन्होंने बताया कि नौकरी ज्वाइन करने के बाद कई जगहों पर नेचर विलेज के कांसेप्ट को देखा था. इसके बाद गांव गया फिर वहां से इस बार थोड़ी बहुत जानकारी लेने के बाद अन्ना हजारे से मिला. उन्होंने भी नेचर विलेज के रूप में अपने गांव को बदलने के लिए कई सारी योजनाएं बताई. उन्होंने बताया कि इस दौरान क्षेत्र में काम कर रहे कई अवॉर्ड विनिंग लोगों से भी मिले, जिससे प्रेरणा लेकर मटिया नेचर विलेज की परिकल्पना लिखी. करीब एक वर्ष बाद यह गांव आज नेचर विलेज के रूप में अपनी पहचान बना रहा है. उन्होंने बताया कि हमारा उद्देश्य यही है कि यहां के लोगों को अधिक से अधिक रोजगार से जोड़ सकें. साथ ही कुछ ऐसी चीजें बनाकर लोगों के लिए पेश कर सकें जो पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ्य के अनुकूल हो. अंचलाधिकारी ने बताया कि हर्बल गुलाल का इस्तेमाल लोग बिना किसी फिक्र के कर सकते हैं. बाजार में मिलने वाले केमिकल गुलाल से कई प्रकार की परेशानियां लोगों को आ सकती है, लेकिन हर्बल गुलाल में किसी प्रकार का केमिकल नहीं होता. फिलहाल मटिया नेचर विलेज की ये महिलाएं अपने स्वावलंबन की एक नई इबारत लिखकर अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बनकर सामने आई है.
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FIRST PUBLISHED : March 16, 2024, 12:38 IST