ओम प्रकाश निरंजन / कोडरमा. कोडरमा में ऐतिहासिक धार्मिक पुरातात्विक पृष्ठभूमि के अतिरिक्त समृद्धशाली सामाजिक संस्कृति प्रतिबिंब समाहित है. 1970-80 के दशक में विश्व के मानचित्र में अभ्रक नगरी के रूप में बिंदिया के समान चमकने वाला कोडरमा इतिहास के पन्नों से लेकर आज के बदलते दौर में भी अपना नाम रोशन कर रहा है. किंवदंती के अनुसार त्रेता युग में ध्वजाधारी पहाड़ पर सृष्टि रचयिता ब्रह्मा जी के पुत्र कर्दम ऋषि के द्वारा ध्वजाधारी पहाड़ पर की गई तपस्या के कारण इस जगह का नाम कोडरमा पड़ा और यहां के लोग आज भी मेहनत व तपस्या से नित्य नए कीर्तिमान बना रहे हैं.
ध्वजा धारी पहाड़ पर 777 सीढियां चढ़कर श्रद्धालु करेंगे जलाभिषेक
कोडरमा जिला मुख्यालय स्थित ध्वजाधारी धाम जहां भक्तगण ध्वजाधारी पहाड़ पर 777 सीढ़ियां चढ़कर शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं. यूं तो यहां साल भर शिव भक्त जलाभिषेक करने पहुंचते हैं लेकिन महाशिवरात्रि में कोडरमा जिले के अलावा आसपास के कई जिलों से शिवभक्त काफी तादाद में ध्वजाधारी धाम पहुंचते हैं और 777 सीढ़ियां चढ़कर अपने आराध्य शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं. ध्वजाधारी धाम के महंत महामंडलेश्वर श्री सुखदेव दास जी महाराज ने बताया कि 8 मार्च के शाम 6 बजे से अखंड हरी कीर्तन शुरू होगा, जो 9 मार्च को समाप्त होगा. वहीं 8 मार्च के रात 9 से जागरण कार्यक्रम भी आयोजित किया जाएगा. 9 मार्च को अखंड हरी कीर्तन पूर्णाहुति के बाद प्रसाद का वितरण होगा.
महारुद्राभिषेक के बाद संपन्न होगा शिव पार्वती विवाह
महाशिवरात्रि को लेकर ध्वजाधारी धाम में लाइटिंग सजावट समेत अन्य कार्य काफी तेज गति से किए जा रहे हैं. इस बार दो दिवसीय महाशिवरात्रि महोत्सव के दौरान रुद्राभिषेक, शिव पार्वती विवाह, हरि कीर्तन एवं महाप्रसाद का वितरण पूजा कमेटी के द्वारा किया जाएगा. महाशिवरात्रि के दौरान आयोजित मेले में बच्चों के लिए विभिन्न प्रकार के झूले लगाए जा रहे हैं. श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पूरे परिसर में 25 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. प्लास्टिक मुक्त अभियान के तहत मेले के दौरान प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया गया है. महाशिवरात्रि की रात महा रुद्राभिषेक के बाद शिव-पार्वती की विवाह संपन्न होगी.
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FIRST PUBLISHED : March 5, 2024, 16:03 IST