महाशिवरात्रि पूजा के समय पढ़ें यह व्रत कथा, शिकारी चित्रभानु की तरह आप पर भी होगी महादेव की कृपा

हाइलाइट्स

महाशिवरात्रि पूजा 8 मार्च को है. उस दिन भगवान भोलेनाथ का विधिपूर्वक पूजन करते हैं.
महाशिवरात्रि की व्रत कथा में एक शिकारी चित्रभानु की शिव भक्ति का उल्लेख किया गया है.

महाशिवरात्रि की पूजा 8 मार्च को है. उस दिन भगवान भोलेनाथ का जल और दूध से अभिषेक करके फूल, अक्षत्, बेलपत्र आदि से विधिपूर्वक पूजन करते हैं. महाशिवरात्रि पूजा के समय आपको महाशिवरात्रि की व्रत कथा पढ़नी चाहिए. व्रत कथा पढ़ने से पूजा पूर्ण होती है और भगवान शिव की महिमा का ज्ञान होता है. उनकी कृपा भी भक्तों को प्राप्त होती है. महाशिवरात्रि व्रत की कथा के बारे में शिव पुराण में बताया गया है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं महाशिवरात्रि की व्रत कथा.

महाशिवरात्रि की व्रत कथा क्या है?

शिव पुराण के अनुसार, महाशिवरात्रि की व्रत कथा में एक शिकारी चित्रभानु की शिव भक्ति का उल्लेख किया गया है. जिसमें बताया गया है कि जो लोग अनजाने में भी शिव जी की पूजा करते हैं, उनको शिव कृपा प्राप्त हो जाती है. जो विधि विधान से महाशिवरात्रि का व्रत और पूजन करते हैं, उन पर तो महादेव की विशेष कृपा होती है. आइए पढ़ते हैं महाशिवरात्रि की व्रत कथा.

पौराणिक कथा के अनुसार, एक गांव में चित्रभानु नाम का शिकारी रहता था. उस पर गांव के ही एक साहूकार का कर्ज था. वह उस कर्ज से मुक्त नहीं हो पा रहा था. एक दिन साहूकार ने उसे पकड़कर ​एक शिवमठ में कैद कर दिया. उस रोज शिवरात्रि व्रत की तिथि थी.

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शिव मठ में होने के कारण चित्रभानु ने शिवरात्रि की कथा सुनी. शाम को उसने साहूकार से कहा कि यदि वह उसे छोड़ देता है तो अगले दिन कर्ज चुका देगा. उसके वचन पर भरोसा करके साहूकार ने उसे मुक्त कर दिया. चित्रभानु वहां से सीधे शिकार के लिए जंगल में गया. वह एक तालाब के पास पहुंचा. वहां एक बेलपत्र के पेड़ पर उसने अपना ठिकाना बनाया. उस बेल वृक्ष के नीचे शिवलिंग था, जो बेलपत्र से ढंका हुआ था. चित्रभानु को यह बात पता नहीं थी.

वह बेल के वृक्ष पर चढ़कर बैठ गया और शिकार की बाट जोहने लगा. उसे भूख और प्यास लगी थी. वह बेलपत्र तोड़कर नीचे गिरा रहा था, जो शिवलिंग पर गिर रहे थे. अनजाने में उससे शिव जी की पूजा ​हो गई. दोपहर में एक गर्भवती हिरण तालाब के किनारे पानी पीने आई. तो चित्रभानु उसका शिकार करने के लिए तैयार हो गया. उस हिरण ने चित्रभानु से कहा कि वह गर्भवती है, उसे दो लोगों की हत्या का पाप लगेगा. जब वह बच्चे को जन्म दे देगी तो शिकार के लिए उपस्थित हो जाएगी. इस पर चित्रभानु ने उसे जीवनदान दे दिया.

कुछ समय के बाद एक दूसरी हिरण आई, चित्रभानु उसे भी मारना चाहा. उस हिरण ने कहा कि अभी वह अपने पति की तलाश कर रही है क्योंकि वह काम वासना से पीड़ित है. वह पति से मिलने के बाद शिकार बनने के लिए आ जाएगी. चित्रभानु ने उसे भी जाने दिया. देर रात एक हिरण अपने बच्चों के साथ पानी पीने वहां आई. शिकारी उन्हे मारने के लिए तैयार हो गया.

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इस पर उस हिरण ने कहा कि वह इन बच्चों के पिता की तलाश कर रही है. उनके मिलते ही, वह शिकार के लिए आ जाएगी. चित्रभानु को दया आ गई, उसने उनको छोड़ दिया. ​चित्रभानु बेल वृक्ष पर बैठ गया और बेलपत्र तोड़कर नीचे गिराने लगा. सुबह होने वाली थी, तभी एक हिरण आया. उसने चित्रभानु से पूछा कि क्या तुमने 3 हिरण और उनके बच्चों को मारा है? यदि ऐसा किया है तो उसे भी मार दो क्योंकि वह उनके बिना नहीं रह सकता. यदि उनको नहीं मारा है तो मुझे जाने दो. परिवार से मिलने के बाद तुम्हारे पास शिकार के लिए आ जाऊंगा.

अनजाने में शिकारी चित्रभानु से शिवलिंग की पूजा और रात्रि जागरण हो गया था. उसके मन में दया की भावना थी. उसे उस हिरण को भी जाने दिया. उसके बाद वह अपने जीवन में पशुओं के किए गए शिकार को सोचकर आत्मग्लानि से भर गया और पश्चाताप करने लगा. तभी उसके पास उस हिरण का पूरा परिवार शिकार बनने के लिए आ गया. चित्रभानु ने हिरण परिवार को जीवनदान दे दिया. अनजाने में ही शिकारी चित्रभानु शिवरात्रि व्रत हो गया. उसके पुण्य प्रभाव से जीवन के अंत में चित्रभानु को मोक्ष की प्राप्ति हुई. उसे शिवलोक में स्थान मिला.

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Tags: Dharma Aastha, Lord Shiva, Mahashivratri

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