दीपक पाण्डेय/खरगोन. भगवान गजानन सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाले देवता माने गए हैं. ऐसे में शिवरात्रि के दिन भगवान गजानन की किसी भी रूप में पूजा और आराधना की जाए तो उसका तुरंत फल मिलता है. इस साल महाशिवरात्रि 8 मार्च 2024 शुक्रवार को मनाई जाएगी. इस दिन रात में पूजन का विधान है. महाशिवरात्रि को देने वाली यानी की चैतन्य रात्रि माना जाता है, इसलिए महाशिवरात्रि पर रात के समय गणेश जी का पूजा भी करनी चाहिए.
शिव-गौरा ने भी की थी आराधना
मध्य प्रदेश के खरगोन निवासी पंडित संदीप बर्वे ने Local 18 को बताया कि शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान गणेश की अनादि काल से आराधना की जा रही है. यहां तक की भगवान शिव और माता गौरा का जब विवाह हो रहा था, तब भी वे दोनों गणेशजी की आराधना कर रहे थे, इसलिए महाशिवरात्रि पर गणेश जी की आराधना की जाए तो कई गुना पुण्य मिलेगा.
जानिए पूजन का सही समय
पंडित संदीप बर्वे ने Local 18 को बताया कि भगवान गणेश जी का स्वरूप उच्छिष्ट महागणपति दिन और रात दोनों के देवता माने गए हैं. क्योंकि वो शक्ति के साथ बैठे हैं, इसलिए भगवान गणेश की संयुक्त रूप में प्रदोष काल या रात्रि काल में पूजा की जाए तो विशेष फल की प्राप्ति होगी. इसके लिए सर्वप्रथम भगवान उच्छिष्ट महागणपति का गुड़ से स्वरूप बनाएं. बनाने में कठिनाई हो तो गुड़ की एक बड़ी ढेली रखें और उसे उच्छिष्ट महागणपति मानें. साथ में एक दूसरी ढेली रखें, जिसे भगवती नील सरस्वती मानें.
पूजन की प्रक्रिया
पंडित संदीप बर्वे ने Local 18 को बताया कि स्वरूप तैयार करने के बाद दूध, दही, शक्कर से दोनों का पंचोपचार करें. दुर्वा का जूस बनाकर उसे भगवान का स्नान कराएं. फिर भगवान उच्छिष्ट महागणपति का मंत्र या फिर ‘ॐ गण गणपते नमः’ बोलते हुए लाजा चढ़ाएं. क्योंकि, लाज़ा भगवान को अति प्रिय है तो निश्चित ही इस दिन किया गया पूजन लाभकारी होगा.
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FIRST PUBLISHED : March 7, 2024, 19:16 IST
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