महात्मा गांधी की विरासत भारत की सीमाओं से परे दूर तक फैली है : प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़

भारत के प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने सोमवार को महात्मा गांधी की जयंती पर यहां उन्हें श्रद्धांजलि दी और कहा कि राष्ट्रपिता की विरासत भारत की सीमाओं से परे दूर तक फैली है।
इंग्लैंड और वेल्स में कानूनी वर्ष की शुरुआत के मौके पर वेस्टमिंस्टर एबे में एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए ब्रिटेन आये न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने मध्य लंदन स्थित टेविस्टॉक स्क्वायर में गांधी प्रतिमा पर आयोजित वार्षिक कार्यक्रम में विशेष संबोधन दिया।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘आज महात्मा गांधी की 154वीं जयंती पर हम उन्हें उनकी शिक्षाओं, सोच और मानवता के प्रति करुणा के लिए याद करते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘बापू की विरासत भारत की सीमाओं से परे दूर तक फैली है।

उनके विचारों ने दुनियाभर में सांस्कृतिक और भौगोलिक अवरोधों को पार करते हुए अनगिनत लोगों और जन आंदोलनों को प्रेरित किया है। उनका दर्शन आज भी उन लोगों को प्रेरणा दे रहा है, जो अधिक समानतापूर्ण तथा न्यायसंगत समाज के लिए प्रयासरत हैं।’’
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘आज हम जब जटिल वैश्विक चुनौतियों से जूझ रहे हैं, तब जरूरी है कि हम बापू की विरासत को संरक्षित रखें और उसे बढ़ावा दें। एक दूसरे को समझने और सहानुभूति के उनके सिद्धांत पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं। इन मूल्यों को अपनाकर और इनका पालन करके दुनिया समावेश तथा स्वीकार्यता की संस्कृति को मजबूत कर सकती है।’’
उन्होंने सामाजिक न्याय और समानता के प्रति महात्मा गांधी की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।

उन्होंने कहा, ‘‘बापू के जीवन ने मानवता पर अमिट छाप छोड़ी है। सत्य की खोज के आधार के रूप में अहिंसा की उनकी समझ, संगठित और सद्भावनापूर्ण विश्व की उनकी सोच और निरंतरता, सामाजिक न्याय एवं समानता के लिए उनकी पैरोकारी बेहतर भविष्य की तलाश में हमें सतत मार्गदर्शन प्रदान करती हैं।’’
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘गांधीजी का ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के प्रति विश्वास हमें यह मानने के लिए प्रोत्साहित करता है कि हम सभी एक विश्व के नागरिक हैं और हमें वैश्विक मुद्दों के प्रति जागरुक रहना चाहिए।’’
इसके बाद न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने इंग्लैंड और वेल्स में कानूनी वर्ष की शुरुआत के लिए आयोजित समारोह में भाग लिया।

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