महाकाल मंदिर में पूजन के बाद श्रीराम की चरण पादुका चित्रकूट रवाना

शुभम मरमट / उज्जैन. मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के चरण पादुका को उज्जैन से चित्रकूट होते हुए अयोध्या ले जाने के लिए शनिवार को साधु-संतों ने बाबा महाकाल के दर्शन व पूजा-पाठ कर प्रस्थान किया. कहते हैं कि भगवान राम अपने वनवास के साढ़े 11 वर्ष चित्रकूट में बिताया है. उनके साथ माता सीता और छोटे भाई लक्ष्मण भी थे. तभी से चित्रकूट को मर्यादा पुरुषोत्तम के नाम से जाना जाता है.

बाबा सत्यनारायण मौर्या ने कहा कि अभी यह रथ यात्रा लंका से उज्जैन आयी है. इसके बाद चित्रकूट से यह यात्रा प्रारंभ होगी. 15 जनवरी 2024 को चित्रकूट से भरतकूप तक जाएगी. भरतकूप वही जगह है  जहां भरत ने  जल कुएं में डाला था. भगवान राम का अभिषेक करने के लिए भरत जी जल ले गए थे. जब  श्री राम ने राजा बनना स्वीकार नहीं किया, तो सम्पूर्ण जल को  भरत जी ने कुएं मे डाला दिया था.उस कुएं का नाम भरतकूप रखा गया.साधु संत सबसे पहेल मन्दाकिनी का जल लेंगे, उसके बाद प्रयागराज से गंगा जी का जल लेंगे और पवित्र नदियों का जल लेकर  19 तारिक को अयोध्या पहुंचेगे.

श्री राम के जहा से गुजरे उन मार्गो से निकलेगी चरण पादुका
श्री लंका से यह यात्रा प्रारंभ हुई. उज्जैन बाबा महाकाल का आशीर्वाद लेकर यात्रा को आगे बढ़ाया गया. यह यात्रा 15 जनवरी को चित्रकूट पहुंचेगी. जहां-जहां से श्री राम गुजरे हैं. यह चरण पादुका वहां- वहां जाएगी. यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि श्री राम उज्जैन भी पधारे देते थे. इसलिए यह यात्रा उज्जैन भी आई है. उज्जैन के बाद चित्रकूट से अयोध्या तक की यात्रा में भगवान राम और भरत के मिलन के स्थलों का दौरा किया जाएगा. यह यात्रा लोगों को भगवान श्रीराम के गुण और सेवा भावना की महत्वपूर्णता समझाने का माध्यम होगा.

मप्र सहित 8 राज्यों के 20 स्थल चिन्हित
राम से जुड़े जिन ऐतिहासिक स्थलों की पहचान की गई है. इनमें उत्तर प्रदेश में पांच, मध्यप्रदेश में तीन, छत्तीसगढ़ में दो, महराष्ट्र में तीन, आंध्र प्रदेश में दो, केरल में एक, कर्नाटक में एक, तमिलनाडु में दो और एक स्थल श्रीलंका में है. इस तरह ऐतिहासिक महत्व के 21 धार्मिक स्थल चिन्हित  किया गया हैं.

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