मराठवाड़ा के मराठों को कुनबी जाति प्रमाणपत्र जारी करने पर समिति एक महीने में रिपोर्ट देगी : शिंदे

Eknath Shinde

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जालना जिले के अंतरवाली सारथी गांव में शुक्रवार को पुलिस ने हिंसक भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया था और आंसू गैस के गोले छोड़े थे। मराठा आरक्षण के लिए भूख हड़ताल पर बैठे जारंगे को अधिकारियों अस्पताल ले जाना चाहते थे किंतु प्रदर्शनकारियों ने ऐसा नहीं होने दिया, जिसके बाद पुलिस ने यह कार्रवाई की।

मराठा समुदाय को आरक्षण देने की मांग को लेकर हो रहे प्रदर्शन के बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सोमवार को कहा कि मराठवाड़ा क्षेत्र के मराठों को कैसे कुनबी जाति का प्रमाण पत्र जारी किया जाए, इसे लेकर समिति एक महीने के भीतर रिपोर्ट देगी।
कुनबी जाति कृषि से जुड़ी है और महाराष्ट्र में इसे अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के अंतर्गत रखा गया है।
मुख्यमंत्री ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘मराठवाड़ा क्षेत्र के मराठा समुदाय को कुनबी जाति का प्रमाण पत्र जारी करने के तरीके पर विचार करने के लिए समिति गठित की गई है और एक महीने के भीतर रिर्पोट देने को कहा गया है। राज्य सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है और सौहार्दपूर्ण समधान तलाशने के लिए काम कर रही है।’’

मराठा समुदाय शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग कर रहा है।
महाराष्ट्र सरकर ने 2018 में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के तहत मराठा समुदाय को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की व्यवस्था की थी लेकिन मई 2021 में उच्चतम न्यायालय ने अन्य आधारों के साथ-साथ कुल आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा पार होने का हवाला देते हुए राज्य सरकार के फैसले को रद्द कर दिया।
शिंदे ने कहा, ‘‘ मैंने अधिकारियों को मराठा आरक्षण पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का अध्ययन करने और समाधान सुझाने का निर्देश दिया है। हमें यह स्थापित करने की जरूरत है कि मराठा समुदाय पिछड़ा हुआ है।’’

हालांकि, जालना जिलें में भूख हड़ताल पर बैठे मनोज जारांगे पाटिल ने संवाददाताओं से कहा कि जब तक मराठा समुदाय को शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण देने का सरकारी आदेश (जीआर) जारी नहीं किया जाता है, तब तक वह अपना विरोध प्रदर्शन समाप्त नहीं करेंगे।
जालना जिले के अंतरवाली सारथी गांव में शुक्रवार को पुलिस ने हिंसक भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया था और आंसू गैस के गोले छोड़े थे।
मराठा आरक्षण के लिए भूख हड़ताल पर बैठे जारंगे को अधिकारियों अस्पताल ले जाना चाहते थे किंतु प्रदर्शनकारियों ने ऐसा नहीं होने दिया, जिसके बाद पुलिस ने यह कार्रवाई की।
हिंसा में 40 पुलिसकर्मी सहित कई लोग घायल हो गए और राज्य परिवहन की 15 बसें आग के हवाले कर दी गईं।

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