
सुप्रीम कोर्ट.
नई दिल्ली:
पश्चिम बंगाल की ममता सरकार बनाम राज्यपाल मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल द्वारा नियुक्त अंतरिम कुलपतियों के वित्तीय लाभों पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने मामला लंबित रहने के कारण ये रोक लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही सरकार और राज्यपाल को नसीहत दी कि वो शिक्षण संस्थानों और लाखों छात्रों के करियर के हित में सहमति बनाएं.
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कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस द्वारा राज्य संचालित विश्वविद्यालयों में नियुक्त अंतरिम कुलपतियों की अतिरिक्त वित्तीय लाभों पर राज्य सरकार द्वारा चुनौती देने पर रोक लगा दी.
कुलपति नियुक्तियों के मुद्दे पर ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार और राज्यपाल बोस के बीच बढ़ते टकराव को ध्यान में रखते हुए, अदालत ने शैक्षिक संस्थानों और लाखों छात्रों के भविष्य के करियर के हित में सुलह की जरूरत पर भी जोर दिया.
हाल ही में अदालत ने राज्य सरकार और राज्यपाल के बीच गतिरोध खत्म करने के प्रयास में राज्य संचालित विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति के लिए एक खोज-सह-चयन समिति गठित करने का फैसला लिया.
समिति की संरचना निर्धारित करने के लिए, अदालत ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), पश्चिम बंगाल सरकार और राज्यपाल से पांच-पांच नाम मांगे थे. ये घटनाक्रम तब हुआ जब राज्य सरकार ने पीठ को सूचित किया कि न तो राज्यपाल ने, राज्य संचालित विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में अपनी पदेन क्षमता में, न ही यूजीसी ने नियुक्ति के लिए एक खोज समिति के लिए अपने नामांकित व्यक्तियों की नियमित कुलपतियों की मांग करने वाले किसी भी संचार का जवाब दिया था.