ममता, मान और अब नीतीश… : क्या कांग्रेस का ‘गुरुर’ तोड़ने की चाल चल रही रीजनल पार्टियां?

ममता की हां भी और ना भी

बंगाल में सीट शेयरिंग को लेकर चल रहे विवाद के बीच टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने कांग्रेस के साथ चुनावी गठबंधन से इनकार कर दिया. टीएमसी की तरफ से ममता बनर्जी ने कांग्रेस को बंगाल में मात्र 2 सीटों का ऑफर दिया था. साथ ही कुछ अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में भी सीट की मांग की गयी थी. कांग्रेस आलाकमान की तरफ से सीट शेय़रिंग को लेकर कुछ भी उचित जवाब नहीं मिलने के हालत में टीएमसी ने गठबंधन तोड़ने का ऐलान कर दिया. हालांकि टीएमसी नेता अभी भी अपने आप को इंडिया गठबंधन का ही हिस्सा बता रहे हैं.

टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कांग्रेस आलाकमान से किसी भी तरह की नाराजगी की बात नहीं कही है बल्कि उन्होंने गठबंधन टूटने के लिए अधीर रंजन चौधरी को जिम्मेदार ठहराया है.

केजरीवाल चुप, भगवंत मान कर रहे हैं हमला 

आम आदमी और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे को लेकर 2 बार बैठक हो चुकी है. लेकिन इस बीच आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता भगवंत मान ने पंजाब में अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया. हालांकि आम आदमी पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की तरफ से अब तक इसे लेकर कोई टिप्पणी नहीं आयी है. अरविंद केजरीवाल या राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा की तरफ से अब तक कांग्रेस या इंडिया गठबंधन के विरोध में कोई बयान सामने नहीं आया है. राजनीति के जानकार भगवंत मान के बयान को प्रेशर पॉलिटिक्स का एक हिस्सा के तौर पर देख रहे हैं.

नीतीश कुमार कांग्रेस और राजद पर बना रहे हैं दबाव

देश भर के मीडिया में नीतीश कुमार के एनडीए में शामिल होने की खबरे चल रही है. लेकिन अभी तक नीतीश कुमार या उनकी पार्टी के किसी भी नेता ने इसे लेकर कोई बयान नहीं दिया है. यहां तक कि जदयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने गुरुवार को कहा कि  इंडिया गठबंधन सलामत है. महागठबंधन में भी सब कुछ ठीक है.  जेडीयू अभी भी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है. 

कांग्रेस के रुख से नाराज हैं सहयोगी दल

इंडिया गठबंधन की शुरुआती बैठकों के बाद और कर्नाटक चुनाव के परिणाम के बाद कांग्रेस पार्टी के रुख से अन्य विपक्षी दल असहज हैं. कांग्रेस पार्टी की तरफ से सीट शेयरिंग को लेकर हो रहे देरी को लेकर, नीतीश कुमार और ममता बनर्जी कई बार सवाल खड़ा कर चुके हैं. साथ ही इन दलों की मांग है कि चुनाव पूर्व गठबंधन का एक साझा कार्यक्रम भी तैयार किया जाए लेकिन कांग्रेस की तरफ से उचित पहल नहीं होने से गैर कांग्रेसी दलों में आक्रोश है. 

एक-एक कर अपने पत्ते खोल रहे हैं ये दल

सीट बंटवारे में हो रही देरी को लेकर सभी दल एक के बाद एक अपने पत्ते खोल रहे हैं. अरविंद केजरीवाल ने सबसे पहले गुजरात के भुज लोकसभा सीट से अपने उम्मीदवार का ऐलान कर दिया. इसके बाद नीतीश कुमार ने बिहार के सीतामढ़ी और अरुणाचल प्रदेश की एक सीट से उम्मीदवार का ऐलान कर दिया.

विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस ने इन दलों का नहीं लिया था साथ

हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने सहयोगी दलों को विश्वास में नहीं लिया था. समाजवादी पार्टी की तरफ से पहल होने के बाद भी मध्य प्रदेश में कांग्रेस की तरफ से सपा के लिए एक भी सीट नहीं छोड़ी गयी थी. इसी तरह झारखंड से सटे छत्तीसगढ़ में हुए चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ कांग्रेस ने किसी भी तरह का गठबंधन या चुनाव प्रचार में मदद नहीं ली थी. नीतीश कुमार की पार्टी ने भी मध्यप्रदेश में अपने उम्मीदवार उतारे थे. 

‘इंडिया’ गठबंधन में कॉर्डिनेशन का अभाव

4-5 बड़ी बैठकों के बाद भी इंडिया गठबंधन में समन्वय करने वाले किसी एक नेता का अभाव है. सभी दलों के बीच बातचीत करने और समन्वय बनाने में हो रही दिक्कतों में इसे एक अहम कारक के तौर पर देखा जा रहा है. शुरुआत में इस बात की चर्चा थी की इंडिया गठबंधन की तरफ से दिल्ली में साझा ऑफिस भी बनाया जाएगा हालांकि अभी तक ऐसी कोई पहल नहीं हुई है.

ये भी पढ़ें-

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *