मनचले हो जाएं सावधान छात्राएं सीख रही रही हैं मार्शलआर्ट,छेड़ना पड़सकता है भारी

 भास्कर ठाकुर/सीतामढ़ी: जिला के सुतिहरा गांव स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय के छात्राओं का बदला-बदला स्वरूप दिखने को मिल रहा है. यहां की लड़कियां कतारबद्ध होकर अनुशासित तरीके से आत्मरक्षा के गुरू सीख रही हैं. मनचलों से मोर्चा लेने के लड़कियां खुद को सशक्त बना रही है. इसके लिए उन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है. ट्रेनिंग के लिए हायर किए गए फिजिकल ट्रेनर सुनिल कुमार ने बताया कि लड़कियों को आत्मरक्षा के लिए तैयार किा जा रहा है. कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय की छात्राओं को 36 दिवसीय मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग दी जा रही है. इससे लड़कियां न सिर्फ सशक्त होगी बल्कि खुद का रक्षा करते हुए दूसरों की भी मदद करने में सक्षम होंगे.

फिजिकल ट्रेनर सुनिल कुमार ने कहा  कि 36 दिवसीय मार्शल आर्ट ट्रेनिंग के पीछे का उदेश्य यह है कि छात्राएं खुद से आत्मरक्षा के लिए सक्षम हो जाए. उन्होंने बताया कि बच्चों के लिए खेल-कूद एवं अलग-अलग तरह की ऐक्टिविटी जरुरी है. उन्होंने बताया कि पहले इस तरह की गतिविधियां सिर्फ निजी विद्यालयों के बच्चे करते थे, लेकिन अब सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे भी कर सकते हैं, बसर्ते विद्यालय के शिक्षक अच्छे से ध्यान दें. उन्होंने बताया इस स्कूल की छात्राएं आत्मरक्षा के गुर सीखने में काफी दिलचस्पी ले रही है. उन्होंने बताया कि सभी छात्राएं एक महीने में ट्रेंड हो जाएगी. छात्राओं को वार्मअप, रनिंग, स्ट्रेचिंग, जंपिंग के अलावा सुरक्षा के बिंदुओं पर मॉकड्रिल कराया जा रहा है.

छात्राओं को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण लेना है बेहद जरूरी
विद्यालय की शक्षिका संगीता कुमारी ने बताया कि यह प्रशिक्षण शिक्षा विभाग के द्वारा जारी पत्र के आलोक में करवाया जा रहा है. छात्राओं के लिए शिक्षा, सुरक्षा, सशक्तिकरण एवं स्वाबलंबन बेहद जरूरी है. मौजूदा समय में छात्राओं को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण लेना अत्यंत आवश्यक है. नियमित तौर पर सभी छात्राओं को आत्मरक्षा के गुर सिखाए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि इन छात्राओं को हर वो सुविधा दी जाएगी जो सरकार के तरफ से दिया जाता है. वहीं फिजिकल ट्रेनर सुनिल कुमार ने बताया कि छात्राओं को पंच, सिंगल हैंड ग्रिप, चिनपंच, फेस- चेस्ट अटैक, थाई डिफेंस, नेक अटैक, एलबो अटैक, चेस्ट किक आदि का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. छात्राओं की रुचि प्रशिक्षण को सफल बना रही है. उन्होंने बताया कि ऐसे प्रशिक्षण विद्यालय में नियमित रूप होते रहना चाहिए.

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