नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को एक व्यक्ति को सात साल की बच्ची का अपहरण करने और मंदिर में बलात्कार करने के लिए 30 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई. भग्गी बनाम मध्य प्रदेश राज्य केस (Madhya Pradesh) में जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ ने कहा कि दोषी को अपने अपराध के लिए ₹1 लाख का जुर्माना भी भरना होगा. न्यायालय ने कहा कि अपराध बर्बर था और हर मंदिर यात्रा के दौरान पीड़िता को इसका भय सताता रहेगा.
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “याचिकाकर्ता-दोषी पीड़िता को एक मंदिर में ले गया. उस स्थान की पवित्रता का ध्यान न रखते हुए उसे और खुद को निर्वस्त्र किया और फिर अपराध किया. हमें इस तथ्य को मानने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि उसने इसे क्रूरतापूर्वक नहीं किया होगा.”
यह घटना 2018 में हुई थी. पीड़िता की दादी की तरफ से एक आपराधिक शिकायत दर्ज की गई थी और आरोपी व्यक्ति, जिसकी उम्र 40 वर्ष थी को ट्रायल कोर्ट द्वारा दोषी ठहराया गया और मौत की सजा सुनाई गई थी.
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने बाद में दोषसिद्धि को बरकरार रखा, लेकिन उस व्यक्ति के शेष प्राकृतिक जीवन के लिए सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया. इस फैसले को दोषी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिसने अब सजा को संशोधित करते हुए सजा को बरकरार रखा है.
बलात्कार पीड़िता की आपबीती का जिक्र करते हुए कोर्ट ने कहा, “सबूत से पता चलता है कि जगह की पवित्रता की परवाह किए बिना उसने उसे और खुद को निर्वस्त्र किया और उसके साथ बलात्कार किया. जब ऐसा कृत्य याचिकाकर्ता द्वारा किया गया था, उसी उम्र उस समय 40 वर्ष थी और पीड़िता उस समय केवल 7 वर्ष की थी. निर्वस्त्र बच्ची के निजी अंगों से खून बहता हुआ पाया गया था.”
न्यायालय ने यह भी कहा कि उच्च न्यायालय ने यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (POCSO अधिनियम) के तहत अपराधों के लिए अलग-अलग सजा नहीं दी थी या उत्तरजीवी के पुनर्वास के लिए जुर्माना देने का आदेश नहीं दिया था.

अदालत ने समझाया कि “आईपीसी की धारा 376 (एबी) के तहत प्रावधानों के संदर्भ में, जब कम से कम 20 साल की कैद की सजा दी जाती है, जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है, तो दोषी को जुर्माने की सजा भी भुगतनी पड़ती है, जो उचित होगी और पीड़िता के चिकित्सा खर्च और पुनर्वास को पूरा करने के लिए उचित है.” इसलिए, अदालत ने दोषी पर ₹1 लाख का जुर्माना लगाया.
इन शर्तों पर अपील आंशिक रूप से स्वीकार की गई.
दोषी की ओर से वकील के सारदा देवी, आर विजय नंदन रेड्डी और वी कृष्ण स्वरूप पेश हुए थे.
उप महाधिवक्ता अंकिता चौधरी, अधिवक्ता मृणाल गोपाल एल्कर, अभिमन्यु सिंह, अभिजीत पांडोव, सौरभ सिंह, दिव्यांश सिंह, आरुषि गुप्ता और असोष रावत के साथ मध्य प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुईं थीं.
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FIRST PUBLISHED : February 7, 2024, 17:05 IST