अर्पित बड़कुल/दमोह: मध्यप्रदेश के दमोह जिले के कुआखेड़ा गांव के रहने वाले मनोज पटेल ने मधुमक्खी पालन करके चौगुना मुनाफा कमा रहे हैं. मधुमक्खियों से सिर्फ शहद नहीं मिलता बल्कि इनके डंक से बहुत से उपचार भी होते हैं. बुंदेलखंड इलाके में एक कहावत बेहद मशहूर हैं कहते हैं “जहर को जहर ही मारता है” कुछ इसी प्रकार सालों पुरानी बी-थेरेपी के जरिए मनोज पटेल लोग में जागरूकता के साथ साथ उनका उपचार भी कर रहे हैं.
सालों पुरानी पद्धति से जोड़ों का दर्द के मरीज हो रहे ठीक
प्रमाणिकता के अनुसार यह चिकित्सा पद्धति करीब ढाई 300 साल पुरानी है. इस पद्धति में मधुमक्खी के डंक बी- वैनम को सीधा शरीर में इंजेक्ट करते हैं. इसके बाद ढंग से निकलने वाला जहर गठियावाद के इलाज में काफी कारगर है. इससे घुटनो में दर्द,पीठ दर्द,माइग्रेन,साइटिका जैसी बीमारियों का रामबाण इलाज है. यह मधुमक्खी का डंक इटारसी की रहने वाली राजकुमारी सराफ है इस थेरेपी से बहुत ज्यादा आराम है चलने के दौरान में पेर में बहुत ज्यादा तकलीफ होती थी लेकिन अब 90% तक आराम है कभी कभी लगता है कि दर्द हो रहा है कभी कभी लगता है कि दर्द है ही नहीं.
भोपाल में सीआरपीएफ के जवानों को दिया प्रशिक्षण…
दमोह के मनोज पटेल ने कृषि विज्ञान अधिकारी मनोज अहिरवाल के साथ भोपाल पंहुचकर सीआईएसएफ डीआईजी सेंटर में मौजूद जवानों को ना केवल मधुमक्खी पालन करने के सुझाव दिए बल्कि मधुमक्खियों के डंक से उपचार भी बताया.यह डंक इतना खतरनाक होता है. कि अगर मधुमक्खी किसी इंसान को काट ले तो दर्द, बेचैनी के साथ गंभीर एलर्जी के अलावा मौत भी होने की संभावना होती है.लेकिन मधुमक्खी का डंक भी कई बीमारियों का रामबाण इलाज है. जिससे हम एपेथेरेपी,बी-थेरेपी और बी-वैनम थेरेपी भी इस मधुमक्खी के डंक से सम्भव है.इतना ही नहीं जिन जवानों के घुटनों,कंधो और दांतों में दर्द था उनका भी उपचार मनोज पटेल ने किया.
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FIRST PUBLISHED : December 15, 2023, 22:25 IST