राजाराम मंडल/मधुबनी. खेल के मैदान में अगर मछली पालन जैसी स्थिति बन जाए, तो आप क्या कहेंगे. यहां मछली पकड़ने के लिए लोग आते भी हैं. ऐसा हम नहीं कह रहे, बल्कि मधुबनी के स्टेडियम की दुर्दशा ऐसा कहने को मजबूर कर रहा है. खेल के विकास को लेकर मधुबनी जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधि कितने गंभीर हैं, इसका पता लगाने के लिए आप बिहार के इस दूसरे सबसे बड़े और सुंदर स्टेडियम के गेट पर आ सकते हैं. स्टेडियम के अंदर आपको पानी में पलने वाले विशेष प्रकार के पौधे नजर आ जाएंगे. जिन्हें लोकल भाषा में केचली कहते हैं. कमोवेश इस स्टेडियम की स्थिति किसी तालाब या झील से कम नहीं है.
स्टेडियम के इस हालत से सबसे ज्यादा नुकसान यहां के युवा खिलाड़ियों को हो रहा है. कई ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्हें प्रैक्टिस करने के लिए मैदान नहीं मिल पा रहा है. युवाओं की माने तो जब इस स्टेडियम का निर्माण कराया जा रहा था, तो जोर-शोर से दावा किया गया कि यह बिहार का दूसरा सबसे बड़ा स्टेडियम है. यहां के खिलाड़ियों को उम्मीद जगी कि अब स्टेडियम में आकर वह तरह- तरह के खेल की प्रैक्टिस कर पाएंगे. लेकिन युवाओं का सपना धरा का धरा रह गया. जल निकासी की मुकम्मल व्यवस्था नहीं होने के कारण स्टेडियम साल में अधिकांश समय झील जैसा बना रहता है. पानी सूख भी अगर जाता है तो उसमें जमा केचली को सूखने में महीनों लग जाते है. खिलाड़ी मो. सलाउद्दीन ने बताया कि वह अच्छा क्रिकेटर बनना चाहता था. लेकिन प्रैक्टिस करने के लिए न तो खेल का मैदान है न बाहर जाने के लिए रुपए.
स्टेडियम में मछली पकड़ने आते हैं लोग
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि मधुबनी स्टेडियम में इतना पानी भरा रहता है कि आसपास के लोग यहां मछली पकड़ने के लिए आते रहते हैं. इस बार भी स्टेडियम का हाल कुछ ऐसा ही है. अंदर में पूरा पानी भरा हुआ है और उसमें केचली उग गई है. हाल ही में हुई बारिश के कारण मधुबनी में इतना पानी भर गया है कि यह स्टेडियम किसी झील से कम नजर नहीं आ रहा है. यहां अब लोग मछली पकड़ने लगे हैं. स्टेडियम की सुरक्षा में प्रतिनियुक्त सिपाहियों के कमरे में भी पानी घुस गया है. आबादी के बीच पानी जमा रहने के कारण जल जनित बीमारी होने का भी खतरा बढ़ने लगा है.
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FIRST PUBLISHED : September 09, 2023, 21:04 IST