भरत तिवारी/जबलपुर: क्या कभी आपने मंदिर और मस्जिद की बनावट पर गौर किया है. दुनिया के सभी मंदिर-मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च की बनावट चाहे जैसी हो, लेकिन उनके ऊपर की छत पर गुंबद या शिखर जरूर बना होता है. गुंबद से ही धार्मिक स्थलों की पहचान होती है. देवस्थानों के ऊपर गुंबद बनाने का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक कारण है. तो आइए जानते हैं.
पहले वैज्ञानिक कारण
धार्मिक स्थलों के निर्माण के दौरान भगवान के स्थान के ऊपर मंदिरों में गुम्बद होने का वैज्ञानिक कारण है. माना जाता है कि किसी भी प्राकृतिक आपदा जैसे कि आंधी, तूफान, बिजली और वर्षा आदि का प्रभाव गुंबद पर बहुत कम पड़ता है, जिससे पूजा स्थान के लंबे समय तक सुरक्षित बने रहने की अवधि और भी बढ़ जाती है.
धार्मिक कारण
डॉ. चंद्रशेखर शास्त्री के अनुसार, वास्तु शास्त्र तथा ध्वनि विज्ञान के सिद्धांत के अनुसार गुंबद का एक महत्वपूर्ण स्थान होता है. देवताओं की प्रतिमाओं के समक्ष बैठ कर पूजा करते समय जब भक्त के मुख से उच्चारित ध्वनि गुंबद से टकराकर घूमती है, तो इसके कारण मंत्र शक्ति केंद्रीभूत होकर देव प्रतिमाओं को स्पर्श करती है और जाग्रत होकर देव प्रतिमाएं साधक को उसकी इच्छानुसार फल प्रदान करती हैं.
आध्यात्मिक कारण
डॉ. चंद्रशेखर शास्त्री ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार, मंदिरों में गुंबद बनाने का महत्वपूर्ण कारण होता है. जिस प्रकार किसी फोन को सेटेलाइट से जोड़ने के लिए टावर की जरूरत होती है, उसी प्रकार ब्रह्मांड की ऊर्जा से सत्यलोक से मृत्यु लोक को जोड़ने के लिए मंदिरों में गुम्बद का निर्माण कराया जाता है. मंदिरों में गर्भगृह के ऊपर गुंबद बनाने का एक और कारण यह भी है ताकि कोई भगवान के ऊपर न तो चढ़ पाए और न तो गंदगी कर पाए. भगवान के ऊपर पैरों को लेकर जाना ईश्वर का अपमान माना जाता है. इसलिए मंदिर, गुरुद्वारा या चर्च सभी देव स्थलों में गुंबद जरूर देखने को मिलता है.
कितने प्रकार के गुंबद
विशेषज्ञों के अनुसार, भारत मे दो तरह की मंदिर निर्माण शैलियां हैं. उत्तर भारत (नागर शैली) और दक्षिण भारत में (द्रविड़ शैली). उत्तर भारत में छत को मंदिर वास्तु की भाषा में शिखर कहते हैं. दक्षिण भारत में इसको विमान कहते हैं. दक्षिण भारत में शिखर सिर्फ ऊपर रखे पत्थर को बोलते हैं, जबकि उत्तर भारत में सबसे ऊपर कलश रखा होता है. इसके अलावा इनसे मिलती-जुलती कुछ और मंदिर निर्माण शैलियां भी होती हैं.
.
Tags: Jabalpur news, Local18, Temples
FIRST PUBLISHED : January 20, 2024, 19:19 IST