धीरज कुमार/मधेपुरा. बिहार में यूं तो आपको कई रहस्यमय मंदिर मिल जाएंगे, जो कई विशेष कारणों से भक्तों में प्रसिद्ध है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां कभी ऐसा चमत्कार हुआ कि आज भी बताने में लोगों की रूह कांप जाती है. जी हां! आपने सही सुना. मधेपुरा जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर स्थित रामनगर काली मंदिर के बारे में कहा जाता है कि कभी इस मंदिर को नष्ट करने आए आंक्राता से लड़ने के लिए माता ने स्वयं पुजारी को तलवार दी थी. मंदिर के गर्भगृह से उस समय खड्ग निकला और शंख बजने लगा. यह दृश्य देख आंक्राता भाग खड़े हुए.
लोकल 18 बिहार से बात करते हुए मंदिर के पुजारी ब्रह्मानंद ठाकुर बताते हैं कि ऐसा कहा जाता है कि दक्षिणी काली माता मंदिर की स्थापना करने वाले व्यक्ति की एक साल के अंदर मृत्यु हो जाती थी. ऐसी मान्यता के कारण पिंडी स्थापना के लिए कोई भी आगे नहीं आता था. ऐसे में इसी गांव के जमींदार पंडित नंदलाल झा ने अपनी मृत्यु को जानते हुए भी ग्रामीणों के सहयोग से माता मंदिर की पिंडी की स्थापना व प्राण प्रतिष्ठा की. यह माता क्षेत्र में ग्राम देवी के नाम से प्रचलित है. वे बताते हैं कि इस मंदिर में वैसे तो नित्य दिन छाग की बलि दी जाती है. दूर-दूर से लोग यहां पर मुंडन संस्कार कराने और छाग की बलि चढ़ाने के लिए आते हैं. लेकिन, काली पूजा के अवसर पर हिन्दू-मुस्लिम सभी समुदाय के लोग माता को छाग की बलि चढ़ाते हैं. क्षेत्र के मुस्लिम समुदाय के लोग भी माता के प्रति आस्था रखते हैं.
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94 साल पहले हुई थी अद्भुत घटना
वे बताते हैं कि ऐसा कहा जाता है कि साल 1930 के आसपास कुछ दुराचारी आक्रांताओं ने मंदिर को नष्ट करने का प्रयास किया था. लेकिन मंदिर को निशाना बनाने के लिए आक्रांता जैसे ही करीब पहुंचे, 100 मीटर पहले ही मंदिर से खड्ग निकलना शुरू हो गया. पुजारी को माता ने आक्रांताओं से लड़ने के लिए तलवार दे दी. तभी शंख ध्वनि बजने लगा. इससे डरकर आक्रांता भाग खड़े हुए. यहां वर्तमान में फुलकाहा के कुम्हार महादेव पंडित प्रतिमा बनाते हैं. पुजारी बताते हैं कि एक बार महादेव पंडित के पिता छूतहरू पंडित ने प्रतिमा बनाने से इंकार कर दिया, तो माता ने उन्हें स्वप्न दिया. तब से उनके ही परिवार के सदस्य प्रतिमा बना रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED : March 6, 2024, 20:19 IST
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