उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने मंगलवार को कैबिनेट का विस्तार किया गया। इस बहुप्रतीक्षित विस्तार की चर्चा पिछले साल अक्टूबर से ही चल रही थी। मंगलवार को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य की मौजूदगी में राजभवन में विधायकों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इसी क्रम में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के नेता ओम प्रकाश राजभर ने भी शपथ ली। साल 2019 में लोकसभा चुनाव के बाद राजभर भाजपा से दूरी बना चुके थे। हालांकि, एक बार फिर से वह भाजपा के साथ हैं। राजभर भी मंत्री बनने की प्रतिक्षा लंबे समय से कर रहे थे।
ऐसे में मंत्री बनने के बाद उनका जोश पूरी तरह से हाई लग रहा है। यही कारण है कि राजभर ने अति आत्मविश्वास में खुद को गब्बर बता दिया। उन्होंने खुद की तुलना मुख्यमंत्री से कर डाली। अपने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए राजभर ने कहा कि हमने कहा था कि हम मंत्री बनेंगे और बनकर दिखा दिया। आज मुख्यमंत्री की पावर के बाद अगर किसी के पास पावर है तो वह राजभर के पास है। इसके साथ ही उन्होंने अपने समर्थकों से कहा कि आप किसी भी थाने जाओ लेकिन सफेद गमछा मत लगाओ। हमारा पीला गमछा लगाओ। पीला गमछा लगाकर जब थाने जाओगे तो तुम्हारी शक्ल देखकर दरोगा को राजभर की याद आएगी।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जाकर बता देना मंत्री जी ने भेजा है। दरोगा, डीएम और सपा के पास इतना पावर नहीं है कि फोन लगाकर हमसे पूछे कि आपने किसे भेजा है और किसे नहीं। शोले में एक गब्बर सिंह था तो मुझे भी गब्बर सिंह समझ लो। राजभर 2017 में चुनी गई योगी सरकार में पिछड़ा वर्ग कल्याण और विकलांग जन कल्याण मंत्री थे। हालांकि, 2022 के विधानसभा चुनाव में राजभर समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव के साथ थे। पिछले साल चुनाव के बाद वह फिर से भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए में शामिल हो गए।
इस बीच यूपी में बीजेपी के तीन प्रमुख सहयोगी हैं. निषाद पार्टी, अपना दल और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी। अपना दल के साथ बीजेपी के रिश्ते हमेशा अच्छे रहे हैं, लेकिन सुभासपा के साथ रिश्ते कभी टूटे तो कभी सुधरे। पूर्वांचल में करीब 40 विधानसभा सीटों पर सुभासपा का दबदबा है। पिछले साल सपा छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए राजभर कई मुद्दों पर योगी सरकार की आलोचना करते रहते हैं. उन्होंने यहां तक कह दिया था कि बीजेपी सरकार में भ्रष्टाचार और बढ़ गया है।