Bhajanlal Sharma Cabinet: साल खत्म होने को है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही बना हुआ है कि आखिर राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार कब होगा? क्या इसी साल राजस्थान को नए मंत्री मिल जाएंगे या इंतजार अगले साल का करना होगा? सवाल कई है लेकिन जवाब किसी के पास दिखाई नहीं दे रहा है. सवाल इसलिए भी बड़ा है क्योंकि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मंत्रिमंडल विस्तार हो चुका है, लेकिन राजस्थान में 24 दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर कोई अंतिम मुहर नहीं लगी है.
दरअसल अब सियासी गलियारे में बढ़ती बैचेनी के बीच सवाल पूछे जाने लगा है कि आखिर मंत्रिमंडल विस्तार में पेंच कहां फंस गया है? क्या जातीय और वोटिंग समीकरण फिट नहीं बैठ रहे या 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कहीं पेंच फसता हुआ नजर आ रहा है. 3 दिसंबर को चुनावी नतीजे आए थे और 15 दिसंबर को भजनलाल शर्मा ने बतौर मुख्यमंत्री तो दीया कुमारी और प्रेमचंद बेरवा डिप्टी सीएम के रुप में शपथ ली थी, हालांकि अभी तक इनको भी विभाग का आवंटन नहीं किया जा सका है. वहीं मंत्रिमंडल में जगह पाने की उम्मीद लगाए विधायक भी चुप्पी साधे हुए हैं. कोई देव दर्शन में जुटा हुआ है, तो कोई दिल्ली के भी पगफेरे लगा रहा है. कांग्रेस भी लगातार इसे लेकर हमलावर होती दिखाई दे रही है.
हालांकि पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने एक बयान में कहा कि अच्छे मंत्रियों के चयन की वजह से मंत्रिमंडल विस्तार में देरी हो रही है लेकिन इस पर सियासी पंडितों का कहना है कि मंत्रिमंडल विस्तार में गुटबाजी एक प्रमुख वजह है और 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी किसी भी तरह की कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं है.
जाट-मीणा नाराज
माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा वसुंधरा राजे कैंप और राजेंद्र राठौड़ के करीबियों को सरकार में जगह दे सकती है. साथ ही भाजपा का फोकस अब उन जातियों पर भी होगा जिन्हें प्रमुख पद नहीं मिल सके हैं, भाजपा ने ब्राह्मण CM तो एक राजपूत और एक दलित उपमुख्यमंत्री चुना है. ऐसे में जाट, मीणा और गुर्जर समाज कहीं ना कहीं पार्टी से नाराज दिखाई दे रहा है, ऐसे में इन समुदायों से अच्छी खासी संख्या में मंत्री पद दिए जा सकते हैं.