भोजपुरी आ बांग्ला के कई गो शब्द, हू-ब-हू एकही बा, देखीं

ई लेख बड़ा रोचक होखे जा रहल बा. जब हम बत्तीस साल पहिले कलकत्ता (ओघरी एकर नांव कोलकाता ना भइल रहे) में नया- नया आइल रहनीं त ई जानि के बड़ा चकित भइनीं कि भोजपुरी आ बांग्ला के कई गो शब्द एके नियर बाड़े सन. हमनी के भोजपुरी में गाय- बैल के “गोरु” कहि देनी जा त बंगालो में ओकरा के “गोरू” कहल जाला, “गाछ” (पेड़) के बांग्ला भाषा में भी “गाछ” कहल जाला. अभी अउरू शब्द बाड़े सन. बाकिर ई सोचे के बात बा कि आखिर भोजपुरी आ बांग्ला के शब्द एक कइसे हो गइले सन. पुरनिया लोग कहि गइल बा कि दू गो भाषा के लोग जब एक लगे रहे, खाए- पीए आ बियाह- सादी करे लागी. एक दूसरा का संगे ताना- बाना नियर रहे लागी त अपने आप एक- दूसरा के भाषा में ओकर प्रभाव आ जाई. ई त भइल पुरनिया लोगन के बात. अब देखीं कि भाषा विज्ञान के विद्वान का कहि गइल बा लोग. ऊ लोग एकरा के “भाषा संपर्क” के रूप में देखले बा. कहले बा लोग कि भाषा संपर्क तब होला जब दू गो भा दू गो से अधिका भाषा या किसिम के बोले वाला लोग एक- दूसरा के साथे लगातार संपर्क में रहता, निकट रहता, सहज बातचीत करता त एक भाषा के शब्द दोसरका भाषा में अनायास चलि आई.

एकरा के कुछ विद्वान लोग संपर्क भाषा विज्ञान कहले बा. पाश्चात्य विद्वान एकर उदाहरण देले बा लोग कि स्काटलैंड में स्काट लोग, अंग्रेजी के प्रभाव में आ गइल आ अंग्रेजी सहजता से बोले लागल आ अधिकांश लोग अंग्रेजी के अपना मातृभाषा नियर अपना लिहल लोग. कुछ अपवाद भी बा. बिदेश के बात चलि गइल एगो अउरी उदाहरन बा- मैक्सिको में 95 प्रतिशत लोग स्पैनिश बोलेला. जबकि ओकरा निकटतम पड़ोसी देश अमेरिका में अंग्रेजी बोलल जाला. काहें से कि अंग्रेजी बोले वाला लोगन से ओह लोगन के आपसी रिश्ता बहुते करीबी रहे. अब आईं देखल जाउ कि अउरी कौन- कौन भोजपुरी के शब्द बांग्ला भाषा में हू- ब- हू बाड़े सन. त एगो अउरी शब्द बा “माछी” (मक्खी) त बांग्ला भाषा में भी एकरा के “माछी” कहल जाला. उच्चारण भी हू-ब-हू. बांग्लाभाषी लोगन के मुंह से भोजपुरी के शब्द सुनि के नीमन लागेला. अब रउरा ईहो कहि सकेनी कि ई क्लेम त बांग्लाभाषी भी क सकेला कि माछी शब्द बांग्ला के ह, आ भोजपुरी एकरा के आत्मसात क लिहलस. त सरकार, तबो आनंद के बात बा. कुल भाषा आपस में बहिन हई सन. जदि एगो बहिन दोसरकी से कुछु लेइए लिहलस त एमें तर्क का करेके बा? रउरो ई सत्य जानतानी कि कुल भारतीय भाषा संस्कृत से निकलल बाड़ी सन.

चाहे दक्षिण भारतीय भाषा होखे भा उत्तर भारतीय भाषा, चाहे पूर्वी भारतीय भाषा होखे भा पश्चिमी भारतीय भाषा. आनंदे- आनंद बा. आईं अब आगा बढ़ल जाउ. भोजपुरी में खिड़की के “जांगला” कहल जाला आ बांग्ला में भी हू-ब-हू ईहे कहल जाला. “माटी” के बांग्ला में भी “माटी” कहल जाला आ “गमछा” के बांग्ला में गमछे कहल जाला. मेढक के भोजपुरी में “बेंग” कहल जाला त बांग्ला में भी ऊहे कहल जाला. अउरी कौन- कौन भोजपुरी के शब्द बांग्ला के शब्दन से मेल खाला? त देखीं- “भात, तरकारी, झोल, नून, माछ, मेला, आस्ते (धीरे), बर (दुलहा), चादर, लाठी, दूध, घी, पटल (परवल), आलू, चीनी, तेल, बताशा” वगैरह, वगैरह, वगैरह. ई कुल शब्द भोजपुरी आ बांग्ला में एकही नियर बोलल जाला. बंगाल में चादर के उच्चारण “चादोर” आ तरकारी के उच्चारण “तोरकारी” हो सकेला, बाकिर चीज के नांव ऊहे रही. बाकिर नून, तेल, चीनी आ बेंग वगैरह के उच्चारण लगभग एके नियर रहेला. लिखे लगला पर पूरा लेख- शब्द, शब्द आ शब्द हो जाई. अब तनीमनी मिलत शब्द पर गौर करीं जा- अन्हार (अंधकार) ओकरा के बांग्ला में “आंधार” कहल जाला आ भोजपुरी के “खटिया” बांग्ला में “खाट” हो जाला जौन कि हिंदी से हू-ब-हू मिलता. ऋषि- मुनि लोग कहि गइल बा कि भगवान पूरा सृष्टि के रचना प्रेम रस से कइले बाड़े. प्रेम रस ना रहित त कुल ग्रह आ तारा, समूचा ब्रह्मांड के चीज एक दूसरा से लड़ि जइती सन. कुल तारा, सूर्य, चंद्र अपना- अपना जगह पर आपन काम कर रहल बा लोग, बैलेंस बना के. हर चीज गणित के हिसाब से चल रहल बा. दिन- रात, ऋतु परिवर्तन, बचपन, जवानी, बुढ़ापा. एह सिस्टम के एकही चीज कंट्रोल कइले बा- आकर्षण, जौना के साहित्य आ भाव जगत में प्रेम (प्रेम में आकर्षण आ विकर्षण दूनो रहेला, विकर्षण लुकाइल रहेला) कहल जाला. ओहीतरे कुछ भाषा भी एक- दूसरा के चुंबकीयता से खींचि के बैलेंस बनवले रहेली सन.

विद्वान लोग कहि गइल बा कि जहां दू गो नदी मिलेली सन, ओह जगह के संगम कहल जाला. ठीक ओहीतरे, जहां दू गो भाषा के मिलन होला ओकरा के भाषा संगम कहल जाला. ईहो एगो जानल तथ्य बा कि अनुवाद से भी भाषा संगम होला. बाकिर सबसे ढेर कौनो शब्द के हू-ब-हू दोसरा भाषा में आइल, भाषा संगम के उत्कर्ष उदाहरण कहल जा सकेला. अब जे भाषा के सवाल पर लड़ेला ओकरा से हमार विनम्र अनुरोध बा कि भाषा खुद आपस में बहिन बाड़ी सन, आपस में प्रेम करतारी सन आ अनुवाद हो जाता तो ओह रचना के पहुंच कई गुना बढ़ि जाता. त हमनी के काहें लड़ब जा. एइजा प्रेम के जरूरत बा, लड़े के जरूरत नइखे. जब एगो भाषा के शब्द दोसरा भाषा के आपन शब्द बनि जाता त हमनी के भाषा प्रकृति पर ध्यान दीं जा, लड़े के जरूरते ना परी. कुल भाषा हमनिए के हई सन. लड़ल छोड़ि के प्रेम तत्व का ओर देखीं जा, महसूस करीं जा.

(डिसक्लेमर –लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और ये उनके निजी विचार है.)

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