भुला दी गईं मुस्लिम रियासत की वो नवाब बेगम, जो बनी थीं अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की पहली महिला चांसलर

हाइलाइट्स

नवाब सुल्तान जहां बेगम को एक समाज सुधारक और महिलाओं को आगे बढ़ाने वाली शासक के रूप में देखा जाता है.
भोपाल की नवाब बेगम ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना में सर सैयद अहमद खान की विशेष सहायता की थी.
यूनिवर्सिटी की स्थापना के बाद भोपाल की नवाब बेगम को चांसलर बनाया गया, वे आजीवन इस पद पर रहीं.

हम लोग आम तौर पर किसी राजा, महाराजा, नवाब या बेगम को उनकी अथाह धन दौलत या उनके अजीबोगरीब शौक के लिए याद करते हैं. लेकिन एक मुस्लिम रियासत की ऐसी महिला शासक भी हुईं जिन्होंने 19वीं सदी की शुरुआत में महिला शिक्षा को बढ़ावा देने का काम किया. यह थीं भोपाल रियासत (Bhopal Riyasat) की महिला शासक नवाब सुल्तान जहां बेगम (Nawab Sultan Jahan Begum). उन्हें इतिहास में एक समाज सुधारक और महिलाओं को आगे बढ़ाने वाली शासक के रूप में देखा जाता है.

नवाब सुल्तान जहां बेगम ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (Aligarh Muslim University) की स्थापना में सर सैयद अहमद खान (sir syed ahmed khan) की विशेष सहायता की थी. उस समय भोपाल से लगभग 600 किलोमीटर की दूरी पर, उत्तर प्रदेश प्रांत में, अलीगढ़ में मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज आकार ले रहा था. लगभग 1910 में मसूरी से लौटते समय बेगम पहली बार अलीगढ़ में रहीं. इसी दौरान, उन्होंने अखिल भारतीय मुहम्मडन शैक्षिक सम्मेलन के निर्माण के लिए 50,000 रुपये का दान दिया था. यह आज भी मौजूद है और इसलिए इसे सुल्तान जहां मंजिल के नाम से जाना जाता है. इसके अलावा, कहा जाता है कि अलीगढ़ में शेख अब्दुल्ला द्वारा शुरू किए गए गर्ल्स स्कूल के लिए भी उन्होंने मासिक अनुदान दिया था, जिसे आज एएमयू के महिला कॉलेज के रूप में जाना जाता है. नतीजा यह हुआ कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना के बाद उन्हें संस्थापक कुलाधिपति यानी चांसलर बनाया गया. उऩ्हें यूनिवर्सिटी की पहली महिला चांसलर होने का गौरव हासिल है. नवाब सुल्तान जहां बेगम आजीवन अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की चांसलर (Chancellor) रहीं.

लिखीं 26 किताबें
नवाब सुल्तान जहां बेगम ने भोपाल रियासत पर करीब 25 साल के शासनकाल में ना सिर्फ महिला शिक्षा को बढ़ावा दिया. बल्कि महिलाओं को हुनरमंद बनाने पर भी जोर दिया. महिलाओं को शिक्षा के साथ-साथ उन्हें सिलाई कढ़ाई जैसे हुनर भी सिखाए. वह फारसी भाषा की अच्छी जानकार थीं, उन्होंने करीब 26 किताबें लिखीं. इन किताबों में उन्होंने पारिवारिक रिश्तों के अलावा आपसी संबंधों पर काफी कुछ लिखा. शिक्षा को बढ़ावा देने के अलावा उन्होंने कई तरह के समाज सुधार किए. 

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कब तक किया भोपाल पर राज
19वीं शताब्दी की शुरुआत से अप्रैल 1926 तक भोपाल रियासत की नवाब रही सुल्तान जहां बेगम का जन्म 9 जुलाई 1858 को हुआ था. उन्होंने 16 जून 1901 से लेकर 20 अप्रैल 1926 तक भोपाल रियासत पर राज किया. उन्हें भोपाल की समाज सुधारक और प्रगतिशील नवाब बेगम के रूप में जाना जाता है. उन्होंने महिला शिक्षा के महत्व को समझा और भोपाल में कई स्कूल खोले और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना में विशेष योगदान दिया. इतिहासकार नवाब सुल्तान जहां बेगम को एक समाज सुधारक और शिक्षाविद के रूप में याद करते हैं. उन्होंने भोपाल में सुलेमानिया, उबेदिया और एक मॉडल स्कूल का निर्माण करवाया. 

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नहीं किया कोई भेदभाव
एक मुस्लिम शासिका होने के बावजूद नवाब सुल्तान जहां बेगम ने अपनी प्रजा में भेदभाव नहीं किया. इतिहासकार और लेखक डॉ. इफ्तिखार बताते हैं कि नवाब सुल्तान जहां बेगम ने 1926 में अपने बेटे को भोपाल की सत्ता सौंप दी. वह मजहब के आधार पर प्रजा में कोई भेदभाव नहीं करती थी. हर जगह सबकी मदद करती थीं, चाहे वह मुस्लिम हो या गैर मुस्लिम हो. वह चाहती थीं कि उनकी प्रजा खुश रहे और पढ़ लिख कर आगे बढ़े. भोपाल में पुलिस व्यवस्था और जनगणना की शुरुआत उन्हीं के कार्यकाल में हुई. इसके अलावा डाक व्यवस्था के साथ-साथ बिजली व्यवस्था की शुरुआत भी उन्होंने करवाई थी.

बेटे के सामने रखी ये शर्त
भोपाल के आखिरी नवाब हमीदुल्ला खान की पढ़ाई अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में हुई थी. सर सैयद अहमद खान ने हमीदुल्ला खान के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पढ़ने का प्रस्ताव नवाब बेगम सुल्तान जहां के सामने रखा था. उन्होंने प्रस्ताव तो स्वीकार कर लिया, लेकिन यह शर्त रखी कि हमीदुल्ला खान एक सामान्य छात्र की तरह वहां पढ़ाई करेंगे. हमीदुल्ला खान ने भी अपनी मां की बात का सम्मान रखा और एक सामान्य छात्र के रूप में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पढ़ने गए.

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