राहुल दवे/इंदौर: ‘भिक्षावृत्ति बंद हो’ यह स्लोग ने तो हम सब जानते हैं, लेकिन इस पर अमल को नहीं करता. यही वजह है कि भीख मांगना प्रोफेशन हो गया है. इसका ताजा प्रमाण इंदौर में देखने को मिला. जब भिक्षुक मुक्त अभियान के दौरान एक महिला को रेस्क्यू किया गया. टीम की आंखें तो तब चौंधिया गईं जब भीख मांगने वाली महिला की कमाई का पता चला. उसने मात्र 45 दिन में ढाई लाख रुपये भीख मांगकर इकट्ठा किए थे.
इंदौर को भिक्षुक मुक्त बनाने के अभियान के अंतर्गत संस्था ‘प्रवेश’ की टीम ने रुपाली जैन के नेतृत्व में सुखलिया चौराहा से एक महिला और उसकी 10 साल की बच्ची को पकड़ा. यह दोनों कई दिनों से यहां भीख मांगने का काम कर रहे थे. इनकी तलाशी ली गई तो उनके पास 19 हजार रुपए नकद निकले. जब इस बारे में महिला से पूछा गया तो उसने कहा कि 7 दिन में भीख मांगने से उसे इतने पैसा मिले हैं, ये संस्था की टीम भी चौंक गई.
भीख ही तो मांगती हूं
टीम ने पकड़कर पूछताछ की तो महिला भिड़ने लगी. कहा- मैंने कोई चोरी नहीं की है, भीख ही तो मांगती हूं. महिला के साथ उसकी 10 साल की बच्ची को भी रेस्क्यू किया गया. बच्ची को बाल संप्रेषण गृह भेजा गया है. वहीं, महिला के बहन-जीजा को भी 2 घंटे के बाद रेस्क्यू कर पकड़ा गया है, जबकि दो बच्चों के साथ पति भाग निकला.
इतनी होती है मेरी कमाई
महिला ने टीम को पूछताछ में बताया कि 15 दिन में 30 से 35 हजार रुपए की कमाई हो जाती है. सीजन में यानी पर्व विशेष पर, शादी सीजन में 50 हजार रुपए की कमाई 15 दिन में हो जाती है.
50 की एफडी, 50 खर्च कर दिए
टीम को महिला ने पूछताछ में यह भी बताया कि उसने 45 दिन में ढाई लाख रुपए कमाए हैं. 1 लाख रुपए गांव भेजा. 50 हजार रुपए खाते में डाले. 50 हजार रुपए की एफडी बच्चों के नाम पर करवाई. 50 हजार रुपए खर्च कर दिए.
जगह नहीं छोड़ती
महिला के परिवार के दूसरे लोग भी देश के अलग-अलग शहरों में जाकर भीख मांगते हैं. यदि कोई किसी स्पॉट पर पकड़ा भी जाता है, तो अच्छी कमाई होने के चलते उसी स्पॉट पर वापस लौट आता है या परिवार के अन्य किसी सदस्य को वहां भेज देते है, लेकिन स्पॉट नहीं छोड़ते.
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FIRST PUBLISHED : February 10, 2024, 16:29 IST