भारत से यूरोप 11 नहीं, 7 दिन में पहुंचेगा सामान: लागत भी 30% कम, IMEC कॉरिडोर के तहत सऊदी में 1200KM का ट्रैक बना

2 मिनट पहले

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दिल्ली में जी-20 समिट के दौरान घोषित हुआ ऐतिहासिक इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (IMEC) रफ्तार पकड़ रहा है। नवी मुंबई के जवाहरलाल नेहरू पोर्ट या गुजरात के मुंद्रा पोर्ट से IMEC रूट से यूरोप में ग्रीस के पिराइयस पोर्ट तक माल पहुंचने में समय और लागत में कमी आएगी।

विशेषज्ञों के अनुसार, स्वेज नहर से भेजे जाने वाले माल की तुलना में IMEC से 40% कम समय लगेगा और परिवहन लागत में 30% कमी आएगी। भारत से माल जहाज और रेल के माध्यम से 7 दिन में यूरोप में ग्रीस के पिराइयस पोर्ट पहुंच जाएगा। जबकि, स्वेज नहर से इसे अभी लगभग 11 दिन लगते हैं।

सऊदी अरब में 1200 किमी रेल ट्रैक तैयार हो चुका
इस मेगा प्रोजेक्ट में जलमार्ग से UAE पहुंचने वाले माल के परिवहन के लिए सऊदी अरब में 1200 किमी रेल ट्रैक तैयार हो चुका है। एतिहाद रेल नेटवर्क सऊदी अरब के समूचे मरुस्थल को पार करेगा। ये सबसे बड़ा रेल मार्ग होगा। यूएई के जीबेल अली पोर्ट पर भी तैयारियां हो चुकी हैं। इटली के मेसिना पोर्ट पर सात लाख करोड़ रुपए की लगात से इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट पर जल्द काम शुरू होने की संभावना है।

कॉरिडोर कितना अहम है?
इस कॉरिडोर में ट्रेड वॉल्यूम काफी ज्यादा है। ये स्वेज नहर के वर्तमान रूट से बेहतर साबित हो सकता है। सबसे अहम बात यह है कि इसका सफल होना भारत के लिए फायदेमंद होगा। पश्चिमी देश और भारत कॉरिडोर को आगे बढ़ाएंगे।

भारत की क्या भूमिका रहेगी?
भारत के पास अभी स्वेज नहर का रूट है। मध्य एशिया के नॉर्थ-साउथ कॉरिडोर के विकल्प के साथ अब आईएमईसी भी है। दोनों विकल्पों में भारत की भूमिका अहम रहने वाली है। भारत के आर्थिक हित बेहतर होंगे।

यूएई का आठ लाख करोड़ के कारोबार का लक्ष्य
यूएई ने 2027 तक लगभग आठ लाख करोड़ के कारोबार का लक्ष्य रखा है। इसमें कॉरिडोर अहम होगा। यूएई के दस से अधिक पोर्ट सऊदी रेल नेटवर्क से जुड़ चुके। एतिहाद रेलवे का कहना है कि 2030 तक इसकी माल परिवहन की क्षमता 6 करोड़ टन होगी।

इटली: ईयू के 26 लाख करोड़ के प्रोजेक्ट से लाभ
ईयू का 2027 तक 26 लाख करोड़ के इन्फ्रा प्रोजेक्ट का लक्ष्य है। इससे इटली को भी फायदा। इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी कह चुकी हैं कि उनका देश निर्णायक भूमिका में रहेगा। सिसली आइलैंड से मेनलैंड इटली के बीच नई सड़कें बनाई जाएंगी।

कॉरिडोर डील का ऐलान PM मोदी ने किया था। इस दौरान मोदी के दाहिने तरफ बाइडेन, जबकि सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान बाईं तरफ बैठे।

कॉरिडोर डील का ऐलान PM मोदी ने किया था। इस दौरान मोदी के दाहिने तरफ बाइडेन, जबकि सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान बाईं तरफ बैठे।

इन सात वजहों से भारत इस प्रोजेक्ट से जुड़ा..

  • सबसे पहले भारत और अमेरिका इंडो-पैसेफिक क्षेत्र में काम कर रहे थे, लेकिन पहली बार दोनों मिडिल ईस्ट में साझेदार बने हैं।
  • भारत की मध्य एशिया से जमीनी कनेक्टिविटी की सबसे बड़ी बाधा पाकिस्तान का तोड़ मिल गया है। वह 1991 से इस प्रयास को रोकने की कोशिश कर रहा था।
  • भारत के ईरान के साथ संबंध सुधरे हैं, लेकिन अमेरिका के प्रतिबंधों के कारण ईरान से यूरेशिया तक के रूस-ईरान कॉरिडोर की योजना प्रभावित होती जा रही है।
  • अरब देशों के साथ की भागीदारी बढ़ी है, UAE और सऊदी सरकार भी भारत के साथ स्थायी कनेक्टिविटी बनाने के लिए प्रयास कर रहे हैं।
  • अमेरिका को उम्मीद है कि इस मेगा कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट से अरब प्रायद्वीप में राजनीतिक स्थिरता आएगी और संबंध सामान्य हो सकेंगे।
  • यूरोपीय यूनियन ने 2021-27 के दौरान बुनियादी ढांचे के खर्च के लिए 300 मिलियन यूरो निर्धारित किए थे। भारत भी इसका भागीदार बना।
  • नया कॉरिडोर चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का विकल्प है। कई देशों के चीन के कर्ज जाल से मुक्ति मिलेगी। जी-20 में अफ्रीकी यूनियन के भागीदार बनने से चीन और रूस के अफ्रीकी देशों में बढ़ती दादागीरी को रोकने में सहायता मिलेगी।

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