रिपोर्ट-आशीष कुमार
पश्चिम चम्पारण. घने जंगलों के बारे में हमारे मन में हमेशा से एक अनजान डर सा बैठा हुआ है. न जाने कितने किस्से कहानियां जंगल और अंधेरे को लेकर सुनते आ रहे हैं. आज आपको बताते हैं बिहार के पश्चिम चंपारण की कहानी.
जंगल को लेकर सदियों से एक कहावत चलती आ रही है कि रात में यहां से किसी इंसान के हंसने या फिर किसी बच्चे के रोने की आवाज़ आती है. अंधेरा होने पर जब आप यहां से गुजरते हैं, तो कहीं न कहीं ये कहावत सही मालूम पड़ती है. कोई तो है, जो सूरज ढलते ही सूनसान जंगलों में ठहाके मार कर हंसना या कर्कश ध्वनि में रोना शुरू कर देता है. आखिर कौन है ये जिसकी हंसी इंसान की रूह को कंपा देती है. तो चलिए जानते हैं जंगल के माहिर खिलाड़ियों से.
जंगल से आती है किसकी आवाज़
भारत के विभिन्न जंगलों में करीब 22 वर्षों तक अपनी जिंदगी बिताने वाले, महाराष्ट्र के वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट स्वप्निल खताल ने इस गहरे राज से पर्दा उठाया. आखिरकार वो कौन है जो जंगल जैसे वीराने में दिन ढलने पर रूह को कंपा देने वाली हंसी हंसता है. स्वप्निल की मानें तो यह कोई भूत या चुड़ैल नहीं, बल्कि एक ऐसा जीव है जो महीनों से सड़ रहे मांस को भी बड़े चाव से खाता है. सड़े-गले मांस ही नहीं, ये हड्डियों तक को चबा जाता है. ये एकमात्र ऐसा जीव है जो शेर के भी मुंह से निवाला छीन लेता है. कई जगह गांवों में इसे शैतान की परछाई या बच्चा चोर के नाम से भी जाना जाता है.
शेर के मुंह से छुड़ा ले निवाला
दरअसल, ये कोई और नहीं, बल्कि लकड़बग्घे हैं. वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट स्वप्निल खताल बताते हैं दुनिया में लकड़बग्घों की कुल 4 प्रजातियां पाई जाती हैं. इनमें से एक प्रजाति जिन्हें स्ट्राइप्ड यानी धारीदार कहा जाता है, भारत में पाए जाते हैं. ये लोग आपस में कम्युनिकेशन के लिए कई प्रकार की आवाज निकालते हैं. इनमें से कुछ आवाज बिलकुल किसी इंसान के हंसने की तरह या फिर किसी बच्चे के रोने की तरह होती हैं. यदि आप रात को जंगल की तरफ से गुजर रहे हैं और वहां से किसी इंसान के हंसने यह फिर किसी बच्चे के रोने की आवाज आ रही है, तो समझ लीजिए कि आसपास लकड़बग्घे मौजूद हैं.
अकेले रहना पसंद करते हैं
बकौल स्वप्निल, अफ्रीका में पाए जाने वाले स्पॉटेड यानी चित्तीदार हाइना की तुलना में भारतीय हाइनास अकेले रहना पसंद करते हैं. ये दुनिया में पाए जाने वाले उन स्तनपाइयों में से एक हैं, जिनकी बाइट फोर्स सबसे ज्यादा होती है. अर्थात यह कि इनके लिए हड्डियों को चकनाचूर करना कोई बड़ी बात नहीं है. इनके पेट में हाइड्रोक्लोरिक एसिड इतना ज्यादा बनाता है कि ये महीनों से सड़ने वाले मांस और हड्डियों को भी बहुत आसानी से पचा लेते हैं. मरे हुए जानवरों को खाने की वजह से इन्हें स्केवेंजर कहा जाता है. अफ्रीका के जंगलों में अक्सर इनका सामना शेरों से होता है. ये एक ऐसे जीव हैं, जो शेरों के मुंह से भी निवाले को उड़ा लेते हैं.
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FIRST PUBLISHED : February 12, 2024, 19:21 IST