न्यूयॉर्क16 घंटे पहले
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भारत लगातार UNSC में सुधार की मांग उठाता आया है।
भारत ने UNSC में उन देशों की निंदा की है जो वीटो पावर का इस्तेमाल करके सुरक्षा परिषद की लिस्ट में आतंकियों का नाम शामिल नहीं होने देते हैं। चीन का नाम लिए बिना भारत की परमानेंट प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा- UNSC आतंकवाद से निपटने का वादा करता है। ऐसे में इस तरह का कदम गैरजरूरी है और इससे दोहरे रवैये की बू आती है।
भारतीय प्रतिनिधि ने कहा- UNSC उन नामों की लिस्ट जारी करता है, जिन्हें आतंकवाद की सूची में शामिल किया गया है। हालांकि, जिनका नाम खारिज होता है उसे लेकर कोई लिस्ट या कारण सार्वजनिक नहीं किया जाता है।
आतंकी साजिद मीर लश्कर-ए-तैयबा का सदस्य है। वो 26/11 आतंकी हमले में शामिल था।
भारत बोला- UNSC एजेंडे से गैर-जरूरी चीजें हटाने की जरूरत
इसके अलावा रुचिरा ने एक बार फिर से UNSC में बदलाव की मांग उठाई। उन्होंने कहा- UN के सहायक संगठनों की लीडरशिप को लेकर लिए गए फैसलों में पारदर्शिता लाना जरूरी है। इसके फैसले में सभी को शामिल किया जाना चाहिए। सुरक्षा परिषद के एजेंडे की समीक्षा करके इसमें से गैर-जरूरी चीजों को हटाना बेहद अहम है।
भारत ने आगे कहा- वैश्विक सुरक्षा और शांति को लेकर खतरा बढ़ता जा रहा है। ऐसे में UNSC को भी आगे बढ़ने की जरूरत है। जो सदस्य संगठन में बदलाव को रोक रहे हैं, उन्हें साथ आकर इसे 21वीं सदी की चुनौतियों से निपटने के लायक बनाने में अपना योगदान देना चाहिए।
चीन ने साजिद मीर का नाम आतंकी लिस्ट में जुड़ने से रोका था
बता दें कि पिछले साल भारत और अमेरिका ने मिलकर UNSC में 26/11 मुंबई हमले में शामिल रहे लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी साजिद मीर को आतंकियों की लिस्ट में जोड़ने का प्रस्ताव रखा था। अमेरिका ने यूनाइडेट नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल की 1267 अल-कायदा प्रतिबंध समिति की बैठक में यह प्रस्ताव पेश किया था। भारत इसका सह प्रस्तावक था।
हालांकि, चीन ने वीटो पावर का इस्तेमाल करके इसे खारिज कर दिया था। वहीं 2022 में भी चीन ने पाकिस्तानी आतंकी मौलाना मसूद अजहर के भाई अबुल रऊफ असगर उर्फ अब्दुल रऊफ अजहर को संयुक्त राष्ट्र की आतंकवादियों की सूची में शामिल कराने के लिए लाए गए अमेरिका और भारत के प्रस्ताव का विरोध किया था। साथ ही लश्कर-ए-तैयबा के चीफ हाफिज सईद के बेटे तालहा सईद को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने के लिए लाया गया प्रस्ताव भी चीन ने रोक दिया था।
क्या है यूनाइडेट नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल की 1267 समिति
यूनाइडेट नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल 1267 समिति का गठन साल 1999 के प्रस्ताव-1267 (resolution 1267) के अनुसार किया गया था। इसे अलकायदा और तालिबान प्रतिबंध समिति के तौर पर भी जाना जाता है।
शुरू में इस समिति का गठन तालिबान के कब्जे वाले अफगानिस्तान पर लगाए गए प्रतिबंधों की देखरेख के लिए किया गया था। बाद में इसे और ताकतवर बनाते हुए प्रतिबंधात्मक गतिविधियों के संचालन का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा बना दिया गया। यदि किसी व्यक्ति या आतंकवादी संगठन को इस सूची में शामिल किया गया है, तो यह उसकी एक्टिविटीज को रोकने, जुर्माना लगाने और संपत्ति जब्त करने में मदद करती है।
अकेला चीन कैसे रोक लेता है प्रस्ताव
यूनाइडेट नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल 1267 समिति, सिक्योरिटी काउंसिल के सभी 15 सदस्यों से मिलकर बनी है और सर्व-सम्मति से निर्णय लेती है। यदि किसी आशय या निर्णय का एक भी सदस्य विरोध करता है तो फिर वह प्रस्ताव पारित नहीं होता। यही कारण है कि केवल चीन के विरोध करने पर ही आतंकवादियों को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने का प्रस्ताव पास नहीं हो पाता है।