पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने सोमवार को कहा कि दिसंबर में जब दुबई में संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता के दौरान विकसित देशों ने कोयले पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की थी तब भारत ने ‘ग्लोबल साउथ’ के हितों के लिए लड़ाई लड़ी।
उन्होंने यहां ‘मोदी: एनर्जाइजिंग ए ग्रीन फ्यूचर’ शीर्षक वाली पुस्तक के विमोचन के अवसर पर कहा कि जलवायु परिवर्तन के लिए ऐतिहासिक रूप से जिम्मेदार अमीर देशों को ‘ग्लोबल साउथ’ के विकास में बाधा डालने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
‘ग्लोबल साउथ’ शब्द आम तौर पर लैटिन अमेरिका, एशिया, अफ्रीका और ओशिनिया के क्षेत्रों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसका मतलबखासकर, यूरोप और उत्तरी अमेरिका के बाहर, दक्षिणी गोलार्द्ध और भूमध्यरेखीय क्षेत्र में स्थित ऐसे देशों से है, जिनमें से ज्यादातर कम आय वाले हैं और राजनीतिक तौर पर भी पिछड़े हैं।
मंत्री ने कहा, ‘‘जब उन्होंने कहा कि देशों को कोयले (के उपयोग की अवधि बढ़ाने) की अनुमति के लिए आवेदन करना होगा, तो भारत ने ‘ग्लोबल साउथ’ के हितों के लिए लड़ाई लड़ी।
उन्होंने खुलासा किया कि भारत ने यहतर्क भी दिया कि यदि जीवाश्म ईंधन सब्सिडी को छोटे देशों में गरीबी उन्मूलन से जोड़ा जाता है तो उसे रोका नहीं जा सकता।
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