नई दिल्लीएक घंटा पहले
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भारत सरकार अपने अथक प्रयासों के बावजूद यूनाइटेड किंगडम में पनाह लिए हुए भारतीय मूल के भगोड़ों को वापस लाने में असफल रही है। यह असफलता भारत को तब मिली है जब ब्रिटेन भारत के साथ फ्री ट्रैड एग्रीऐन्ट करने के लिए 13 दौर की मीटिंग कर चुका है।
ट्रैड एग्रीऐन्ट सफल हो जाने पर वहां के लोगों के लिए लाखों नौकरियां पैदा होंगी। साथ ही लंदन की सरकार के लिए बहुमूल्य विदेशी मुद्रा कोष में आएगी।
ब्रिटेन में पनाह लिए भारत के भगोड़ों में विजय माल्या,ललित मोदी, रवि शंकरण , संजय भंडारी और नीरव मोदी शामिल हैं।
चुनाव करीब पर सरकार को सफलता नहीं
भाजपा यह मानकर चल रही थे की इन भगोड़ों को लोकसभा चुनाव के पहले भारत वापस लाकर वो इस सफलता को एक बड़ा वोट मांगने का मुद्दा बनाएगी। लेकिन सरकार इमसें वह विफल होती दिख रही है क्योंकि 2024 के लोकसभा चुनाव में बस कुछ ही महीनों का समय बाकी है।
जानकारों के अनुसार भारत सरकार की इन भगोड़ों को वापस लाने में विफलता के पीछे अलग अलग कारण हैं। इनमें बाइलैटरल रिश्ते और भगोड़ों के ब्रिटन के राजनीतिक पार्टी के लोगों से पर्सनल रिलेशन शामिल हैं।
CBI की रिक्वेस्ट को दरकिनार
भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी, रवि शंकरण, 2006 के ‘नेवी वॉर रूम लीक के मुख्य आरोपी हैं। इन पर 7000 से ज्यादा संवेदनशील पन्ने चुराने का आरोप है। इन पन्नों को उन्होंने 20 करोड़ डॉलर में पश्चिमी देशों में बैठे दलालों को बेच दिया था। अप्रैल 2014 को CBI की रिक्वेस्ट को दरकिनार करते हुए, लंदन की एक कोर्ट ने शंकरण को भारत भेजने से मना कर दिया। कोर्ट ने कहा था कि CBI ने पेश किए दस्तावेजों से यह नहीं बताया कि शंकरण ने संवेदनशील कागज चुराए थे। पूरे केस में CBI की काफी किरकिरी हुई क्योंकि बाद में यह पता चला की CBI ने जो कागजात कोर्ट में सबमिट किए उस पर कोई साइन नहीं थे, और केस के बाकी गवाहों के स्टेटमेंट भी गलत तरीके से लिए गए थे।
जांच से जुड़े एक CBI अधिकारी ने नाम न लेने के शर्त पर भास्कर को बताया की पूरे केस से यही लग रहा था की CBI करण को वापस लाना ही नहीं चाहती थी । जिसका सबसे बड़ा उदारण यही है की इन्वेस्टिगेशन के बिल्कुल बेसिक रुल्स को इस मामले में नजरअंदाज किया गया। उस पर अभी तक इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस निकला हुआ है ।
अब 59 वर्ष का शंकरण, चेल्सी बंदरगाह पश्चिमी लंदन के पास एक भव्य अपार्टमेंट में रहता है ।
माल्या की वापस जानबूझकर रोकी
भारत के लिए अभी तक की सबसे बड़ी विफलता पूर्व राज्यसभा सांसद विजय माल्या को लेकर हुई है जो 6 साल पहले भारत से फरार हो गया था।
अप्रैल 2020 में अपने सारे कानूनी रास्तों को उपयोग करने के बाद, माल्या ने ब्रिटेन के गृह मंत्रालय के सामने असाइलम के लिए अर्जी लगाई । यह कहा किअगर उसे भारत वापस भेजा गया तो उनकी जान को खतरा है । कोर्ट के उसे भारत वापस भेजने के आदेश के 40 महीने से ऊपर हो जाने के बावजूद माल्या भी लंदन में ही है । भारत सरकार ने कोर्ट के सामने रखे गए माल्या के सारे सवालों का जवाब दिया था जिसमें उसने कोर्ट को यह भी भरोसा दिलाया था कि माल्या को साफ सुथरी जेल में रखा जाएगा।
भारत सरकार के विदेश मंत्रालय से जुड़े एक अधिकारी ने भास्कर को बताया कि अब तो साफ दिख रहा है की माल्या को ऋषि सुनक की सरकार जानबूझकर बचा रही है।
सूत्रों के अनुसार माल्या ने ब्रिटेन में काफी पैसा लगाया है और वहाँ के राजनैतिक लोगों से उसके अच्छे रिश्ते हैं। इस कारण वहाँ के सांसद , जो ऐसे मुद्दों पर काफी मुखर होते हैं, ने कभी भी बोरिस जॉनसन या सुनक सरकार पर माल्या को बचाने का आरोप नहीं लगाया ।
भंडारी पकड़ से कोसों दूर
ठीक इसी तरह , आर्म्स डीलर संजय भंडारी भी अभी भारत सरकार की पकड़ से कोसों दूर है। भंडारी का नाम भारत के सबसे बड़े आर्म्स डीलरों में आता है। नवंबर 2022 में ब्रिटेन के एक कोर्ट ने भारत को वापस भेजने का आदेश दिया था। मई 2014 तक भारत में कोई भी बड़े रक्षा सौदे भंडारी के इनवॉलवमेंट की बिना नहीं होते थे। भंडारी 2016 में भारत से ब्रिटेन भाग गया।
CBI के सूत्रों के अनुसार, भंडारी का नाम 7900 करोड़ के इंटीग्रेटेड एयर कमांड एण्ड कंट्रोल सिस्टम्स स्कैम , जिसमे एजेंसी ने दिसम्बर 2022 में FIR की थी, 2900 करोड़ के पिलटस एर्क्रैफ्ट डील में भी शामिल है । 61 साल के भंडारी पर कांग्रेस के एक बड़े परिवार के रिश्तेदार के पैसे का हवाला के जरिए इधर से उधर करने का भी आरोप है।
सूत्रों के अनुसार, भंडारी का मामला अभी सुनक सरकार के पास लंबित है। उन्होंने वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट के भंडारी को वापस भेजने के निर्णय को दूसरे कोर्ट में चुनौती दे रखी है। अगर यह कोर्ट भी उनके पक्ष में फैसला नहीं सुनाती है, तब भी भंडारी का प्रत्यर्पण ब्रिटेन की सरकार पर ही निर्भर करेगा।
नीरव-चोकसी भी लंदन में
भारत सरकार 11हजार 400 करोड़ के पंजाब नैशनल बैंक घाटोले में शामिल नीरव मोदी को भी लंदन से वापस भारत लाने में असफल रही है । नीरव मोदी, जिन्होंने अपने रिश्तेदार मेहुल चोकसी के साथ मिलकर, पंजाब नैशनल बैंक के साथ 11400 करोड़ का धोका किया था , अभी लंदन के एक प्राइवेट जेल जो को थेमसेसिडे में है में रह रहा है। सूत्रों के अनुसार उसे दिसम्बर 2022 के पहले तक भारत भेज देना चाहिए था पर ‘सीक्रेट’ कारणों के कारण ब्रिटेन सरकार उनको भारत नहीं भेज रही है ।
मोदी मार्च 2019 में भारत के आग्रह पर लंदन में गिरफ्तार हुआ था, पर इस बात को साढ़ें चार साल से भी ज्यादा हो गए हैं।
ब्रिटेन के चुने हुए राजनेताओं ने ब्रिटेन के जगतर सिंह जोहल, जिसे भारत सरकार ने खालिस्तानी संगठन के साथ जुड़े होने के आरोप में नवंबर 2017 में गिरफ्तार किया था, की रिहाई को लेकर करीब 120 बार ब्रिटेन की पार्लियामेंट में सवाल उठाया है। पर किसी भी राजनेता ने भारत से भागे हुए किसी भी भगोड़े को भारत वापस भेजने को लेकर कभी कोई सवाल नहीं किया है।
भारत को ‘ नीची’ निगाहों से देखा जाता है
भारतीय विदेश सेवा से रिटायर्ड एक अधिकारी ने भास्कर को बताया की ब्रिटेन में अभी भी भारत और बाकी एशियन देशों को ‘ नीची’ निगाहों से देखा जाता है। इसके कारण भारत के नियमों को ब्रिटेन के अधिकारी और नेता ज्यादा महत्व नहीं देते। “उनके लिए हम अभी भी एक वो देश है जिसमें काफी सारी खामियां हैं , जहां पर धन के बल पर पुलिस और न्याय प्रक्रिया काम्प्रोमाइज़ करती है । इसका परिणाम यह होता है की हमारे लाख सबूत पेश करने के बावजूद भारत से भागे हुए लोगों के लिए ब्रिटेन के लोगों में हमदर्दी बनी रहती है। आपने जिन जिन का नाम लिया वो सभी प्रभुत्व और पैसे वाले लोग हैं और इसलिए उनके प्रत्यर्पण में देरी हो रही है।