हाइलाइट्स
म्यांमार में तीन साल पहले चुनी हुई सरकार को हटाकर सेना ने सत्ता पर कब्जा कर लिया था.
अमेरिका बीते तीन साल से म्यांमार पर लगातार नए प्रतिबंध लगाता आ रहा है.
नई दिल्ली. भारत के पड़ोसी देश म्यांमार में साल 2021 में आर्मी ने चुनी हुई सरकार का तख्तापलट करते हुए देश पर पूर्ण रूप से अपना शासन स्थापित कर लिया था. इसके बाद से ही अमेरिका लगातार म्यांमार पर कड़े प्रतिबंध लगाता आ रहा है. तख्तापलट की तीन साल की सालगिरह पर, अमेरिका ने म्यांमार के सैन्य जुंटा पर अपने प्रतिबंधों को तेज कर दिया है. अमेरिका ने म्यांमार सेना से जुड़ी संस्थाओं और व्यक्तियों को निशाना बनाते हुए नए प्रतिबंध लागू किए. इन प्रतिबंधों का फोकस विशेष रूप से म्यांमार आर्मी की सप्लाई चेन को नुकसान पहुंचाना है.
अमेरिका ने हवाई बमबारी और हथियार उत्पादन के संबंध में जुंटा के वित्तीय समर्थन को कमजोर कर दिया है. अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने श्वे ब्येन फ़्यू ग्रुप ऑफ़ कंपनीज़ पर प्रतिबंधों की घोषणा की. यह कंपनी म्यांमार सेना के लिए पेट्रोलियम के आयात और वितरण में शामिल है. इसका सैन्य समूह म्यांमार इकोनॉमिक होल्डिंग्स लिमिटेड (MEHL) के साथ लाभ-साझाकरण संबंध है. सेना की क्षमताओं को बाधित करने के उद्देश्य से उठाए गए कदम में, अमेरिका ने एमईएचएल के स्वामित्व वाली शिपिंग कंपनी म्यांमार फाइव स्टार लाइन को भी निशाना बनाया. ट्रेजरी विभाग ने इस बात पर जोर दिया कि ये संस्थाएं विदेशी मुद्रा तक जुंटा की पहुंच को सुविधाजनक बनाने के साथ-साथ इसके संचालन के लिए महत्वपूर्ण पेट्रोलियम और अन्य सामग्रियों के आयात को सुविधाजनक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.
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अमेरिका ने बताया मकसद
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि प्रतिबंधों का इरादा नागरिकों के खिलाफ जुंटा की सैन्य गतिविधियों का समर्थन करने वाले राजस्व स्रोतों में कटौती करना है. अमेरिका ने 2021 में तख्तापलट के बाद से चल रहे संघर्ष पर प्रकाश डालते हुए, जुंटा के पाठ्यक्रम में बदलाव के अपने आह्वान पर जोर दिया.
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FIRST PUBLISHED : February 1, 2024, 21:03 IST