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- US Indian Businessman Haresh Jogani Brothers Fraud Case | Los Angeles Court
नई दिल्ली1 दिन पहले
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भारतीय मूल के कारोबारी हरेश जोगानी। इनपर अपने 4 भाइयों को धोखा देने का आरोप है।
अमेरिका की एक अदालत ने भारतीय मूल के 5 भाइयों के बिजनेस जुड़े एक विवाद में हरेश जोगानी नाम के व्यक्ति को उसके चार भाइयों को 20,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का हर्जाना देने का आदेश दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स में इसे पिछले एक दशक में सबसे बड़ा फैसला बताया जा रहा है।
कोर्ट ने हर्जाना के अलावा साउथ कैलिफोर्निया में साथ मिलकर बनाए गए बिजनेस से 17,000 अपार्टमेंट्स के बंटवारे का भी आदेश दिया है। मामला 2003 में दर्ज कराया गया था, जिसमें लॉस एंजिल्स सुपीरियर कोर्ट में 18 अपीलें दायर हुईं, जिस पर पांच जजों की बेंच ने फैसला सुनाया है।
क्या है मामला?
गुजरात के रहने वाले शशिकांत जोगानी 1969 में 22 साल की उम्र में बिजनेस करने के लिए कैलिफोर्निया चले गए। वहां से उन्होंने यूरोप, अफ्रीका, नॉर्थ अमेरिका और मिडिल ईस्ट में ग्लोबल डायमंड बिजनेस के जरिए हजारों करोड़ की संपत्ति बनाई।
बिजनेस में नुकसान के बाद शशिकांत ने भाइयों को बुलाया
1990 के दशक की शुरुआत में मंदी और 1994 के नॉर्थ्रिज भूकंप चलते बिजनेस में घाटा हुआ। जिसके बाद शशिकांत अपने चार भाइयों हरेश, राजेश, शैलेश और चेतन जोगानी को अपने बिजनेस में शामिल कर लिया।
हरेश ने पार्टनरशिप तोड़ी, भाइयों को जबरन बिजनेस से हटाया
पांचों भाइयों ने मिलकर डायमंड बिजनेस को आगे बढ़ाया और रियल एस्टेट बिजनेस के जरिए करोड़ों डॉलर कीमत के 17,000 अपर्टमेंट्स बनाए। इस बीच हरेश जोगानी ने पार्टनरशिप तोड़ दी, सभी को जबरन बिजनेस से हटा दिया और संपत्ति में हिस्सेदारी देने से भी मना कर दिया।
बिजनेस में शशिकांत की 50%, हरेश की 24% साझेदारी
रियल एस्टेट बिजनेस में शशिकांत की साझेदारी 50%, हरेश की 24%, राजेश की 10%, शैलेश की 9.5% और सबसे कम उम्र के चेतन के पास 6.5% हिस्सेदारी है।
शशिकांत को मिलेगा 14,912 करोड़ हर्जाना
जूरी ने डायमंड पार्टनरशिप तोड़ने के आरोप में चेतन और राजेश को 165 मिलियन डॉलर (करीब 1367 करोड़ रुपए) और रियल एस्टेट पार्टनरशिप तोड़ने के आरोप में शशिकांत को 1.8 बिलियन डॉलर (करीब 14,912 करोड़), चेतन को 234 मिलियन डॉलर (करीब 1939 करोड़ रुपए) और राजेश को 360 मिलियन डॉलर (करीब 2982 करोड़ रुपए) हर्जाने के तौर पर देने का आदेश दिया है।
हरेश जोगानी बोला, कोई लिखित समझौता नहीं था
हरेश जोगानी ने जूरी के सामने तर्क दिया कि भाईयों के साथ उसकी कोई लिखित पार्टनरशिप नहीं थी। उनके भाई भी यह साबित नहीं कर सके, लेकिन जूरी ने पाया कि हरेश ने मौखिक अनुबंध तोड़ा है और इसकी वैल्यू भी लिखित एग्रीमेंट के बराबर ही माना जाएगा।