कांग्रेस और माकपा ने मंगलवार को पिछले पांच वर्षों में कृषि बजट के एक लाख करोड़ रुपये “सरेंडर” (उपयोग न करने) करने के लिए मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि इसके कारण देश में किसानों को नुकसान उठाना पड़ा और उनके कई वादे अधूरे रह गए।
कांग्रेस नेता दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि स्थायी समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि भाजपा सरकार ने न केवल कृषि क्षेत्र के लिए आवंटन लगातार कम किया है, बल्कि “छोटे” बजट को भी पूरा खर्च नहीं किया है।
आंकड़े साझा करते हुए उन्होंने दावा किया कि पिछले चार वर्षों के दौरान कृषि के लिए बजट आवंटन 4.4 प्रतिशत से घटकर सिर्फ 2.5 प्रतिशत रह गया है।
उन्होंने कहा कि फरवरी में फिर से किसान आंदोलन की बात हो रही है क्योंकि सरकार ने किसानों से अपने वादे पूरे नहीं किए हैं।
हुड्डा ने कहा कि “बिना खर्च किए गए” एक लाख करोड़ रुपये का इस्तेमाल कर्ज में डूबे किसानों को राहत देने के लिए किया जा सकता था।
उन्होंने आशंका व्यक्त की कि यह राशि “जानबूझकर कृषि पर खर्च नहीं की गई और बड़े कॉर्पोरेट घरानों की ऋण माफी के लिए अतिरिक्त प्रावधान करने के लिए बिना खर्च किए वापस कर दी गई”।
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार पहले ही “बड़े औद्योगिक घरानों का 14.5 लाख करोड़ रुपये का कर्ज माफ कर चुकी है”,जबकि किसान “कर्ज के कारण आत्महत्या कर रहे हैं”।
उन्होंने कहा, “यह पैसा सिर्फ कागजों पर दिखाया गया, लेकिन खर्च नहीं किया गया।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि 2014-2022 तक भाजपा सरकार के दौरान एक लाख से अधिक किसानों ने आत्महत्या की और अगर सरकार इसका इस्तेमाल किसानों के कल्याण के लिए ठीक से करती तो इससे कई लोगों की जान बचायी जा सकती थी।
हुड्डा ने पूछा, “क्या इस पैसे से किसानों को राहत देकर उनकी जान नहीं बचाई जा सकती थी?” उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस के शासन में किसानों के 72 हजार करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया गया था।
हुड्डा ने कहा, “देश में कृषि बजट की जो राशि दिखाई जा रही है, वह एक भ्रम है – क्योंकि इसे खर्च नहीं किया जा रहा है। दूसरी ओर, देश के समग्र बजट की तुलना में कृषि बजट हर साल घट रहा है।
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