भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है यह बरगद और पीपल, पढ़ें चमत्कारिक कहानी

आलोक कुमार/गोपालगंज. बिहार के गोपालगंज जिला के सरैया वार्ड संख्या-1 में स्थित बरगद और पीपल के विशाल वृक्ष किसी आश्चर्य से कम नहीं है. भाई-बहन के नाम से मशहूर दोनों वृक्ष स्थानीय लोगों के लिए आस्था का केन्द्र है. मान्यता है कि इन दोनों पेड़ के पत्ते और डालों को तोड़ने पर व्यक्ति के साथ अनहोनी हो जाती है. इन दोनों पेड़ों की कहानी 60 साल पहले की है, जब एक भाई-बहन की दुर्घटना में मौत हो गई थी. उनके परिजनों ने उनके शवों को एक साथ जमीन में दफन कर दिया था. जिस जगह से वे दफन हुए थे, वहां से कुछ दिनों बाद, एक बरगद और पीपल का पेड़ उग आया. यह घटना उन वृक्षों को अद्वितीय बनाती है और स्थानीय लोग उन्हें पूजनीय मानते हैं.

भाई-बहन नाम से मशहूर वृक्ष को दैवीय रूप मानते हैं लोग
इस बरगद-पीपल के पेड़ को यहां के लोग भाई-बहन का दैवीय रूप मानते हैं और उनकी पूजा-अर्चना भी करते हैं. पिछले 60 साल से पूजा करने की एक परंपरा जारी है. सबसे अहम बात यह है कि यहां जिसने भी सच्चे मन से मन्नत मांगी है, उसकी हर मुराद पूरी हो जाती है. इस पेड़ की एक खासियत यह है कि इसकी  डाली या फिर पत्ते को कोई तोड़ता है तो उसके साथ अनहोनी हो जाती है. स्थानीय लोगों के लिए यह पेड़ काफी चमत्कारिक है.

दैवीय पेड़ की यह है प्रचलित कहानी
इस पेड़ के बारे में एक प्रचलित कहानी है, जिसके अनुसार इस जगह के होटल व्यवसायी सुनील पांडेय के परिवार में 60 साल पहले हुए एक भाई-बहन के दुखद हादसे में मौत हो गई थी. उनके शवों को परिवार ने एक साथ सरैया के एक खाली जमीन में दफन कर दिया था. कुछ दिनों बाद उसी जगह से एक बरगद और पीपल का पेड़ उग आया. देखते-देखते ये पेड़ विशाल हो गया और स्थानीय लोग मानने लगे कि यह दोनों मृत भाई-बहन ने इस वृक्ष का रूप धारण कर लिया हैं. इसके बाद से हर त्योहार और आम दिनों में यहां पूजा-पाठ की परिपाटी शुरू हो गई है. लोगों ने विशाल पेड़ों के आस-पास एक चबूतरा बनाया है और कुछ लोगों ने इस क्षेत्र में मकान बनाने के लिए खाली जगह को चुना था, लेकिन उनके साथ अनहोनी घटित हो गई है. इसके बाद से लोग इसे दैवीय पेड़ मानने लगे हैं.

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