भजन लाल शर्मा ने मुख्यमंत्री बनते ही भ्रष्टाचार पर करारा वार कर भ्रष्टाचारियों की नींद उड़ा दी है

अवैध खनन, परिवहन और भण्डारण की समस्या किसी एक प्रदेश की नहीं होकर समूचे देश में नासूर की तरह फैलती जा रही है। देश के लगभग हर कोने से आए दिन अवैध खनन के समाचार देखने को मिल जाते हैं। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा, ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़ व राजस्थान में बजरी व अन्य खनिज के अवैध खनन और परिवहन के समाचारों के साथ ही बजरी माफिया के कारण आये दिन होने वाली दुर्घटनाएं आम हैं। बेशकीमती खनिजों का अवैध खनन और सरकार के रवन्ना से अधिक खनन और परिवहन भी आम है। अवैध खनन गतिविधियों के चलते सरकारों को कई मोर्चों पर जूझना पड़ता है। एक तो अवैध खनन, ऊपर से खनन माफियाओं की खुले आम दादागिरी, सरकार को राजस्व का नुकसान और खनन सुरक्षा मानकों की पालना नहीं करने से आये दिन होने वाली दुर्घटनाएं और खनिज परिवहन के दौरान छिपने छिपाने के चक्कर में लोगों की जान लेने का खेल अलग होता है। अवैध खनन गतिविधियों और खनन माफियाओं की दादागिरी के चलते सरकार को आये दिन परेशानी का सामना करना पड़ता है। पर इसका हल निकालने के लिए सरकारों द्वारा ठोस प्रयास नहीं किये जाते और इसका कारण भी प्रेशर ग्रुपों का होना है। ऐसे में राजस्थान की नई नई भाजपा की भजन लाल शर्मा द्वारा काम संभालते ही अवैध खनन गतिविधियों के खिलाफ जिस तरह से अभियान चलाकर ठोस कार्यवाही की है वह वास्तव में वर्तमान राजनीतिक माहौल में साहसिक कार्य ही है। हालांकि सरकारों की इच्छाशक्ति हो तो कोई भी कदम मुश्किल भरा नहीं हो सकता। राजस्थान की सरकार की पहल को इसलिए भी सराहनीय माना जा सकता है कि बिना समय गंवाये सरकार ने अभियान चलाकर कार्यवाही करने का निर्णय किया और जनभागीदारी तय करने से परिणाम और भी बेहतर प्राप्त हो सके। यह अन्य प्रदेशों के लिए भी प्रेरणास्पद हो सकता है।

यह राजस्थान की भजन लाल शर्मा सरकार की इच्छाशक्ति और अवैध खनन गतिविधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति का ही परिणाम रहा कि सरकार ने कार्यभार संभालते ही बड़ी पहल करते हुए प्रदेश में 15 जनवरी से 31 जनवरी, 24 तक राज्य व्यापी अभियान चलाने का निर्णय लिया। प्रदेशभर में अवैध खनन गतिविधियों के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्यवाहियों को अंजाम दिया गया, वहीं अभियान को सफल बनाने में जनभागीदारी भी तय की गई। अवैध खनन गतिविधियों के खिलाफ अभियान केवल खाना पूर्ति बनकर नहीं रह जाये, इस कारण अवैध खनन की जड़ पर प्रहार करने पर जोर दिया गया। अभियान के दौरान अवैध खनिज परिवहन करते वाहनों की पकड़ा-पकड़ी तक ही सीमित नहीं रहकर स्रोत को खोजने और उस पर कार्यवाही करने पर बल देने के साथ मशीनों और उपकरणों को जब्त करने पर बल दिया गया। जिला कलक्टरों को पांच विभागों यथा माइंस, राजस्व, परिवहन, पुलिस और वन विभाग के संयुक्त अभियान के संचालन, मोनेटरिंग और समन्वय की जिम्मेदारी दी गई। इससे पुलिस व प्रशासन की सक्रिय भागीदारी भी तय हो सकी।

अभियान को आंकड़ों में समझा जाए तो अवैध खनन गतिविधियों के खिलाफ राज्यव्यापी अभियान के दौरान 2643 कार्यवाहियां की गईं, इसमें भी बड़े स्तर पर अवैध खनन स्थलों पर 613 कार्यवाहियां की गईं। पुलिस में 564 प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई गई और इस अवैध खनन गतिविधियों में लिप्त 264 लोगों की गिरफ्तारी हुई। 12 करोड़ 62 लाख से अधिक का ढ़ाई लाख टन से अधिक अवैध भण्डारित खनिज जब्त किया गया। 54 एक्सक्वेटर, 69 जेसीबी, 6 क्रेन और 1773 वाहनों को जब्त किया गया। मौके पर ही 12 करोड़ 76 लाख रुपए से अधिक का जुर्माना वसूल कर सरकारी खजाने में जमा कराया गया। इसके साथ ही गोपनीय सूचनाओं से प्राप्त जानकारी पर दूसरे जिलों के अधिकारियों की टीम को भेज कर कार्यवाही की गई और करोड़ों रुपयों का जुर्माना लगाया गया। कई कार्यवाहियों में तो जिला कलक्टर स्वयं मौके पर पहुंचे। सवाल आंकड़ों का नहीं है। सवाल सरकार के गुणगान का भी नहीं है अपितु सवाल सरकार की इच्छाशक्ति और माइंस विभाग की मशीनरी के सक्रिय होकर कार्यवाही करने का है और इतने कम समय में जिस तरह से योजनाबद्ध तरीके से अन्य विभागों के साथ ही माइंस विभाग की मशीनरी ने काम किया वह सराहनीय है।

खास बात यह कि सरकार नई, मुख्यमंत्री नए, मुख्य सचिव नए, खान सचिव नए होने के बावजूद खनन माफिया के खिलाफ अभियान की चंद घंटों में ही इतनी चाक चोबंद कार्ययोजना तैयार की गई कि परिणाम आने पर अभियान की सफलता पर संदेह उठाने वालों को भी दांतों तले उंगली दबानी पड़ी। इसे यों समझा जा सकता है कि चुनाव परिणाम आने के बाद मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने 15 दिसंबर को शपथ ली, जनवरी के पहले सप्ताह 1 जनवरी को नए मुख्य सचिव सुधांश पंत ने कार्यभार संभाला। 10 जनवरी को आईएएस अधिकारियों की तबादला सूची में आनन्दी को खान सचिव लगाया गया और अगले दिन खान सचिव के कार्यभार संभालते ही यानी कि 11 जनवरी को देर शाम मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा जो कि स्वयं खान मंत्री भी हैं, ने खान विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान प्रदेश में अवैध खनन गतिविधियों पर कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए अवैध खनन गतिविधियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री के निर्देशों के क्रम में अगले दिन 12 जनवरी को मुख्य सचिव सुधांश पंत ने 15 जनवरी से 31 जनवरी, 2024 तक खान, राजस्व, परिवहन, पुलिस और वन विभाग द्वारा संयुक्त अभियान चलाने के निर्देश जारी कर दिए। जिला कलक्टर की अध्यक्षता में कमेटी की बैठक तत्काल आयोजित कराने और जिला कलक्टर के निर्देशन में राज्य व्यापी अभियान आयोजित करने का निर्णय लिया गया। मुख्य सचिव सुधांश पंत ने जिला कलक्टरों के नाम जारी निर्देशों में चैक लिस्ट भी जारी की। मांइस डिपार्टमेंट को एक्टिवेट करने की जिम्मेदारी माइंस सचिव आनन्दी ने संभाली और पूरी मशीनरी चंद घंटों में ही एक्टिवेट हो गई। शासन सचिव माइंस स्तर पर मोनेटरिंग के साथ ही मुख्यालय उदयपुर में अतिरिक्त निदेशक विजिलेंस को समन्वयक प्रभारी बनाया गया। अभियान में जनभागीदारी तय करने के लिए 24 गुणा 7 नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया और एसएमई स्तर के अधिकारी को नियंत्रण कक्ष का प्रभारी बनाया गया। इसके साथ ही नियंत्रण कक्ष का अलग से मोबाइल नंबर भी जारी किया गया जिस पर प्राप्त शिकायतों पर 24 घंटे में कार्यवाही के निर्देश देते हुए प्राप्त शिकायतों पर कार्यवाही की प्रभावी मोनेटरिंग सुनिश्चित की गई। इसके साथ ही उच्च स्तर पर गोपनीय तरीके से प्राप्त शिकायतों/जानकारी पर गोपनीय तरीके से अन्य स्थानों से अधिकारियों की टीम भेज कर कार्यवाही की गई, जिसके भी सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुए हैं।

राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने अवैध खनन गतिविधियों के खिलाफ सफल अभियान चलाकर उस आम मिथक को भी तोड़ दिया है जिसमें सरकार की अभियानों के प्रति गंभीरता को लेकर प्रश्न उठाया जाता है। बल्कि कहना यह चाहिए कि जिस तरह से डिजास्टर मैनेजमैंट में काम होता है, ठीक उस तरह से प्रदेश में अवैध खनन गतिविधियों के खिलाफ अभियान संचालित किया गया और आमजन में सरकार की जीरो टॉलरेंस की प्रतिबद्धता को सिद्ध कर दिया। लाख आरोप प्रत्यारोप लगाए जाये पर इसमें भी कोई दो राय नहीं कि अभियान को सफल बनाने में खान विभाग की टीम ने जिस तरह से सरकार की मंशा और इच्छाशक्ति को अमलीजामा पहनाया है वह भी सराहनीय है। अभियान समाप्त हो गया है पर अभियान की स्प्रिट यानी की भावना कि अवैध खनन गतिविधियां नहीं होने देनी है, इसके लिए मशीनरी को चाक चौबंद होना पड़ेगा तभी अभियान अपने उद्देश्यों में कामयाब हो सकेगा।

अवैध खनन गतिविधियों और खनन माफियाओं से लगभग सभी प्रदेशों की सरकारें दो चार हो रही हैं। ऐसे में राजस्थान सरकार का यह अभियान अन्य प्रदेशों के लिए एक मिसाल बन सकता है। इससे यह साफ हो गया है कि सरकारों की इच्छाशक्ति हो तो फिर प्रभावी कार्यवाही आसानी से की जा सकती है। देश प्रदेशों के खनिज संपदा को खनन माफियाओं से बचाने, खनन माफियाओं के कारण आये दिन कानून व्यवस्था की समस्या से दो चार होने से राहत पाने और सरकारी राजस्व की छीजत को रोकने के लिए राज्य सरकारों को आगे आकर सख्त कदम उठाने ही होंगे। राजनीतिक दबावों से ऊपर उठकर ठोस प्रयास करने ही होंगे। राजस्थान की सरकार ने इसकी भूमिका तैयार कर दी है, खनिज संपदा संपन्न प्रदेश इस दिशा में आगे कदम बढ़ा सकते हैं।

-डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा

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