भगवान श्रीराम के ससुराल Janakpur Nepal से आये खास उपहार, हर साल रामनवमी को स्वयं सूर्य करेंगे प्रभु श्रीराम का अभिषेक

जैसे-जैसे राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की तारीख नजदीक आ रही है वैसे-वैसे भक्तों का उत्साह चरम पर पहुँचता जा रहा है। इस समय अयोध्या की रौनक देखते ही बन रही है। इस बीच भगवान श्रीराम के ससुराल नेपाल से खूब सारे उपहार अयोध्या पहुँचे। भगवान श्रीराम की ससुराल नेपाल के जनकपुर धाम से ‘भार यात्रा’ अयोध्या पहुंची तो उसका जगह-जगह पुष्पों से स्वागत किया गया। भगवान के ससुराल से बड़ी संख्या में उपहार अयोध्या भेजे गये हैं जोकि आज राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय को सौंपे गये। इस दौरान चंपत राय ने कहा कि भारत-नेपाल के संबंध त्रेतायुग से हैं।

हम आपको बता दें कि मिथिला संस्कृति के अनुसार विवाह के बाद जब बेटी ससुराल जाती है तो उसे सौगात (भार) भेजी जाती है। इसी परंपरा को निभाते हुए जनकपुर से भार यात्रा शुरू हुई थी जोकि बिहार के मिथिला होते हुए अयोध्या पहुंची। भेंट यानी भार को करीब 500 लोग लेकर पहुंचे हैं।

रामोत्सव की तैयारियां

वहीं रामोत्सव के लिए चल रही अन्य तैयारियों की बात करें तो आपको बता दें कि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया है कि प्रभु श्रीराम की मूर्ति को इस प्रकार से बनाया गया है कि प्रत्येक वर्ष रामनवमी को भगवान सूर्य स्वयं श्रीराम का अभिषेक करेंगे। उन्होंने बताया कि भारत के प्रख्यात अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की सलाह पर मूर्ति की लंबाई और उसे स्थापित करने की ऊंचाई को इस प्रकार से रखा गया है कि हर साल चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को दोपहर 12 बजे सूर्य की किरणें प्रभु श्रीराम के ललाट पर पड़ेंगी। 

ट्रस्ट की ओर से बताया गया है कि तीन शिल्पकारों ने प्रभु श्रीराम की मूर्ति का निर्माण अलग अलग किया, जिसमें से एक मूर्ति को प्रभु प्रेरणा से चुना गया है। चुनी गई मूर्ति की पैर से लेकर ललाट तक की लंबाई 51 इंच है और इसका वजन डेढ़ टन है। मूर्ति की सौम्यता का बखान करते हुए कहा गया कि श्यामल रंग के पत्थर से निर्मित मूर्ति में ना केवल भगवान विष्ण की दिव्यता और एक राजपुत्र की कांति है बल्कि उसमें 5 साल के बच्चे की मासूमियत भी है। चेहरे की कोमलता, आंखों की दृष्टि, मुस्कान, शरीर आदि को ध्यान में रखते हुए मूर्ति का चयन किया गया है। 51 इंच ऊंची मूर्ति के ऊपर मस्तक, मुकुट और आभामंडल को भी बारीकी से तैयार किया गया है। 

ट्रस्ट के अनुसार मूर्ति की प्रतिष्ठा पूजा विधि को 16 जनवरी से प्रारंभ कर दिया जाएगा। इसके अलावा 18 जनवरी को गर्भगृह में प्रभु श्रीराम को आसन पर स्थापित कर दिया जाएगा। प्रभु श्रीराम की मूर्ति की एक विशेषता यह भी है कि इसे अगर जल और दूध से स्नान कराया जाएगा तो इसका नकारात्मक प्रभाव पत्थर पर नहीं पड़ेगा। साथ ही अगर कोई उस जल या दूध का आचमन करता है तो शरीर पर भी इसका दुष्प्रभाव नहीं होगा। राममंदिर परिसर में ही महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषाद राज, माता शबरी और देवी अहिल्या का भी मंदिर बनाया जाएगा। इसके अलावा जटायु की प्रतिमा को यहां पहले से ही स्थापित कर दिया गया है। ट्रस्ट के अनुसार श्रीराम का मंदिर अद्भुत होगा। हालांकि ये अभूतपूर्व नहीं होगा, क्योंकि दक्षिण भारत में ऐसे मंदिर हैं, मगर उत्तर भारत में बीते 300 साल में ऐसा कोई मंदिर निर्मित नहीं हुआ है। 

अयोध्या से जुड़ी कुछ और खास बातें

त्रेतायुग की अयोध्या कैसी थी, हमने नहीं देखी पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने कलियुग में अयोध्या को अलग ही पहचान दिलाने का मार्ग प्रशस्त किया है। 500 वर्षों के उपरांत 22 जनवरी को श्रीराम अपने भव्य मंदिर में विराजमान होंगे तो यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में और वृद्धि होगी। इसे देखते हुए योगी सरकार के विजन के अनुरूप अयोध्या को अध्यात्म के साथ पर्यटन के बड़े केंद्र के तौर पर भी वैश्विक मानचित्र पर नई पहचान मिल रही है। सीएम योगी ने जहां अयोध्या को सुंदरतम नगरी बनाने की परिकल्पना को हकीकत की शक्ल देना शुरू कर दिया है। वहीं, इस नगरी को निहारने दुनियाभर से आने वाले  पर्यटकों व श्रद्धालुओं की हर सुख-सुविधा को ध्यान में रखकर संसाधनों के सतत विकास की प्रक्रिया जारी है। योगी सरकार की हेरिटेज विलेज थीम्ड होम स्टे योजना के जरिए देश-दुनिया के मेहमान ग्रामीण परिवेश में अवधी ठाठ से रूबरू होंगे तो वहीं यहां की प्रसिद्ध मेहमाननवाजी, रहन-सहन व खानपान का भी लुत्फ उठाने का उन्हें अवसर मिलेगा। यह योजना लकड़ी, कोयले की धीमी आंच पर सेंकी गई रोटी, बैलगाड़ी की सवारी समेत ग्रामीण परिवेश और सुविधा संपन्न रिहायशी अवस्थापना का मिला-जुला ताना बाना है, जो वर्तमान सुख-सुविधायुक्त जीवनशैली के संसाधनों के साथ ही सुकूनमय पारंपरिक जीवनशैली की अनुभूति का मार्ग भी प्रशस्त करती है।

लकड़ी व कोयले की धीमी आंच पर सेंकी हुई रोटी का मिलेगा जायका

अमूमन शहरी क्षेत्रों में रहने वाले बच्चे अपनी विरासत का दीदार नहीं कर पा रहे हैं, लेकिन ग्रामीण परिवेश से रूबरू होने का आकर्षण उनमें रहता है। इसी बात को ध्यान में रखकर योगी सरकार द्वारा हेरिटेज विलेज थीम्ड होम स्टे योजना की परिकल्पना की गई है। यह योजना काफी कारगर हो रही है क्योंकि यहां लकड़ी व कोयले की धीमी आंच पर सेंकी गई रोटी मिलती है जो आधुनिक परिवेश में पले-बढ़े बच्चों के लिए किसी अचंभे से कम नहीं है। यह रोटी जहां उन्हें पौष्टिकता प्रदान करेगी, वहीं बैलगाड़ी की सवारी उनके कौतूहल को शांत करते हुए अतीत से वर्तमान का दीदार भी कराएगी। यहां ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देते हुए स्थानीय भोजन के साथ प्राकृतिक वातावरण को संरक्षित किया गया है। यहां मिट्टी के घरों के साथ गांव की संस्कृति से वर्तमान पीढ़ी को अवगत होने का मौका मिलेगा। वहीं खाने में यहां मॉडर्न इन डिमांड रेसिपीज के साथ स्थानीय जायकों का स्वाद भी परोसा जाएगा।

दौलतपुर की ‘दौलत’ बनेगी अयोध्या को नई पहचान दिलाने का माध्यम

उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग की इस योजना को अयोध्या विकास प्राधिकरण द्वारा विकसित किया जा रहा है। अयोध्या से 12-15 किमी. दूर सोहावल तहसील के कोला मोइया कपूरपुर के पास रायबरेली रोड स्थित दौलतपुर में समदा पक्षी विहार के पास इसे काफी तेजी से विकसित किया जा रहा है। यहां मिट्टी के घरों में गांव की संस्कृति से रूबरू कराया जाएगा। ग्रामीण परिवेश के बीच मिट्टी की सोंधी खुशबू रूपी दौलत अयोध्या आने वाले पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करेगी। पर्यटकों के हिसाब से यहां के घरों का पुनरुद्धार कराया जा रहा है। यहां फिलहाल अभिनव श्रीवास्तव की प्रॉपर्टी को मड हाउस को प्रमोट कर प्राकृतिक चीजों को डिस्प्ले कर दिया है। यहां आम के पेड़ों की छांव के बीच भोजन का भी आनंद अलग ही अनुभूति करा रहा है। यहां का एक दिन का किराया 9500 रुपये है। इसमें दो रूम, लॉन, खेलकूद के साथ ही बच्चों के लिए ट्यूबवेल में नहाने की भी व्यवस्था होगी।  

18 अन्य संपत्तियों को एडीए ने किया चिह्नित

अयोध्या विकास प्राधिकरण के सलाहकार राकेश सिंह ने बताया कि दौलतपुर में एक प्रॉपर्टी पर यह सुविधाएं शुरू हो गई हैं। अयोध्या आने वाले पर्यटकों की संख्या काफी तेजी से बढ़ी है। राम मंदिर, हनुमानगढ़ी समेत कई मंदिरों के दर्शन के साथ ही देश-दुनिया के आगंतुक अपने बच्चों को ग्रामीण परिवेश से अवगत कराने के लिए भी यहां लाना चाहते हैं। ऐसे में, इस सुविधा में विस्तार के लिए 18 अन्य प्रॉपर्टी को भी चिह्नित किया गया है, जहां ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देने वाले क्रियाकलापों को विकसित करने के लिए जिला प्रशासन द्वारा हर प्रकार का सहयोग प्रदान किया जा रहा है।

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